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Shradh Paksha 2023: कितने तरह से श्राद्ध करते हैं, क्या इस दौरान बने भोजन में तुलसी का पत्ता डाल सकते हैं ?

Shradh Paksha 2023: श्राद्ध पक्ष में पितरों के भोजन में किस बात का ध्यान रखें और श्राद्ध कितने प्रकार और कैसे होता है , जानिए.

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 29 Sept 2023 6:00 AM IST (Updated on: 29 Sept 2023 9:15 AM IST)
Shradh Paksha 2023: कितने तरह से श्राद्ध करते हैं, क्या इस दौरान बने भोजन में तुलसी का पत्ता डाल सकते हैं ?
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Pitru Paksha Shradh Paksha 2023: 29 सितंबर से श्राद्ध पक्ष शुरू हो रहा है। इस दौरान श्राद्ध तर्पण और पितरों को भोजन दिया जाता है। श्राद्ध पक्ष में पितरों के तर्पण के लिए कई काम होते हैं। अपने पितरों को प्रसन्न करने के लिए उनके द्वारा अनेक उपाय भी किए जाते हैं, लेकिन हम आपको बताते हैं कि यदि आप अपने पितरों को जल्द प्रसन्न करना चाहते हैं तो तुलसी पत्र का प्रयोग अवश्य करें। तर्पण और श्राद्ध में गंगाजल, दूध, शहद, दौहित्र, कुश और तिल जरूरी हैं। केले के पत्ते पर श्राद्ध का भोजन निषेध है। सोने, चांदी, कांसे, तांबे के पात्र उत्तम हैं।

श्राद्ध में जरूरी है

तुलसी से पितृगण प्रसन्न होते हैं। ऐसी धार्मिक मान्यता है कि पितृगण गरुड़ पर सवार होकर विष्णु लोक को चले जाते हैं। तुलसी से पिंड की पूजा करने से पितर लोग प्रलयकाल तक संतुष्ट रहते हैं।लेकिन ध्यान रहे कि पिंड पूजा तुलसी पत्र से करने पर पितृ प्रसन्न होते हैं, लेकिन ब्राह्मणों को परोसे हुए भोजन पात्र में तुलसी पत्र निषिद्ध है। अगर भोजन पात्र में तुलसी पत्र पडा हो तो पितृ निराश होकर बिना भोजन किये चले जाते हैं। वो इसलिए कि पितृ ऐसा मानते हैं कि जिस पर तुलसी पत्र रखा वो भोजन देवताओं के लिए ही है, हमारे लिए नहीं है।

रेशमी, कंबल, ऊन, लकड़ी, कुश आदि के आसन श्रेष्ठ हैं। आसन में लोहा किसी भी रूप में प्रयुक्त नहीं होना चाहिए।

चना, मसूर, उड़द, कुलथी, सत्तू, मूली, काला जीरा, कचनार, खीरा, काला उड़द, काला नमक, लौकी, बड़ी सरसों, काले सरसों की पत्ती और बासी, अपवित्र फल या अन्न श्राद्ध में निषेध हैं।

श्राद्ध कितने तरह से करते हैं

भविष्य पुराण के अनुसार श्राद्ध 12 तरह के होते हैं, जो है

1- नित्य

2- नैमित्तिक

3- काम्य

4- वृद्धि

5- सपिण्डन

6- पार्वण

7- गोष्ठी

8- शुद्धर्थ

9- कर्मांग

10- दैविक

11- यात्रार्थ

12- पुष्टयर्थ

श्राद्ध कर्म कैसे करें

  • तर्पण- इसमें दूध, तिल, कुशा, पुष्प, गंध मिश्रित जल पितरों को तृप्त करने हेतु दिया जाता है। श्राद्ध पक्ष में इसे नित्य करने का विधान है। भोजन व पिण्डदान- पितरों के निमित्त ब्राह्मणों को भोजन दिया जाता है। श्राद्ध करते समय चावल या जौ के पिण्डदान भी किए जाते हैं। वस्त्रदान- वस्त्र दान देना श्राद्ध का मुख्य लक्ष्य भी है।
  • दक्षिणा दान- यज्ञ की पत्नी दक्षिणा है जब तक भोजन कराकर वस्त्र और दक्षिणा नहीं दी जाती उसका फल नहीं मिलता।श्राद्ध तिथि के पूर्व ही यथाशक्ति विद्वान ब्राह्मणों को भोजन के लिए बुलावा दें। श्राद्ध के दिन भोजन के लिए आए ब्राह्मणों को दक्षिण दिशा में बैठाएं।
  • पितरों की पसंद का भोजन दूध, दही, घी और शहद के साथ अन्न से बनाए गए पकवान जैसे खीर आदि है। इसलिए ब्राह्मणों को ऐसे भोजन कराने का विशेष ध्यान रखें।
  • तैयार भोजन में से गाय, कुत्ते, कौए, देवता और चींटी के लिए थोड़ा सा भाग निकालें। इसके बाद हाथ जल, अक्षत यानी चावल, चन्दन, फूल और तिल लेकर ब्राह्मणों से संकल्प लें।
  • कुत्ते और कौए के निमित्त निकाला भोजन कुत्ते और कौए को ही कराएं , देवता और चींटी का भोजन गाय को खिला सकते हैं। इसके बाद ही ब्राह्मणों को भोजन कराएं। भोजन कराने के बाद ब्राह्मणों के मस्तक पर तिलक लगाकर यथाशक्ति कपड़े, अन्न और दक्षिणा दान कर आशीर्वाद पाएं।
  • ब्राह्मणों को भोजन के बाद घर के द्वार तक पूरे सम्मान के साथ विदा करके आएं। क्योंकि ऐसा माना जाता है कि ब्राह्मणों के साथ-साथ पितर लोग भी चलते हैं। ब्राह्मणों के भोजन के बाद ही अपने परिजनों, दोस्तों और रिश्तेदारों को भोजन कराएं।
  • पिता का श्राद्ध पुत्र को ही करना चाहिए। पुत्र के न होने पर पत्नी श्राद्ध कर सकती है। पत्नी न होने पर सगा भाई और उसके भी अभाव में सपिंडो (परिवार के) को श्राद्ध करना चाहिए। एक से अधिक पुत्र होने पर सबसे बड़ा पुत्र श्राध्दकर्म करें या सबसे छोटा ।
Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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