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Pitru Paksha 2024: श्राद्ध पक्ष 2024 में कब से शुरू हो रहा है, जानिए पितृ पक्ष की तिथियों के बारे में...

Pitru Paksha 2024: श्राद्ध पक्ष जो 15 दिनों का होता है। इस दौरान पितरों की पूजा दान तर्प किया जाता है। पितृ पक्ष श्राद्ध की शुरुआत भाद्रपाद की पूर्णिमा से आश्विन मास की अमावस्‍या तक होता है। जो 16 दिन का समय होता है।

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 26 Jan 2024 6:28 AM GMT
Pitru Paksha
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Pitru Paksha (Image credit : social media)

हिन्दू मान्यतााओं के अनुसार मृत्यु के देवता यमराज श्राद्ध पक्ष में पितरों को मुक्त कर देते हैं ताकि वे अपने स्वजनों के घर जाकर तर्पण ग्रहण कर सकें। धार्मिक मान्यतााओं के अनुसार पितृ पक्ष में साफ़ ह्रदय से पूजा करने से पितरों का भरपूर आशीर्वाद प्राप्त होता है।

जानें कब से शुरू और कब खत्म हो रहा है पितृपक्ष (Pitru Paksha 2022 Start Date and Time)

हिंदू पंचांग के मुताबिक़, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से पितृपक्ष की शुरुआत होकर आश्विन मास की अमावस्या को समाप्त होता हैं। उल्लेखनीय है कि इस साल पितृ पक्ष 10 सितंबर 2022 दिन शनिवार से शुरू हो रहे हैं। जबकि पितृ पक्ष का समापन 25 सितंबर 2022 दिन रविवार को होगा।

गौरतलब है कि इसी दिन आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि भी पड़ने से यह दिन और भी ख़ास माना जा रहा है।

पितृ पक्ष में मांगलिक कार्य होते है वर्जित

पितरों को समर्पित पितृ पक्ष में हर दिन अपने पूर्वजों के लिए खाना निकाला जाता है। रसोई का पहला भोजन पितरों के लिए निकाला जाता है। इसके साथ ही उनकी तिथि पर ब्राह्मणों को श्रद्धानुसार भोजन भी कराया जाता है। उल्लेखनीय है कि पितृ पक्ष के इन 15 दिनों में कोई भी शुभ कार्य जैसे, गृह प्रवेश, कानछेदन, मुंडन, शादी, विवाह आदि नहीं कराए जाते हैं। और ना ही इन दिनों में न कोई नया कपड़ा खरीदा जाता और न ही पहना जाता है। इसके अलावा मुख्य रूप से पितृ पक्ष में लोग अपने पितरों के तर्पण के लिए पिंडदान, हवन इत्यादि भी करवाते हैं।

श्राद्ध की तिथियां-

10 सितंबर- पूर्णिमा श्राद्ध (शुक्ल पूर्णिमा), प्रतिपदा श्राद्ध (कृष्ण प्रतिपदा)

11 सितंबर- आश्निव, कृष्ण द्वितीया

12 सितंबर- आश्विन, कृष्ण तृतीया

13 सितंबर- आश्विन, कृष्ण चतुर्थी

14 सितंबर- आश्विन,कृष्ण पंचमी

15 सितंबर- आश्विन,कृष्ण पष्ठी

16 सितंबर- आश्विन,कृष्ण सप्तमी

18 सितंबर- आश्विन,कृष्ण अष्टमी

19 सितंबर- आश्विन,कृष्ण नवमी

20 सितंबर- आश्विन,कृष्ण दशमी

21 सितंबर- आश्विन,कृष्ण एकादशी

22 सितंबर- आश्विन,कृष्ण द्वादशी

23 सितंबर- आश्विन,कृष्ण त्रयोदशी

24 सितंबर- आश्विन,कृष्ण चतुर्दशी

25 सितंबर- आश्विन,कृष्ण अमावस्या 22/07/2022

22/07/2022

14.50-15.30

शब्द:654

Pitru Paksha 2024: पितृ पक्ष भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि तक चलते हैं। इस बार पितृ पक्ष 17 सितंबर से शुरू होने जा रहा है और और इसका समापन 2अक्टूबर को होगा। मान्यता है कि पितृ पक्ष में श्राद्ध, तर्पण और पिंड दान करने से पितर प्रसन्न होते हैं और आशीर्वाद प्रदान करते हैं। उनकी कृपा से जीवन में आने वाली कई प्रकार की रुकावटें दूर होती हैं। व्यक्ति को कई तरह की परेशानियों से भी राहत मिलती है।

पितृ पक्ष 2024 तिथि

भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा तिथि 17 सितंबर को सुबह 11.44 मिनट से 18 सितंबर सुबह 08.04 मिनट तक रहेगी। पितृ पक्ष में पूर्वजों का श्राद्ध दोपहर के समय कियाजाये तो उत्तम रहता है। यही वजह है कि 17 सितंबर को पूर्णिमा तिथि का श्राद्ध मान्य होगा. पितृ पक्ष का आखिरी दिन सर्व पितृ अमावस्या कहलता है। इस साल सर्वपिृत अमावस्या 2 अक्टूबर को है।

पितृ पक्ष में श्राद्ध की तिथियां

17 सितम्बर 2024, मंगलवार पूर्णिमा श्राद्ध

18 सितम्बर 2024, बुधवार प्रतिपदा श्राद्ध

19 सितम्बर 2024, बृहस्पतिवार द्वितीया श्राद्ध

20 सितम्बर 2024, शुक्रवार तृतीया श्राद्ध

21 सितम्बर 2024, शनिवार चतुर्थी श्राद्ध

22 सितम्बर 2024, रविवार पञ्चमी श्राद्ध

23 सितम्बर 2024, सोमवार षष्ठी श्राद्ध

23 सितम्बर 2024, सोमवार सप्तमी श्राद्ध

24 सितम्बर 2024, मंगलवार अष्टमी श्राद्ध

25 सितम्बर 2024, बुधवार नवमी श्राद्ध

26 सितम्बर 2024, बृहस्पतिवार दशमी श्राद्ध

27 सितम्बर 2024, शुक्रवार एकादशी श्राद्ध

29 सितम्बर 2024, रविवार द्वादशी श्राद्ध

30 सितम्बर 2024, सोमवार त्रयोदशी श्राद्ध

1 अक्टूबर 2024, मंगलवार चतुर्दशी श्राद्ध

2 अक्टूबर 2024, बुधवार सर्वपित्रू अमावस्या

पितृ पक्ष या श्राद्ध अपने पितर,भगवान, परिवार और वंश के प्रति श्रद्धा प्रकट करने का शुभ समय है। इस दौरान अपने पूर्वजों को याद करें और उनका तर्पण करवा कर उन्हें शांति और तृप्ति दें। ऐसा करने उनका आशीर्वाद सदा बना रहता है। पितृ पक्ष एक धार्मिक अनुष्ठान है जो पूर्वजों के प्रति सम्मान और श्रद्धा प्रकट करता है।

श्राद्ध करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और उनका आशीर्वाद बना रहता है। श्राद्ध से जुड़े नियम कायदे-कानून को बहुत कम लोग जानते हैं। मगर इसे जानना जरूरी भी होता है। जो विधिपूर्वक श्राद्ध नहीं करते वो अपने पूर्वजों के कोप का भाजन बनते हैं। पितरों को पिंडदान के साथ कुशा चावल, तिल, जल और जौ आटे से तर्पण किया जाता है।

Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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