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Barabanki Parijaat Tree बाराबंकी पारिजात वृक्ष :स्वर्ग से धरती पर आया पारिजात का यह एकमात्र पेड़, इससे जुड़े हैं कई सारे फैक्ट

Barabanki Parijaat Tree:पारिजात का पेड़ ऐसा है जो ईश्वर की कृति है । जो ऐसा पेड़ है जिसे छूने मात्र से मनुष्य की थकान मिट जाती है।

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 5 Jan 2023 5:54 AM GMT (Updated on: 5 Jan 2023 6:05 AM GMT)
Barabanki Parijaat Tree बाराबंकी पारिजात वृक्ष :स्वर्ग से धरती पर आया पारिजात का यह एकमात्र पेड़, इससे जुड़े हैं कई सारे फैक्ट
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सांकेतिक तस्वीर ( सौ. से सोशल मीडिया)

Parijaat Tree Barabanki

पारिजात वृक्ष बाराबंकी

भारत में रहस्य और धार्मिक मान्यताओं की भरमार है। यहां कई ऐसे धार्मिक मंदिर और जगहें है जहां पर कुछ रहस्यमयी घटनाएं घटती है। इसी क्रम में पारिजात का पेड़ ऐसा है जो ईश्वर की कृति है । पारिजात ऐसा पेड़ है जिसे छूने मात्र से मनुष्य की थकान मिट जाती है। हरिवंश पुराण में भी इस पेड़ का जिक्र मिलता है, जिसको छूने से देव नर्तकी उर्वशी की थकान मिट जाती थी। इसका नाम पारिजात वृक्ष है। इस वृक्ष के फूलों को देव मुनि नारद ने श्री कृष्ण की पत्नी सत्यभामा को दिया था। ये एक दुर्लभ वृक्ष है, इसका पेड़ उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में है।इसे सरकार का भी संरक्षण मिला है।

पारिजात के पौधे को घर में लगाने को लेकर वास्तुशास्त्र में दिशाओंइस वृक्ष की आयु 1000 से 5000 वर्ष बताई जाती है। इस पेड़ के तने की परिधि लगभग 50 फीट और ऊंचाई लगभग 45 फीट है। के बारे में बताया गया है। वास्तु में बताया है कि घर में नकारात्मक ऊर्जा को खत्म करने और सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह को बढ़ाने के लिए परिजात के पौधे को घर की उत्तर या पूर्व दिशा में लगाना चाहिए

परिजात क्यों है दुर्लभ?

श्रीमदभगवत गीता में लिखा है कि परिजात के फूलों को पाकर सत्यभामा ने श्रीकृष्ण से जिद किया कि वे इस पेड़ को स्वर्ग से धरती पर लाएं। उनकी जिद्द पूरी करने के लिए पर श्रीकृष्ण ने स्वर्ग लोक पर आक्रमण कर दिया और परिजात को सत्यभामा की वाटिका में लगा दिया, लेकिन इसके फूल उनकी दूसरी पत्नी रूकमणी की वाटिका में गिरते थे।

कृष्ण के हमले और पारिजात छीन लेने से गुस्साए इन्द्र ने श्री कृष्ण के साथ पारिजात को श्राप दे दिया था। इंद्र ने कहा-अपने कृत्य की वजह से कृष्ण भगवान विष्णु के अवतार के रूप में जाना जाएंगे, जबकि पारिजात को कभी न फल आने का श्राप दिया। तभी से कहा जाता है कि ये पेड़ हमेशा के लिए अपने फल से वंचित हो गया।

परिजात पेड़ की दूसरी मान्यता है

कहते हैं कि पारिजात नाम की एक राजकुमारी हुआ करती थी ,जिसे भगवान सूर्य से प्यार हो गया था, लेकिन बहुत प्रयास करने पर भी सूर्य ने पारिजात के प्यार को स्वीकार नहीं किया, इससे गुस्सा होकर राजकुमारी पारिजात ने आत्महत्या कर ली थी। जहां पारिजात की कब्र बनी, वहीं से इस वृक्ष का जन्म हुआ। इसी कारण पारिजात वृक्ष को रात में देखने से ऐसा लगता है जैसे वह रो रहा हो और सुबह होते ही इसकी टहनियां और पत्ते सूर्य को आगोश में लेने को तैयार रहते है। धन की होती है वृद्धि अगर लक्ष्मीजी को प्रसन्न करने के लिए पारिजात वृक्ष का उपयोग किया जाता है। उन्होंने बताया कि यदि

