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Parama Ekadashi Vrat 2023 Kab Hai:परमा एकादशी अधिकमास सावन में कब होगा, जानिए इसका महत्व और पूजा शुभ मुहूर्त
Parama Ekadashi Vrat 2023 Kab Hai: परमा एकादशी के दिन भगवान विष्णु निद्रा काल से पहले सारा कार्यभार भगवान शिव को सौंप कर चतुर्मास के लिए राजा बलि के यहां निद्रा शयन में जाते हैं।
Parama Ekadashi Vrat 2023 Kab Hai परमा एकादशी की व्रत 2023 सावन मास में इस बार 3 साल बाद 4 एकादशी ( ekadashi Vrat) व्रत पड़ रहा है। 4 जुलाई के दिन से ही सावन शुरू हो गया है। अभी सावन में अधिकमास चल रहा है। कामिका और पद्मिनी एकादशी हो चुकी है । अब 12 अगस्त को परमा एकादशी कहते है। इस दिन से सृष्टि के पालनहार का ध्यान और जागरण होता है। सभी एकादशियों में इसका अपना महत्व है, लेकिन परमा एकादशी के दिन व्रत और पूजा से भगवान विष्णु की कृपा मिलती है। इस साल 2023 में परमा एकादशी (Parama Ekadashi) 12 अगस्त को पड़ेगी।
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परमा एकादशी का शुभ मुहूर्त
परमा एकादशी तिथि प्रारम्भ - 11 अगस्त,शुक्रवार को सुबह 5 बजकर 6 मिनट से शुरू
परमा एकादशी तिथि समाप्त - 12 अगस्त , शनिवार को सुबह 6 बजकर 31 मिनट तिथि
परमा पूजा का समय: सुबह 7 बजकर 28 मिनट से 9 बजकर 7 मिनट
परमा एकादशी व्रत पारण- 13 अगस्त को सुबह 5 बजकर 49 मिनट से सुबह 8 बजकर 19 मिनट तक।
इस दिन का शुभ समय या अभिजित मुहूर्त 11. 54 मिनट से दोपहर 12.49 मिनट तक है
ब्रह्म मुहूर्त :04:29 AM – 05:17 AM
अमृत काल : 09:26 PM – 11:12 P
अभिजित मुहूर्त: 12:06 PM से 12:57 PM
परमा एकादशी पर भगवान विष्णु की उपासना करने से पितरों का श्राद्ध व तर्पण करने से विशेष लाभ मिलता है।भगवान विष्णु को पंचामृत अर्पित करने से पूजा का विशेष फल मिलता है।
परमा एकादशी पूजा विधि
- परमा एकादशी के समय सूर्य कर्क राशि में रहते हैं। पद्म पुराण , विष्णु पुराण और गीता के अनुसार इस दिन व्रत करने से भक्तों की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और उनके सभी पापों का नाश होता है। इस दिन विधि-विधान से पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- दशमी तिथि से ही परमा एकादशी व्रत की शुरुआत होती है। एकादशी तिथि के एक दिन पहले ही भोजन में नमक का परहेज किया जाता है। उसके बाद एकादशी तिथि के परमा एकादशी के व्रत का संकल्प करें। लकड़ी के पाटा पर आसन बिछा कर भगवान विष्णु की प्रतिमा रखें और पूजन पंचामृत से स्नान करवाकर शुरू करें। फिर धूप, दीप, पुष्प आदि से पूजा करें। इस पूजा में ताम्बूल, पुंगीफल अर्पित करना चाहिए।
- इसके बाद इस मंत्र द्वारा स्तुति की जानी चाहिए:- ऊं नमो भगवते मंत्र द्वारा भगवान का ध्यान करना चाहिए। परमा एकादशी व्रत की कथा भी सुनें। ब्राह्मणों को भोजन व दान-दक्षिणा दें।
- इस दिन व्रत करने वालों को ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए भगवान का निराहार या फलाहर उपासना करनी चाहिए।इस दिन झूठ, फरेब, चोरी, हत्या न करने का संकल्प लेना चाहिए।
परमा एकादशी का महत्व (Parama ekadashi ka mahatva)
एकादशी का विशेष महत्व है। माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु के साथ भगवान शिव की पूजा करने से विशेष फलों की प्राप्ति होती है। भगवान शिव स्वयं कुबेर भगवान को परमा एकादशी का व्रत रखने को कहा था। इस व्रत के प्रभाव से भगवान विष्णु से कुबेर जी को धनाध्यक्ष बना दिया था। माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने से सुख-संपदा, धन-दौलत की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही हर संकट और समस्या दूर हो जाती है।
परमा एकादशी का धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व है। इस दौरान धार्मिक भजन-कीर्तन और विष्णु-लक्ष्मी, तुलसी समेत शिव आराधना को जरूरी बताया गया है।परमा एकादशी का व्रत काफी शुभ और पुण्यकारी माना जाता है। सालभर में 24 एकादशी पड़ती है। ऐसे में हर मास के कृष्ण और शुक्ल पक्ष को एक-एक एकादशी पड़ती है। लेकिन इस साल अधिक मास होने के कारण 2 एकादशी बढ़ गई है। अधिक मास में पड़ने वाली एकादशी का विशेष महत्व है, क्योंकि यह तीन साल में एक बार आती है। श्रावण अधिक मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को परमा एकादशी कहा जाता है। इस दिन व्रत और भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।