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Pitru Paksha Me Kauwa Ka Mahatva: पितृ पक्ष में कौवों से जुड़े होते हैं शकुन और अपशकुन, जानिए पूरा रहस्य

Pitru Paksha Me Kauwa Ka Mahatva: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पितृपक्ष में पितरों का श्राद्ध और तर्पण करना बेहद जरूरी है अन्यथा यदि कोई व्यक्ति ऐसा नहीं करता तो उसे अपने पितरों का श्राप लगना माना जाता है।

Preeti Mishra
Written By Preeti Mishra
Published on: 12 Sep 2022 4:04 AM GMT (Updated on: 12 Sep 2022 4:05 AM GMT)
Pitru paksha
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Pitru paksha( Image credit: Newstrack)

Pitru Paksha Me Kauwa Ka Mahatva: हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का काफी महत्व माना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार पितृ पक्ष की शुरुआत भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से होकर आश्विन मास की अमावस्या को समाप्त होता हैं। इस साल पितृ पक्ष 10 सितंबर 2022 दिन शनिवार से शुरू होकर पितृ पक्ष का समापन 25 सितंबर 2022 दिन रविवार को होगा। बता दें कि इस दिन आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि भी पड़ रही है।

बता दें कई इस साल पितृ पक्ष 10 सितंबर से लेकर 25 सितंबर तक चलेगा। उल्लेखनीय है कि पितृ पक्ष में पितरों का श्राद्ध और तर्पण किया किये जाने के साथ ही इन दिनों में कौवों को भी भोजन कराना बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पितृपक्ष में पितरों का श्राद्ध और तर्पण करना बेहद जरूरी है अन्यथा यदि कोई व्यक्ति ऐसा नहीं करता तो उसे अपने पितरों का श्राप लगना माना जाता है।

लेकिन गौरतलब है कि शास्त्रों के अनुसार श्राद्ध करने के बाद जितना जरूरी भांजे और ब्राह्मण को भोजन कराना होता है, उतना ही जरूरी कौवों को भी भोजन कराना माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक पितृ पक्ष में हमारे पितर कौवों का रूप धारण करके पृथ्वी पर उपस्थित रहते हैं।

इसके अलावा पितृ पक्ष में कौवों को भोजन कराने से जुड़ी एक पौराणिक कथा भी है।

पौराणिक कथा के अनुसार कौवे का रूप इन्द्र के पुत्र जयन्त ने ही सबसे पहले धारण किया था। मान्यता है कि यह कथा त्रेतायुग की है, जब भगवान श्री राम ने अवतार लिया और जयंत ने कौए का रूप धारण कर माता सीता के पैर में चोंच मारा था। तब भगवान श्री राम ने तिनके का बाण चलाकर जयंत की आंख फोड़ दी थी। जब उसने अपने किए की माफी मांगी, तब भगवान श्री राम ने उसे यह वरदान दिया था कि तुम्हें अर्पित किया भोजन पितरों को प्राप्त होगा। तभी से माना जाता है कि श्राद्ध में कौवों को भोजन कराने की परंपरा चली आ रही है। यही मुख्य कारण है कि श्राद्ध पक्ष या पितृ पक्ष में कौवों को ही पहले भोजन कराया जाता है।

धार्मिक वक्ताओं के अनुसार भगवान श्री राम के वरदान के कारण ही कौवों को न तो कभी मारा जाता है और न ही किसी भी रूप से सताया जाता है।लेकिन अगर फिर कोई व्यक्ति ऐसा करता है तो उसे पितरों के श्राप के साथ-साथ अन्य देवी-देवताओं के क्रोध का भी सामना करना पड़ सकता है और उन्हें जीवन में कभी भी, किसी भी प्रकार का कोई सुख और शांति प्राप्त नहीं हो पाती है। धार्मिक पुराणों के अनुसार पितृ पक्ष में पंच बली जरूर निकालना चाहिए। जिसमें चींटी, गाय, कौआ, कुत्ता, देव बलि.. यह कार्य जरूर करना चाहिए।

कौवे से जुड़े हैं शकुन और अपशकुन ?

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार प्रत्येक जानवर के विचित्र व्यवहार एवं हरकतों के पीछे सदैव कुछ न कुछ प्रभाव अवश्य होता है। बता दें कि हमारे पुराणों एवं ग्रंथो में जानवरों के संबंध में अनेकों बातें भी विस्तार से बताई गई है। जिसमें हमारे सनातन धर्म में माता के रूप में पूजनीय गाय के संबंध में तो बहुत-सी बातों से लोग भलीभांति परिचित हैं। लेकिन जानवरों के संबंध में पुराणों से ली गई कुछ ऐसी बातें भी हैं जो आपने पहले कभी भी किसी से नहीं सुनी होगी। उल्लेखनीय है कि पुराणों में जानवरों से जुड़े रहस्यों के संबंध में बहुत ही विचित्र बातें लिखी गयी है जो किसी को भी आश्चर्य में डाल देंगी।

कौए का क्या है रहस्य?

