TRENDING TAGS :
Shradh Tarpan Vidhi in Hindi:पितृ श्राद्धकर्म में ऐसे ब्राह्मणों को वर्जित है बुलाना,जानिए कब किसका करना चाहिए श्राद्ध
Shradh Tarpan Vidhi in Hindi: श्राद्ध पक्ष शरू हो चुका है, इस दौरान तर्पण दान का महत्व है। इसलिए पितृ श्राद्ध के दौरान नियमों के पालन का ध्यान रखना चाहिए...
Shradh Tarpan Vidhi in Hindi:हिंदू धर्म में श्राद्ध का महत्व अत्यधिक है। इसे पूर्वजों की आत्मा की शांति और मोक्ष मिलता है। श्राद्ध एक धार्मिक कृत्य है, जिसके माध्यम से हम पितरों के ऋण से मुक्त होते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इसे करने के लिए विशेष नियम और विधि का पालन किया जाता है। जानते है श्राद्ध से जुड़ी मुख्य बातें...
श्राद्ध कर्म में तिथियां विशेष होती हैं। जिन लोगों की मृत्यु सामान्य तिथि को हो, उनका श्राद्ध पितृ पक्ष की त्रयोदशी और अमावस्या को किया जाता है। इन तिथियों में किए गए श्राद्ध से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। वहीं, जिनकी मृत्यु अकाल (दुर्घटना, सर्पदंश, हत्या, आत्महत्या आदि) से हुई हो, उनका श्राद्ध चतुर्दशी तिथि को किया जाता है। चतुर्दशी तिथि विशेष रूप से उन आत्माओं के लिए मानी गई है, जिनका देहावसान अकस्मात या किसी अनहोनी घटना के कारण हुआ हो।
सुहागन का श्राद्ध कब किया जाता है
सुहागिन स्त्रियों का श्राद्ध केवल नवमी को ही किया जाता है। नवमी तिथि माता के श्राद्ध के लिए भी उत्तम है। संन्यासी पितृगणों का श्राद्ध केवल द्वादशी को किया जाता है। पूर्णिमा को मृत्यु प्राप्त व्यक्ति का श्राद्ध केवल भाद्रपद शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा अथवा आश्विन में कृष्ण पक्ष की अमावस्या को किया जाता है। नाना-नानी का श्राद्ध केवल आश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को किया जाता है।सुहागिन स्त्रियों की आत्मा को शांति मिलती है और उनके आशीर्वाद से घर में समृद्धि बनी रहती है।
श्राद्ध से पूर्वजों के ऋण से कैसे होगी मुक्ति
पितरों के श्राद्ध के लिए 'गया' को सर्वोत्तम माना गया है, इसे "तीर्थों का प्राण" तथा ‘पांचवा धाम’ भी कहते हैं। माता के श्राद्ध के लिए काठियावाड़ में 'सिद्धपुर' को अत्यन्त फलदायक माना गया है। इस स्थान को 'मातृगया' के नाम से भी जाना जाता है। गया में पिता का श्राद्ध करने से पितृऋण से और सिद्धपुर' में माता का श्राद्ध करने से मातृ ऋण से मुक्ति प्राप्त होती है।
श्राद्ध में ब्राह्मण को कैसे भोजन कराएं
श्राद्ध में आमंत्रित ब्राह्मण के पैर धोकर आदर सहित आसन पर बैठाना चाहिए। तर्जनी से चंदन-तिलक लगाना चाहिए। श्राद्धकर्म में अधिक से अधिक तीन ब्राह्मण पर्याप्त माने गये हैं। श्राद्ध के लिए तैयार किए गए भोजन में पांच अलग-अलग जगह से थोड़ा-थोड़ा भोजन पंचबलि के लिए निकाला जाता है। पंचबलि में गाय, कुत्ता, कौआ, देवता, और पिपीलिका (चींटी) के लिए अन्न अर्पित किया जाता है।अन्न कौआ को, कुत्ते का अन्न कुत्ते को और अन्य सभी अन्न गाय को देना चाहिए। इसके बाद ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए। ब्राह्मण भोजन के बाद उन्हें अन्न, वस्त्र, ताम्बूल (पान का बीड़ा) एवं दक्षिणा आदि देकर तिलक कर चरणस्पर्श करना चाहिए। ब्राह्मणों के प्रस्थान उपरांत परिवार सहित स्वयं भी भोजन करना चाहिए।
श्राद्ध के लिए विद्वान श्रेष्ठ गुणों से युक्त, शास्त्रों के जानकरा तथा तीन पीढि़यों वाले ब्राह्मण का ही चयन करना चाहिए। योग्य ब्राह्मण के नहीं होने पर भानजे, दौहित्र, दामाद, नाना, मामा, साले आदि को भोजन करा सकते। श्राद्ध के लिए आमंत्रित ब्राह्मण की जगह किसी अन्य को नहीं खिलाना चाहिए। भोजन करते समय ब्राह्मण को मौन धारण कर भोजन करना चाहिए तथा हाथ के संकेत द्वारा अपनी इच्छा व्यक्त करनी चाहिए।
श्राद्ध में इन ब्राह्मण को नहीं बुलायें
श्राद्धकर्म के लिए विकलांग या अधिक अंगों वाले ब्राह्मणों को वर्जित माना गया है। साथ ही, श्राद्धकर्ता को पूरे पितृ पक्ष के दौरान कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए, जैसे दातौन करना, पान खाना, तेल लगाना, औषध सेवन, क्षौरकर्म (हजामत), और मैथुन (स्त्री प्रसंग) वर्जित होता है। इस दौरान किसी अन्य का अन्न ग्रहण करना, यात्रा करना, और क्रोध करना भी अनुचित माना जाता है।धार्मिक मान्यता के अनुसार, पितृ पक्ष में मैथुन करने से पितरों को वीर्यपान करना पड़ता है, जिससे उन्हें कष्ट होता है।
श्राद्ध में शाम में ना करें तर्पण
श्राद्धकर्म करते समय श्रद्धा, शुद्धता, स्वच्छता, और पवित्रता का ध्यान रखना अत्यंत आवश्यक है। यदि इनमें से किसी का भी अभाव हो, तो श्राद्ध निष्फल हो जाता है। श्राद्धकर्म से पितरों को शांति और मोक्ष प्राप्त होता है। जब पितर प्रसन्न और तृप्त होते हैं, तो उनके आशीर्वाद से हमें सुख, समृद्धि, सौभाग्य, आरोग्य, और आनंद की प्राप्ति होती है।इस प्रकार, श्राद्ध तर्पण विधि का पालन करके हम अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए योगदान दे सकते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं