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ताश में छिपे भूत-भविष्य के राज, खेल-खेल में बताते हैं कल और आज
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लखनऊ: ताश के पत्तों से लोगों को खेलते हुए तो आपने जरूर देखा होगा। संभव है कि आपने भी इस खेल को खेला हो, लेकिन ताश के पत्ते सिर्फ मनोरंजन ही नहीं करते या सफर में आपके समय काटने में सहायक ही नहीं होते हैं। बल्कि इनसे आप अपना भविष्य और किसी कार्य में सफलता मिलेगी या नहीं और मिलेगी तो कब इस सवाल का जवाब खुद जान सकते हैं। बस आपको करना इतना है।साथ ही जानें ताश का इतिहास।
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ज्योतिष में भी कमाल
प्राचीन काल में ज्योतिष के लिए भी ताश का प्रयोग किया जाता था। ताश का संबंध नक्षत्र विद्या से भी रहा है। ताश के कुल 52 पत्ते होते हैं और साल में कुल 52 सप्ताह होते है इसी प्रकार 12 शाही पत्ते (गुलाम, बेगम, बादशाह) 12 महीनों के प्रतीक हैं। यदि 10 के पश्चात गुलाम-बेगम-बादशाह को क्रमश: 11,12,13 मान लिया जाए तो जोकर सहित चिह्नों का योग 365 आता है जो एक साल का प्रतीक है।
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यदि लाल रंग का इक्का आता है तो यह संकेत है कि आप जिस प्रश्न या कार्य के बारे में प्रश्न कर रहे हैं वह काम बहुत ही जल्दी सफलता पूर्वक पूरा होगा। इक्का यदि काले रंग का इक्का आता है तब कार्य संभव है लेकिन इसमें काफी समय लग सकता है। कार्ड का अगर दुक्की आता है तो आपको अपने कार्य में सफलता के लिए बहुत अधिक परिश्रम करना होगा।
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तिक्की आने पर कार्य सफल होगा, लेकिन काफी कठिनाई आएगी। नंबर 4 आने पर यह संकेत मिलता है कि आपका काम बन जाएगा और इसमें आपको लाभ भी मिल सकता है। अगर अंक 5 आता है तो यह संकेत है कि काम बनने में देरी होगी। काम में काफी बाधाओं का भी सामना करना होगा।
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ताश के पत्ते का अंक 6 आता है तो यह माना जाता है कि काम में जल्दी सफलता मिलेगी। अंक 7 आने पर यह माना जाता है कि आपका काम आधा अधूरा बनेगा। 8 अंक आने पर यह संकेत समझना चाहिए कि काम बन सकता है लेकिन किसी का सहयोग लेना पड़ेगा। अंक 9 का मतलब यह होता है कि काम एक बार में पूरा नहीं होगा।
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गुलाम का क्या है मतलब
अगर 10 नंबर का कार्ड आता है तो यह भी शुभ माना जाता है इससे आपका काम आसानी से बनता है। यह पत्ता है गुलाम। अगर यह आपके हाथों में आता है तो इसका मतलब है कि आपका काम बहुत ही मुश्किल से बनेगा। यानी काम बनना कठिन होगा। यह है ताश का बादशाह। इस पत्ते का आना यह संकेत माना जाता है कि आपका बहुत ही जल्द और आसानी से बनेगा।
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यह पत्ता है ताश के बादशाह के बेगम की। यह पत्ता आपके हाथों में आने का मतलब है कि विपरीत लिंग के व्यक्ति के सहयोग से काम बनेगा। यानी आप पुरुष हैं तो किसी महिला के सहयोग से और महिला हैं तो पुरुष के सहयोग से आपका काम बन जाएगा।
ताश के पत्तों से भविष्य जानने की विधि के बारे में अंक ज्योतिष का यह कहना है कि अगर आपकी ग्रह दशा अनुकूल चल रही है और ताश के पत्तों में सम संख्या जैसे 2, 4, 6, 8 या 10 आता है तो यह आपके लिए शुभ सूचक है। इससे आपको कार्य में सफलता एवं लाभ मिलने की संभावना बनती है। जबकि विषम संख्या आने पर काम बनने में बाधा आती है। लाल रंग का पत्ता कामयाबी का सूचक होता है तो काला पत्ता बाधक माना जाता है। तो आप भी उठाइये ताश के पत्ते और जानिए अपना भविष्य।
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मनोरंजन का साधन
ताश मनोरंजन और समय व्यतीत करने का लोकप्रिय साधन है। ब्रिटेन में भी क्रिसमस के दिनों में ताश की हजारों जोडिय़ां बिक जाती हैं। ताश के खेल का कब अविष्कार हुआ इसको लेकर कई मतभेद हैं। कुछ लोग इसका उद्गम मिस्त्र से मानते हैं। यूरोप में १३वीं शताब्दी में ताश के खेलों का प्रचलन शुरू हुआ। लोग इसे 'टरोटस' कहा करते हैं। एक कथा के अनुसार ताश का अविष्कार शैतान ने किया था। एक अन्य कथा के अनुसार १२वीं शताब्दी में ताश का अविष्कार एक चीनी सम्राट की रखैलों के लिए किया गया था।
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पहले 22 पत्ते अब 52
पहले पहल ताश के 22 पत्ते हुआ करते थे बाद में जर्मनवासियों ने पत्तों की संख्या बढ़ाकर 78 कर दी। फ्रांसीसियों ने बाद में 52 पत्तों वाली ताश निकाली। फ्रांस के लोगों ने ताश को बराबर हिस्सों में बांटा। हुकुम, चिड़ी, ईंट, पान का नाम भी फ्रांसीसियों ने दिया। ताश के बादशाह पर राजा का टयूडर की पोशाक देखने को मिलती है। पहले ताश बहुत कीमती और कलात्मक हुआ करते थे, क्योंकि तब ताश छापाखानों में नहीं छपते थे, बल्कि हाथ से पेंट करके तैयार किया जाता था। इसीलिए ताश अमीरों तक सीमित थे। परंतु अब ये जनसाधारण का खेल बन गई है।
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कहीं गजंफा तो कहीं तारोन
भारत में जो प्राचीन ताश मिले हैं उसका आकार गोल या चपटा ही था जो हाथी दांत के बने हुए थे। मुगल बादशाह अकबर भी ताश के काफी शौकीन थे। आईने अकबरी में इस खेल को सम्राट अकबर 'गजंफा' कहा करते थे। १४वीं शताब्दी में इटली में ताश का प्रचलन हो चुका था तब इटली के लोग इसे 'तारोन' कहा करते थे। एक लोक कथा के अनुसार एक राजा को अपनी दाढ़ी के बाल उखाडऩे की बुरी आदत थी।
वह उठते-बैठते बातचीत करते समय बाल नोंचा करते थे। उसकी एक रानी को राजा की ये आदत कतई पसंद नहीं थी अत: किसी खेल में व्यस्त रखने के लिए रानी ने ताश का अविष्कार किया। राजा जब ताश खेलने में मग्न हो जाता तो दाढ़ी के बाल नोंचना भी भूल जाता। उस समय रानी ने ताश गोलाकार बनाई थी। सबसे छोटों पत्तों वाली ताश भारत में विद्यमान हैं जिसके पत्ते की लंबाई मात्र 8 मिलीमीटर है।
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