पुराणों में कौए के संबंध में बहुत ही विचित्र बातें बताई गई हैं। मान्यताओं के अनुसार कौआ को अतिथि आगमन का सूचक एवं पितरों का आश्रम स्थल माना जाता है। हिन्दू धर्म ग्रंथ की एक कथा के अनुसार इस पक्षी ने देवताओं और राक्षसों के द्वारा समुद्र मंथन से प्राप्त अमृत का रस चख लिया था। जिस कारण है कि कौए की कभी भी स्वाभाविक मृत्यु नहीं होती है। यानी यह पक्षी कभी किसी बीमारी अथवा अपने वृद्धा अवस्था के कारण मृत्यु को प्राप्त नहीं होता है बल्कि इसकी मृत्यु हमेशा आकस्मिक रूप से ही होती है।

यह बेहद ही रोचक है कि जिस दिन कौए की मृत्यु हो जाती है, उस दिन उसका साथी बिलकुल भोजन ग्रहण नहीं करता है। क्या आपने कभी गौर किया है कि कौआ कभी भी अकेले में भोजन ग्रहण नहीं करता बल्कि यह पक्षी सदैव किसी साथी के साथ मिलकर ही भोजन करता है।

गहरे काले रंग का पक्षी कौआ जिनमें नर और मादा दोनों एक समान ही दिखाई देते हैं। बता दें कि यह पक्षी बगैर थके मिलों तक उड़ कर जा सकते हैं। हिन्दू धार्मिक पुराणों में बताया गया है कि कौवों को भविष्य में होने वाली किसी भी घटनाओं का आभास पूर्व ही हो जाता है।

कौए को पितरों का आश्रय स्थल माना जाता है

हिन्दू धर्म में श्राद्ध पक्ष में कौए का विशेष महत्व माना गया है। कहा जाता है कि इस पक्ष में यदि कोई भी व्यक्ति कौआ को पूरी श्रद्धा के साथ भोजन कराता है तो यह भोजन कौवों के माध्यम से उनके पितर ग्रहण करते हैं। शास्त्रों के मुताबिक धर्म कोई भी क्षमतावान आत्मा कौए के शरीर में विचरण कर सकती है।

मान्यताओं के अनुसार भादो महीने के 16 दिन कौआ हर घर की छत का मेहमान बन कर आता है। बता दें कि श्राद्ध पक्ष के ये 16 दिन कौए एवं पीपल को पितृ प्रतीक के रूप में माना जाता है।मान्यताओं के अनुसार इन दिनों कौए को खाना खिलाकर एवं पीपल को पानी पिलाकर अपने पितरों को तृप्त किया जा सकता है।

कौवों का विशेष है महत्त्व

- अगर आप शनिदेव को प्रसन्न करना चाहते हैं तो कौए को भोजन अवश्य कराना चाहिए।

- इसके अलावा यदि आपके मुंडेर पर कोई कौआ बोले तो समझ जाइये आपके घर मेहमान अवश्य आएंगे।

- अगर कौआ घर की उत्तर दिशा से बोले तो समझ लें जल्द ही आप पर मां लक्ष्मी की कृपा होने वाली है। आपके घर धन -धान्य की बारिश होगी।

- लेकिन यदि कौवा पश्चिम दिशा से बोले तो उस घर में मेहमान जरूर आते हैं।

- यदि पूर्व दिशा से कौआ बोले तो किसी भी तरह के शुभ समाचार की प्राप्ति होती है।

- लेकिन अगर कौआ दक्षिण दिशा से बोले तो किसी अशुभ घटना या बुरा समाचार आता है।

- मान्यताओं के अनुसार कौवे को भोजन कराने से अनिष्ट व शत्रुओं का नाश होता है।


Preeti Mishra

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Content Writer (Health and Tourism)

प्रीति मिश्रा, मीडिया इंडस्ट्री में 10 साल से ज्यादा का अनुभव है। डिजिटल के साथ-साथ प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में भी काम करने का तजुर्बा है। हेल्थ, लाइफस्टाइल, और टूरिज्म के साथ-साथ बिज़नेस पर भी कई वर्षों तक लिखा है। मेरा सफ़र दूरदर्शन से शुरू होकर DLA और हिंदुस्तान होते हुए न्यूजट्रैक तक पंहुचा है। मैं न्यूज़ट्रैक में ट्रेवल और टूरिज्म सेक्शन के साथ हेल्थ सेक्शन को लीड कर रही हैं।

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