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Parivartini Ekadashi Significance:परिवर्तनी एकादशी कब है पारणा टाइम शुभ मुहूर्त , योग और इसे को करने से क्या फल मिलता है जानिए

Parivartini Ekadashi Significance: चातुर्मास के शयन निद्रा के दौरान जिस दिन भगवान विष्णु करवट लेते हैं उस दिन को परिवर्तनी एकादशी या जल झूलनी एकादशी कहते हैं, जानते इसका महत्व...

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 14 Sept 2024 8:45 AM IST (Updated on: 14 Sept 2024 9:42 AM IST)
Parivartini Ekadashi Significance:परिवर्तनी एकादशी कब है पारणा टाइम शुभ मुहूर्त , योग और इसे को करने से क्या फल मिलता है जानिए
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Parivartini Ekadashi 2024 kab hai date परिवर्तिनी एकादशी व्रत 2024 कब है?

भाद्रमास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को परिवर्तिनी या जलझूलनी एकादशी कहा जाता है। इस साल 2024 में परिवर्तिनी एकादशी व्रत 14 सितंबर को मनाया जाएगा। इस दिन भगवान विष्णु शयन अवस्था में करवट लेते हैं। इसलिए इसे जलझूलनी एकादशी कहते हैं। इसलिए इस दिन विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन विधिनुसार व्रत रखने , पूजा करने से परमपद की प्राप्ति और वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है।

परिवर्तिनी एकादशी व्रत का शुभ मुहूर्त

भाद्रमास की परिवर्तिनी एकादशी को जयझूलनी, या पार्श्व एकादशी भी कहते हैं।

एकादशी तिथि प्रारम्भ : शनिवार 13 सितंबर को रात 10 .30 मिनट पर शुरू होगी

एकादशी तिथि समाप्त : रविवार 14 सितंबर को रात 08 बजकर 41 मिनट पर होगा

भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष में उदया तिथि गणना के अनुसार 14 सितंबर को परिवर्तिनी एकादशी मनाई जाएगी। भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को शोभन-रवि योग है। इस योग का समापन संध्याकाल 06.18 मिनट पर होगा। फिर, रवि योग शाम 08 .32 मिनट तक है। इसके साथ ही सर्वार्थ सिद्धि योग का भी संयोग बन रहा है।इन योग में भगवान विष्णु की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होगी।

शोभन योग- 11:28 AM से 08:15 AM

अभिजीत मुहूर्त - 12:00 PM से 12:49 PM

अमृत काल – 01:44 PM से 03:13 PM

ब्रह्म मुहूर्त –04:38 AM से 05:26 AM

विजय मुहूर्त- 02.03 PM से 02.58 PM

गोधूलि बेला- 06.00 PM से 06.37 PM

सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण रात 08 . 33 मिनट

इसके अलावा, भद्रावास और शिववास योग का भी संयोग बन रहा है।

पारण का समय :जो लोग 15 सितंबर को पारण का समय अगले दिन सुबह 6. 19 मिनट से सुबह 8 .33 मिनट तक है।

परिवर्तिनी एकादशी पूजा-विधि

इस एकादशी के व्रत का संकल्प शुभ मुहूर्त में लेना चाहिए। इस दिन सबसे पहले सुबह उठकर स्नान करें।इसके पश्चात भगवान की चौकी पर पीले रंग का वस्त्र बिछाकर चौकी को सजाएं। इस चौकी पर भगवान विष्णु को स्थापित करें। इसके बाद पूरे विधि पूर्वक भगवान विष्णु की आरती करें। पूजा के दौरान पीले रंग की वस्तुओं का उपयोग करना चाहिए। भगवान विष्णु को पीला रंग अत्यधिक प्रिय है। पूजा के दौरान पीले वस्त्र पहने।परिवर्तिनी एकादशी के दिन विष्णु जी मिठाई, फल और पीले रंग के फूल चढ़ाने चाहिए। पूजा में तुलसी पत्ते और तिल जरूर शामिल करें। इस दिन दही,चावल और तांबा से बनी वस्तु का दान करें। मान्यता के अनुसार इस दिन पूरे विधि पूर्वक पूजा करने से पापों से मुक्ति मिलती है।

परिवर्तिनी एकादशी का महत्व

इस दिन सुबह उठकर भगवान विष्णु की पूजा, व्रत, कथा महात्मय सुनने के साथ दान-पुण्य का भी महत्व है। इस दिन पूरे समय ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का उच्चारण करते हुए वस्त्र ,चन्दन ,जनेऊ ,गंध, अक्षत ,पुष्प , धूप-दीप नैवेध,पान-सुपारी चढ़ाकर करनी चाहिए। इससे श्रीहरि की कृपा बरसती है। विष्णु पुराण, व गीता के अनुसार परिवर्तिनी एकादशी करने समस्त भय और पापों से मुक्ति और मधुसुधन की कृपा बरसती है। पद्मपुराण और भागवतपुराण के अनुसार इस विष्णु भगवान की पूजा वामन रुप में करनी चाहिए । क्योंकि मान्यता है कि शयनाव्स्था में भगवान विष्णु इस समय वामन रुप में रहते हैं । इसलिए इस रुप की विधि-विधान से पूजा करने और फलाहार से इस दिन परमार्थ का प्राप्ति होती है।

इस दिन भगवान विष्णु और गणपति की पूजा करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है। पौराणिक मान्यता है कि परिवर्तिनी एकादशी का व्रत रखने से वाजपेय यज्ञ के समान पुण्य मिलता है। परिवर्तिनी एकादशी को जलझुलनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। कहते हैं कि जो कोई इस दिन विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा करता है, उसके सारे पाप कर्म नष्ट हो जाते हैं, और पुण्य फलों की प्राप्ति होती है।

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Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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