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Pitru Paksha 2023: पितर पक्ष में खाने की इन चीजों से रहें दूर, वरना पूर्वजों का बनेंगे कोपभाजन, जानिए श्राद्ध के नियम और अधिकार

Pitru Paksha 2023: श्राद्ध पक्ष शुरू होने में कुछ दिन शेष बच गए है।बस तो इस दौरान कुछ नियम का पालन करें। साथ पितृ पक्ष के दौरान इन सब चीजों को खाने की मनाही है, जानिए क्या

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 27 Sep 2023 5:23 AM GMT
Pitru Paksha 2023: पितर पक्ष में खाने की इन चीजों से रहें दूर, वरना पूर्वजों का बनेंगे कोपभाजन, जानिए श्राद्ध के नियम और अधिकार
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Shradh Paksh 2023: भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से श्राद्ध कर्म शुरू होता है जोआश्विन माह के अमावस्या को खत्म होता है। मान्यता हैं कि इन दिनों में पित्तर धरती पर आते हैं और आशीर्वाद देकर जाते हैं। ऐसे में समस्त पूर्वजों एवं मृत परिजनों का तर्पण किया जाता हैं। लेकिन पितरों के साथ ही उन्हें भी जल दिया जा सकता हैं जिन्हें जल देने वाला कोई न हो। 29 सितंबर 2022 शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से पितृ पक्ष की शुरुआत हुई, पितृ पक्ष की समाप्ति 14 अक्टूबर 2023 को होगी, जो कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि सर्व पितृ अमावस्या है।

श्राद्ध समारोह के लिए तैयार किया गया , भोजन परिवार के खाने से पहले एक कौवे को परोसा जाता है, जिसे पितृलोक का रक्षक यम माना जाता है। इसके बाद खाना पुजारियों को और बाद में अन्य लोगों को दिया जाता है। हिंदुओं का मानना ​​है कि पितृ पक्ष और श्राद्ध अपने पूर्वजों के स्वर्ग में प्रवेश सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक हैं। श्राद्ध की रस्में हिंदू परंपराओं के अनुसार बहुत सारे प्रतिबंधों के तहत की जाती हैं। इस दौरान कुछ खाद्य पदार्थों से परहेज किया जाता है। ये चीजें बताएंगे जिन्हें श्राद्ध के दौरान नहीं खाना चाहिए।

श्राद्ध पक्ष में नहीं खाएं ये सब

  • श्राद्ध के दौरान भूलकर भी लहसुन-प्याज जैसे तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए। साथ ही अंडे-मांस, शराब, बीड़ी, सिगरेट से भी तौबा कर लेनी चाहिए। पितृ पक्ष के दौरान चने का सेवन करना वर्जित माना जाता है, इसलिए जब तक श्राद्ध चलें, तब इसे भूलकर भी नहीं खाना चाहिए।
  • प्याज और लहसुन-आयुर्वेद में लहसुन को राजसिक और प्याज को तामसिक माना गया है, वे शरीर में गर्मी पैदा कर सकते हैं, इसलिए इन दो चीजों को पहुंच से बाहर रखा जाना चाहिए और किसी को भी अनुष्ठान करने से बचना चाहिए। कुछ आयुर्वेदिक पेशेवरों श्राद्ध में भी इसके सेवन की सलाह देते हैं।
  • मांसाहारी भोजन-किसी भी हिंदू अनुष्ठान में मांसाहारी भोजन का सेवन सख्त वर्जित है। इसी तरह श्राद्ध के दौरान मांस या कोई भी मांसाहारी भोजन करने की अनुमति नहीं है।
  • गेहूं और दालें-श्राद्ध के पवित्र समय में कच्चा अनाज वर्जित है इसलिए इस दौरान चावल, दाल और गेहूं नहीं खाना चाहिए। इन खाद्य पदार्थों का कच्चा सेवन करना वर्जित माना गया है इसके अलावा आलू, अरबी और मूली जैसी सब्जियां भी वर्जित हैं
  • मसूर दाल-श्राद्ध करने वाले किसी भी व्यक्ति को मसूर दाल खाने से बचना चाहिए. इसके अलावा छोले और चना आदि खाने पर भी मनाही होती है. काली उड़द की दाल और चना सत्तू से भी बचना चाहिए। इसके अलावा मांसाहारी भोजन और शराब के साथ-साथ पितृ पक्ष के दौरान अन्य कुछ खाद्य पदार्थ भी प्रतिबंधित हैं जिसमें जीरा, काला नमक, काली सरसों, खीरा और बैगन आदि शामिल है।

