TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

राखीः अद्भुत हैं ये कहानियां, पढ़ेंगे तो धागे की ताकत का मान लेंगे लोहा

महाभारत में भी इस बात का उल्लेख है कि जब ज्येष्ठ पाण्डव युधिष्ठिर ने भगवान कृष्ण से पूछा कि मैं सभी संकटों को कैसे पार कर सकता हूँ तब भगवान कृष्ण ने उनकी तथा उनकी सेना की रक्षा के लिये राखी का त्योहार मनाने की सलाह दी थी।

Newstrack
Published on: 29 July 2020 4:58 PM IST
राखीः अद्भुत हैं ये कहानियां, पढ़ेंगे तो धागे की ताकत का मान लेंगे लोहा
X

राखी 3 अगस्त को है। ये भाई बहन के प्यार का त्योहार है। लेकिन इसी दिन रक्षा सूत्र बंधन का पर्व भी है। ये रक्षा सूत्र घरों के बंधे हुए पंडित पुरोहित अपने यजमान को बांधते हैं और शिष्य अपने गुरुओं को आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए बांधते हैं।

रक्षा सूत्र बंधन का तो पौराणिक महत्व विष्णु के वामन अवतार से जुड़ा है लेकिन क्या आपको पता है कि राखी का पर्व भी हमारे यहां पौराणिक महत्व का रहा है।

इंद्राणी ने इंद्र को बांधी थी

पुराणों में कहा गया है कि देव और दानवों में जब युद्ध शुरू हुआ तब दानव हावी होने लगे। इससे घबड़ाकर भगवान इन्द्र देवगुरु बृहस्पति के पास गये। इन्द्र की पत्नी इंद्राणी यह सब सुन रही थीं। उन्होंने तत्काल रेशम का धागा मन्त्रों की शक्ति से पवित्र करके अपने पति के हाथ पर बाँध दिया। संयोग से यह श्रावण पूर्णिमा का दिन था। लोगों का विश्वास है कि इन्द्र इस लड़ाई में इसी धागे की मन्त्र शक्ति से ही विजयी हुए थे। उसी दिन से श्रावण पूर्णिमा के दिन यह धागा बाँधने की प्रथा चल पड़ी। यह धागा धन, शक्ति, हर्ष और विजय देने में पूरी तरह समर्थ माना जाता है। तमाम वर्गों में ये धागा पत्नी पति को भी बांधती है।

बुजुर्गों और बच्चों को कोरोना से ऐसे बचाएं, CM योगी ने अधिकारियों को दिया ये आदेश

भाई बहनों में कृष्ण और द्रौपदी की कहानी प्रसिद्ध है, जिसमें श्री कृष्ण की उंगली घायल होने पर द्रौपदी ने अपनी साड़ी का एक टुकड़ा फाड़कर बाँध दिया था। इस उपकार के बदले श्री कृष्ण ने द्रौपदी को किसी भी संकट मे सहायता करने का वचन दिया था। और समय आने पर दुर्योधन की सभा में द्रौपदी का चीर बढ़ाकर स्त्री मर्यादा की रक्षा की थी।

धागे की ताकत

राजस्थान का इतिहास भी बताता है कि राजपूत जब लड़ाई पर जाते थे तब महिलाएँ उनको माथे पर कुमकुम तिलक लगाने के साथ साथ हाथ में रेशमी धागा भी बाँधती थी। धागा इस विश्वास के साथ बांधा जाता था कि यह धागा उन्हे विजयश्री के साथ वापस ले आयेगा।

मेवाड़ की रानी कर्मावती को बहादुरशाह द्वारा मेवाड़ पर हमला करने की पूर्व सूचना मिली। रानी लड़ऩे में असमर्थ थी अत: उसने मुगल बादशाह हुमायूँ को राखी भेज कर रक्षा करने की याचना की। हुमायूँ ने मुसलमान होते हुए भी राखी की लाज रखी और मेवाड़ पहुँचा हालांकि उसे पहुंचने में देर हुई तब तक रानी जौहर कर चुकी थी। लेकिन एक भाई के रूप में उसका जाना याद किया जाता है।

ऐक्शन में योगी सरकार, अब नहीं बचेंगे एक भी अपराधी, शुरू हुई ये बड़ी तैयारी

एक अन्य प्रसंग के अनुसार सिकन्दर की पत्नी ने अपने पति के हिन्दू शत्रु पुरूवास को राखी बाँधकर अपना मुँहबोला भाई बनाया था और युद्ध के समय सिकन्दर को न मारने का वचन लिया था। पुरूवास ने युद्ध के दौरान हाथ में बँधी राखी और अपनी बहन को दिये हुए वचन का सम्मान करते हुए सिकन्दर को जीवन-दान दिया।

महाभारत में भी इस बात का उल्लेख है कि जब ज्येष्ठ पाण्डव युधिष्ठिर ने भगवान कृष्ण से पूछा कि मैं सभी संकटों को कैसे पार कर सकता हूँ तब भगवान कृष्ण ने उनकी तथा उनकी सेना की रक्षा के लिये राखी का त्योहार मनाने की सलाह दी थी। उनका कहना था कि राखी के इस रेशमी धागे में वह शक्ति है जिससे आप हर आपत्ति से मुक्ति पा सकते हैं। इसी लिए आम जनमानस में राखी का त्योहार मनाने की शुरुआत हुई।

पं. रामकृष्ण वाजपेयी



\
Newstrack

Newstrack

Next Story