ओम नमो मणि़रूद्राय आयुध धराय मम लक्ष्मी़वसंच्छितं

पूरय पूरय ऐं हीं क्ली हयौं मणि भद्राय नम, इस मंत्र का जाप 108 बार करते हुए नारियल पर पारिजात पुष्प अर्पित किए जाए तो लक्ष्मीजी प्रसन्न होकर साधक के घर में वास करती है। ये पूजा साल के पांच मुहर्त होली, दीवाली,ग्रहण,रवि पुष्प और गुरू पुष्प नक्षत्र में की जाए तो उत्तम है। ये भी बता दें कि इस वृक्ष के फूल उपयोग में लाए जाते है, जो टूटकर गिर जाते है। मतलब वृक्ष से फूल कभी भी तोड़ने नहीं चाहिए।

बाराबंकी में पारिजात

पारिजात का एक मात्र वृक्ष यूपी के बाराबंकी जनपद के रामनगर क्षेत्र के गांव बोरोलिया में मौजूद है। लगभग 50 फीट तने और 45 फीट उंचाई के इस वृक्ष की ज्यादातर शाखाएं भूमि की ओर मुड़ जाती है और धरती को छुते ही सूख जाती है। एक मान्यता के अनुसार इस वृक्ष की उत्पत्ति समुंद्र मंथन से हुई थी। कहा जाता है जब पांडव पुत्र माता कुंती के साथ अज्ञातवास पर थे तब उन्होंने ही सत्यभामा की वाटिका में से परिजात को लेकर बोरोलिया गांव में रोपित कर दिया होगा। तभी से परिजात गांव बोरोलिया की शोभा बना हुआ है।


परिजात मंत्रमुग्ध करने वाली खुशबू

एक साल में सिर्फ एक बार जून माह में सफेद और पीले रंग के फूलों से सुसज्जित होने वाला ये वृक्ष न सिर्फ खुशबू बिखेरता है, बल्कि देखने में भी सुन्दर लगता है। आयु की दृष्टि से 1-5 हजार साल तक जीवित रहने वाले इस वृक्ष को वनस्पति शास्त्री एडोसोनिया वर्ग का मानते हैं। जिसकी दुनियाभर में सिर्फ 5 प्रजातियां पाई जाती है। जिनमें से एक डिजाहाट है। पारिजात वृक्ष इसी डिजाहाट प्रजाति का है।

परिजात औषधि का है भंडार

पारिजात बावासीर रोग निदान के लिए रामबाण औषधि है। इसके एक बीज का सेवन प्रतिदिन किया जाए तो बावासीर रोग ठीक हो जाता है। इसके फूल ह्दयरोग को ठीक करने में कारगर हैं। इतना ही नहीं इसकी पत्तियों को पीस कर शहद में मिलाकर सेवन करने से सुखी खासी ठीक हो जाती है। इसी तरह पारिजात की पत्तियों को पीसकर त्वचा पर लगाने से त्वचा रोग ठीक हो जाते है।

पारिजात का पेड़ कब लगाना चाहिए

पारिजात का पेड़ आप किसी भी शुक्रवार या फिर सोमवार को लगा सकते हैं। ये दोनों ही देवी पक्ष का दिन है जिसमें देवियों की पूजा होती है। वैसे, शुक्रवार की शाम को पारिजात का पेड़ लगाना सबसे सही समय और शुभ माना जाता है।ये दुर्लभ वृक्ष की श्रेणी में आता है, इसलिए सरकार ने पारिजात वृक्ष पर डाक टिकट भी जारी किया, ताकि अर्न्तराष्ट्रीय स्तर पर पारिजात वृक्ष की पहचान बन सके।पारिजात का वृक्ष घर में लगाने से वास्तु दोष दूर होता है और घर में बरकत भी आती है। यदि वास्तु के अनुसार पारिजात का पौधा लगाते हैं तो घर में धन धान्य की कमी नहीं होती।

Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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