ये लोग कर सकते हैं श्राद्ध

जानते है कि किस-किसको श्राद्ध करने का अधिकार होता हैं।

  • पिता के श्राद्ध का अधिकार उसके बड़े पुत्र को है लेकिन यदि जिसके पुत्र न हो तो उसके सगे भाई या उनके पुत्र श्राद्ध कर सकते हैं। यदि कोई नहीं हो तो उसकी पत्नी कर सकती है।
  • श्राद्ध का अधिकार पुत्र को प्राप्त है। लेकिन यदि पुत्र जीवित न हो तो पौत्र, प्रपौत्र या विधवा पत्नी भी श्राद्ध कर सकती है।
  • पुत्र के न रहने पर पत्नी का श्राद्ध पति भी कर सकता है। हालांकि जो कुंआरा मरा हो तो उसका श्राद्ध उसके सगे भाई कर सकते हैं और जिसके सगे भाई न हो, उसका श्राद्ध उसके दामाद या पुत्री के पुत्र (नाती) को और परिवार में कोई न होने पर उसने जिसे उत्तराधिकारी बनाया हो, वह व्यक्ति उसका श्राद्ध कर सकता है।
  • यदि सभी भाई अलग-अलग रहते हों तो वे भी अपने-अपने घरों में श्राद्ध का कार्य कर सकते हैं। यदि संयुक्त रूप से एक ही श्राद्ध करें तो वह अच्छा होता है।
  • यदि कोई भी उत्तराधिकारी न हो तो प्रपौत्र या परिवार का कोई भी व्यक्ति श्राद्ध कर सकता है।

श्राद्ध के नियम

श्राद्ध के समय ब्राह्मण को भोजन मौन रहकर करवाएं, क्योंकि पितर तब तक ही भोजन ग्रहण करते हैं। जब तक ब्राह्मण मौन रहकर भोजन करें।

श्राद्ध के समय जो पितृ शस्त्र आदि से मारे गए हैं, उनका श्राद्ध मुख्य तिथि के अतिरिक्त चतुर्दशी को भी करना चाहिए। इससे वे प्रसन्न होते हैं।

श्राद्ध के समय श्राद्ध में जौ, कांगनी, मटर और सरसों का उपयोग श्रेष्ठ रहता है। दूसरे की भूमि पर श्राद्ध नहीं करना चाहिए।

श्राद्ध के समय जो व्यक्ति किसी कारणवश एक ही नगर में रहनी वाली अपनी बहिन, जमाई और भानजे को श्राद्ध में भोजन नहीं कराता, उसके यहां पितर के साथ ही देवता भी अन्न ग्रहण नहीं करते।

श्राद्ध के समय करना उचित नहीं माना गया है। शुक्ल पक्ष में, रात्रि में, युग्म दिनों में तथा अपने जन्मदिन पर।

श्राद्ध के समय यदि कोई भिखारी आ जाए तो उसे आदरपूर्वक भोजन करवाना चाहिए। श्राद्ध में गंगाजल, दूध, शहद, दौहित्र, कुश और तिल का होना जरूरी है। सोने, चांदी, कांसे, तांबे के पात्र उत्तम हैं। इनके अभाव में पत्तल उपयोग की जा सकती है।

Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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