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Radha Ashtami Ka Mahatva:राधा अष्टमी पर करें महामंत्र का जाप, मिलेगी जन्म-जन्मातंर के पापों से मुक्ति, जानिए महत्व और कथा

Radha Ashtami Ka Mahatva: राधा के बिना कृष्ण निर्थक है। राधा कृष्ण की पूर्णता का आभास करवाता है राधा अष्टमी व्रत। जानते हैं इसकी महिमा और कथा

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 11 Sept 2024 7:45 AM IST (Updated on: 11 Sept 2024 7:47 AM IST)
Radha Ashtami Ka Mahatva:राधा अष्टमी पर करें महामंत्र का जाप, मिलेगी जन्म-जन्मातंर के पापों से मुक्ति, जानिए महत्व और कथा
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Radha Ashtami Ka Mahatva राधा अष्टमी का महत्व

भाद्रपद शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को बरसाने में राधा जी का जन्म हुआ था।इस साल राधा अष्टमी शनिवार, 11 सितंबर को मनाई जाएगी। जो कृष्ण के प्रेम में लीन होता है, राधा कहलाता है। राधा नाम का अर्थ है जन्म-जन्मातंर के पापों से मुक्ति, प्रेम मिलन, और बंधन से मुक्ति का मार्ग जो दें वो है राधा जी।

कहते हैं कि राधा जी की पूजा से श्रीकृष्ण प्रसन्न होते हैं। जो भी साधक भक्ति भाव से राधा जी को पूजता है। वह इस लोक के सुख को भोग को परमधाम को प्राप्त करता है।राधा जी के पूजन से निसंतान के संतान और वैवाहिक जीवन में प्रेम रस की प्रधानता रहती है। जन्माष्टमी कथा का श्रवण करने से भक्त सुखी, धनी और सर्वगुणसंपन्न बनता है, भक्तिपूर्वक श्री राधाजी का मंत्र जाप और स्मरण मोक्ष प्रदान करता है। श्रीमद देवी भागवत में कहा गया है कि जो राधा की पूजा करता है उसे ही कृष्ण की पूजा का अधिकार है। राधा अष्टमी का व्रत विशेष पुण्य प्रदान करने वाला माना गया है। इस व्रत को सभी प्रकार के कष्टों को दूर करने वाला बताया गया है। सुहागिन स्त्रियां इस दिन व्रत रखकर राधा जी की विशेष पूजा करती हैं। इस दिन पूजा करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। राधा अष्टमी का पर्व जीवन में आने वाली धन की समस्या की भी दूर करता है। राधा जी की इस दिन पूजा करने भगवान श्रीकृष्ण का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस व्रत को रखने से जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है ।

राधा अष्टमी की धार्मिक कथा

राधाष्टमी कथा, राधा जी के जन्म से संबंधित है। राधाजी, वृषभानु गोप की पुत्री थी। राधाजी की माता का नाम कीर्ति था। पद्मपुराण में राधाजी को राजा वृषभानु की पुत्री बताया गया है। इस ग्रंथ के अनुसार जब राजा यज्ञ के लिए भूमि साफ कर रहे थे, तब भूमि कन्या के रुप में इन्हें राधाजी मिली थी। राजा ने इस कन्या को अपनी पुत्री मानकर इसका लालन-पालन किया।

सके साथ ही ये कथा भी मिलती है कि भगवान विष्णु ने कृष्ण अवतार में जन्म लेते समय अपने परिवार के अन्य सदस्यों से पृथ्वी पर अवतार लेने के लिए कहा था, तब विष्णु जी की पत्नी लक्ष्मी जी, राधा के रुप में पृथ्वी पर आई थी। ब्रह्म वैवर्त पुराण के अनुसार राधाजी, श्रीकृष्ण की सखी थी। लेकिन उनका विवाह रापाण या रायाण नाम के व्यक्ति के साथ सम्पन्न हुआ था। ऐसा कहा जाता है कि राधाजी अपने जन्म के समय ही वयस्क हो गई थी। राधाजी को श्रीकृष्ण की प्रेमिका माना जाता है।

ऐसी मान्यता है कि इसी दिन व्रज में श्रीकृष्ण के प्रेयसी राधा का जन्म हुआ था। पुराणों के अनुसार, राधा भी श्रीकृष्ण की तरह ही अनादि और अजन्मी हैं, उनका जन्म माता के गर्भ से नहीं हुआ। इस पुराण में राधा के संबंध में बहुत ही ऐसी बातें बताई गई हैं जो बहुत कम लोग जानते हैं। राधाजी का जन्म जन्माष्टमी के बाद ब्रज के रावल गांव में राधा जी का जन्म हुआ । कहते हैं कि जो राधा अष्टमी का व्रत नहीं रखता, उसे जन्माष्टमी व्रत का फल नहीं मिलता। भाद्रपद शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को राधाष्टमी व्रत रखा जाता है। पुराणों में राधा-रुक्मिणी को एक ही माना जाता है। जो लोग राधा अष्टमी के दिन राधा जी की उपासना करते हैं, उनका घर धन संपदा से सदा भरा रहता है। राधा अष्टमी के दिन ही महालक्ष्मी व्रत का आरंभ भी होता है।

राधा अष्टमी पर मंत्र जाप

राधाष्टमी के दिन यदि राधा रानी की पूरे विधि विधान से पूजा अर्चना की जाए और कुछ विशेष मंत्रों का जाप किया जाए तो भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और कष्टों का निवारण होता है।

मंत्रैर्बहुभिर्विन्श्वर्फलैरायाससाधयैर्मखै: किंचिल्लेपविधानमात्रविफलै: संसारदु:खावहै।

एक: सन्तपि सर्वमंत्रफलदो लोपादिदोषोंझित:, श्रीकृष्ण शरणं ममेति परमो मन्त्रोड्यमष्टाक्षर।।

आपको धन संबंधी समस्या है तो राधा अष्टमी के दिन राधा रानी के इस सप्ताक्षर मंत्र का सवा लाख बार जप करेंगे तो लाभ मिलेगा।

ओम ह्रीं राधिकायै नम:।

ओम ह्रीं श्रीराधायै स्वाहा।

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Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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