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Putrada Ekadashi 2023 Kab Hai Date : पुत्रदा एकादशी 2023 पौष माह में कब पड़ेगा, जानिए सही तिथि, मुहूर्त और विधि

Putrada Ekadashi 2023 Kab Hai Date : पुत्रदा एकादशी को साल में दो बार आती है। साल की पहली पुत्रदा एकादशी को पौष पुत्रदा एकादशी या पौष शुक्ल पुत्रदा एकादशी कहते हैं। यह एकादशी दिसंबर या जनवरी महीने में आती है। दूसरी पुत्रदा एकादशी को श्रावण पुत्रदा एकादशी कहते हैं। यह जुलाई या अगस्त के महीने में आती है।

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 2 Jan 2023 6:15 AM IST (Updated on: 2 Jan 2023 7:24 AM IST)
Putrada Ekadashi Kab Hai 2023
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सांकेतिक तस्वीर ( सौ. से सोशल मीडिया)

Putrada Ekadashi Kab Hai 2023

पुत्रदा एकादशी 2023 कब है ?

आने वाले साल 2023 में जनवरी माह में पुत्रदा एकादशी पौष के शुक्ल पक्ष में 2 जनवरी को है।पौष मास में पुत्रदा एकादशी बुदधिमान और दीर्घायु संतान के लिए करते हैं। इस दिन सृष्टि के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा और व्रत की जाती है। वैसे तो सारी एकादशियों का अपना महत्व है, लेकिन बैकुंठ या पुत्रदा एकादशी का अपना महत्व है। इस साल 2023 में पुत्रदा एकादशी 2 जनवरी को पड़ेगी।

पुत्रदा एकादशी के दिन संतान की लंबी आयु और संतान प्राप्ति की कामना करने वाली महिलाएं पुत्रदा एकादशी के व्रत को करती हैं। पुत्रदा एकादशी को साल में दो बार आती है। साल की पहली पुत्रदा एकादशी को पौष पुत्रदा एकादशी या पौष शुक्ल पुत्रदा एकादशी कहते हैं। यह एकादशी दिसंबर या जनवरी महीने में आती है। दूसरी पुत्रदा एकादशी को श्रावण पुत्रदा एकादशी कहते हैं। यह जुलाई या अगस्त के महीने में आती है।

पुत्रदा एकादशी का शुभ मुहूर्त

पौष पुत्रदा एकादशी नए साल में 02 जनवरी 2023 को ही मनाई जाएगी। पौष पुत्रदा एकादशी की शुरुआत 01 जनवरी 2023 को शाम 07. 11 मिनट पर होगी और इसका समापन 02 जनवरी 2023 को शाम 08 .23 मिनट पर होगा। पौष पुत्रदा एकादशी का पारण 03 जनवरी 2023 को सुबह 07.12 मिनट से 09 . 25 मिनट तक रहेगा।

पुत्रदा एकादशी के दिन धनु राशि में सूर्य और 08:52 PM तक मेष राशि उपरांत वृषभ राशि पर संचार करेगा और नक्षत्र भरणी 02:23 PM तक उपरांत कृत्तिका रहेगा।

पौष पुत्रदा एकादशी वार - सोमवार, 2 जनवरी 2023

एकादशी तिथि शुरू -1 जनवरी 2023 शाम 07. 11

एकादशी तिथि समाप्त -2 जनवरी 2023 शाम 08 .23

पौष पुत्रदा एकादशी पारणा मुहूर्त :07:12 से 09:25 तक 3, जनवरी को अवधि :2 घंटे 6 मिनट

पुत्रदा एकादशी का शुभ काल

अभिजीत मुहूर्त -12:09 PM से 12:51 PM

अमृत काल -09:16 AM से 10:59 AM

ब्रह्म मुहूर्त -05:36 AM से 06:24 AM

रवि योग- 06:45 AM से 05:07 PM

पौष पुत्रदा एकादशी पूजन विधि

पौष पुत्रदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। व्रत रखने से एक दिन पहले भक्तों को सात्विक भोजन ही ग्रहण करना चाहिए। इसके अलावा व्रती महिला या पुरुष को संयमित और ब्रह्मचर्य का भी पालन करना चाहिए। आगले दिन व्रत शुरू करने के लिए सुबह उठकर स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लें, और भगवान विष्णु का ध्यान करें। गंगाजल, तुलसीदल, फूल, पंचामृत से भगवान विष्णु की पूजा करें। पुत्रदा एकादशी का व्रत रखने वाली महिला या पुरुष निर्जला व्रत करें। यदि आपका स्वास्थ्य ठीक नहीं है, तो शाम को दीपक जलाने के बाद फलाहार कर सकते हैं। व्रत के अगले दिन द्वादशी पर किसी ब्राह्मण व्यक्ति या किसी जरूरतमंद को भोजन कराएं, और दान दक्षिणा दें। उसके बाद ही व्रत का पारण करें। पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत रखने वालों को व्रत से पहले दशमी के दिन एक समय सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए। संयमित और ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। पौष पुत्रदा एकादशी के दिन ओम नमो भगवते वासुदेवाय, विष्णु सहस्रनाम स्तोत्रम, विष्णु अष्टोत्रम का मंत्र का जाप करेंगे तो अच्छा रहेगा। साथ में संतान गोपाल मंत्र का जाप करें । इसके लिए इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। इसके बाद विष्णु सहस्रनाम स्तोत्रम का पाठ करें। व्रत के दिन अनाज या चावल के सेवन से बचना चाहिए।

पुत्रदा एकादशी पर संतान प्राप्ति के लिए करें ये उपाय

सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद पति-पत्नी एक साथ भगवान श्री कृष्ण की उपासना करें। बाल गोपाल को लाल, पीले फूल, तुलसी दल और पंचामृत अर्पित करें।

पति-पत्नी संतान गोपाल मंत्र का जाप करें।

मंत्र का जाप करने और पूजा खत्म होने के बाद प्रसाद ग्रहण करें।

जरूरतमंदों को दान दक्षिणा दें और भोजन कराएं।

पुत्रदा एकादशी किसने किया था व्रत

धर्मानुसार किसी समय भद्रावती नगर में राजा सुकेतु का राज्य था। उसकी पत्नी का नाम शैव्या था। संतान नहीं होने की वजह से दोनों पति-पत्नी दुःखी रहते थे। एक दिन राजा और रानी मंत्री को राजपाठ सौंपकर वन को चले गये। इस दौरान उनके मन में आत्महत्या करने का विचार आया लेकिन उसी समय राजा को यह बोध हुआ कि आत्महत्या से बढ़कर कोई पाप नहीं है। अचानक उन्हें वेद पाठ के स्वर सुनाई दिये और वे उसी दिशा में बढ़ते चलें। साधुओं के पास पहुंचने पर उन्हें पौष पुत्रदा एकादशी के महत्व का पता चला। इसके बाद दोनों पति-पत्नी ने पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत किया और इसके प्रभाव से उन्हें संतान की प्राप्ति हुई। इसके बाद से ही पौष पुत्रदा एकादशी का महत्व बढ़ने लगा। वे दंपती जो निःसंतान हैं उन्हें श्रद्धा पूर्वक पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत अवश्य करना चाहिए।

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Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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