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Putrada Ekadashi 2022 Kab Hai Date : जनवरी 2022 में पुत्रदा एकादशी कब है?, जानिए मुहूर्त और पारण और किसने किया था पहले व्रत
Putrada Ekadashi 2022 Kab Hai Date :त्रदा एकादशी को साल में दो बार आती है। साल की पहली पुत्रदा एकादशी को पौष पुत्रदा एकादशी या पौष शुक्ल पुत्रदा एकादशी कहते हैं। यह एकादशी दिसंबर या जनवरी महीने में आती है। दूसरी पुत्रदा एकादशी को श्रावण पुत्रदा एकादशी कहते हैं। यह जुलाई या अगस्त के महीने में आती है।
Putrada Ekadashi Kab Hai 2022 पुत्रदा एकादशी कब है?
पौष माह (Paush Maah) के कृष्ण पक्ष की एकादशी को सफला और शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा एकादशी (Putrada Ekadashi) कहते हैं। तो आने वाले साल 2022 में जनवरी माह में पुत्रदा एकादशी पौष के शुक्ल पक्ष में 13 जनवरी को है।पौष मास में 13 जनवरी 2022 को बुदधिमान और दीर्घायु संतान के लिए पुत्रदा एकादशी करते हैं। इस दिन सृष्टि के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा और व्रत की जाती है। वैसे तो सारी एकादशियों का अपना महत्व है, लेकिन बैकुंठ या पुत्रदा एकादशी का अपना महत्व है। इस दिन व्रत और पूजा से भगवान विष्णु की कृपा मिलती है। इस साल 2022 में पुत्रदा एकादशी 13 जनवरी को पड़ेगी।
पुत्रदा एकादशी के दिन संतान की लंबी आयु और संतान प्राप्ति की कामना करने वाली महिलाएं पुत्रदा एकादशी के व्रत को करती हैं। पुत्रदा एकादशी को साल में दो बार आती है। साल की पहली पुत्रदा एकादशी को पौष पुत्रदा एकादशी या पौष शुक्ल पुत्रदा एकादशी कहते हैं। यह एकादशी दिसंबर या जनवरी महीने में आती है। दूसरी पुत्रदा एकादशी को श्रावण पुत्रदा एकादशी कहते हैं। यह जुलाई या अगस्त के महीने में आती है।
देवशयनी एकादशी का शुभ मुहूर्त
पुत्रदा एकादशी के दिन धनु राशि मे ंसूर्य और वृष राशि में चंद्रमा रहेंगे और नक्षत्र कृतिका रहेगा।
पौष पुत्रदा एकादशी वार - गुरुवार, 13 जनवरी 2022
एकादशी तिथि शुरू - 12 जनवरी 2022 शाम 04:49 बजे
एकादशी तिथि समाप्त -13 जनवरी 2022 शाम 07:32 बजे
पौष पुत्रदा एकादशी पारणा मुहूर्त :07:15 से 09:21 तक 14, जनवरी को अवधि :2 घंटे 6 मिनट
शुभ काल
- अभिजीत मुहूर्त -12:14 PM से 12:56 PM
- अमृत काल - 02:24 PM से 04:13 PM
- ब्रह्म मुहूर्त -05:38 AM से 06:26 AM
- रवि योग- 06:45 AM से 05:07 PM
पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत रखने वालों को व्रत से पहले दशमी के दिन एक समय सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए। संयमित और ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। पौष पुत्रदा एकादशी के दिन ओम नमो भगवते वासुदेवाय, विष्णु सहस्रनाम स्तोत्रम, विष्णु अष्टोत्रम का मंत्र का जाप करेंगे तो अच्छा रहेगा। साथ में संतान गोपाल मंत्र का जाप करें । इसके लिए इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। इसके बाद विष्णु सहस्रनाम स्तोत्रम का पाठ करें। व्रत के दिन अनाज या चावल के सेवन से बचना चाहिए। पूरे दिन भगवान विष्णु का ध्यान लगाना चाहिए। शाम को विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा और आरती के बाद गरीबों या जरूरतमंद को दान देना चाहिए।
पुत्रदा एकादशी किसने किया था व्रत
धर्मानुसार किसी समय भद्रावती नगर में राजा सुकेतु का राज्य था। उसकी पत्नी का नाम शैव्या था। संतान नहीं होने की वजह से दोनों पति-पत्नी दुःखी रहते थे। एक दिन राजा और रानी मंत्री को राजपाठ सौंपकर वन को चले गये। इस दौरान उनके मन में आत्महत्या करने का विचार आया लेकिन उसी समय राजा को यह बोध हुआ कि आत्महत्या से बढ़कर कोई पाप नहीं है। अचानक उन्हें वेद पाठ के स्वर सुनाई दिये और वे उसी दिशा में बढ़ते चलें। साधुओं के पास पहुंचने पर उन्हें पौष पुत्रदा एकादशी के महत्व का पता चला। इसके बाद दोनों पति-पत्नी ने पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत किया और इसके प्रभाव से उन्हें संतान की प्राप्ति हुई। इसके बाद से ही पौष पुत्रदा एकादशी का महत्व बढ़ने लगा। वे दंपती जो निःसंतान हैं उन्हें श्रद्धा पूर्वक पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत अवश्य करना चाहिए।
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