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Rakshas Gan Kya Hota: कुंडली में गण या राक्षस गण क्या है, खास गुण होने पर भी क्यों मानते हैं इसे खराब, जानिए अपना गण, दोष और उपाय

Rakshas Gan Kya Hota: ज्योतिष में जन्म कुंडली के आधार पर जातक को तीन गणों में देव,मनुष्य और राक्षस में बांटा गया है जो जन्म नक्षत्र पर आधारित होता है। इन गणों से मनुष्य की प्रकृति का पता चलता है। वैसे तो देव गण को सर्वोत्तम मानते हैं, लेकिन मनुष्य और राक्षस गण को साधारण। राक्षस गण में जन्म लिये जातक को लोग पसंद नहीं करते और न ही उनकी प्रकृति को अच्छा मानते हैं। जानते हैं कैसे...

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 1 Jun 2024 11:00 AM IST (Updated on: 3 Jun 2024 7:55 AM IST)
Kundli Me Gan Kya Hai
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सांकेतिक तस्वीर ( सौ. से सोशल मीडिया)

Rakshas Gan Kya Hota

राक्षस गण क्या है

मनुष्य को जन्म के आधार तीन गणों में देव,मनुष्य और राक्षस में बांटा गया है जो जन्म नक्षत्र पर आधारित होता है। इन गणों से मनुष्य की प्रकृति का पता चलता है। वैसे तो देव गण को सर्वोत्तम मानते हैं, लेकिन मनुष्य और राक्षस गण को साधारण। राक्षस गण (Rakshas Gan) में जन्म लिये जातक को लोग पसंद नहीं करते और न ही उनकी प्रकृति को अच्छा मानते हैं। लेकिन ज्योतिष शास्त्र के अनुसार राक्षस को कुछ मामलों अच्छा भी माना जाता है। तमाम बुराई के बाद भी इस गण के लोगों के पास कुछ ऐसा होता है जो देव और मनुष्य गण के लोगों के लिए संभव है।

राक्षस गण की खासियत जानने से पहले कुंडली में गण ( kundli me gan) और उनके प्रकार साथ विशेषताओं पर एक नजर डालते हैं।फिर राक्षस गण के बारे में विस्तार से जानेंगे तो पहले जानते हैं....

कुंडली में गण क्या ( Kundli Me Gan Kya Hai)

किसी कुंडली में गण देखने के लिए, सबसे पहले उसके चन्द्रमा की राशि और नक्षत्र को देखा जाता है। गण तीन तरह के होते हैं- देव, राक्षस और मनुष्य गण।

ज्योतिष शास्त्र में 27 नक्षत्र है, जिनमे हर नक्षत्र के 4 पद को मिलाकर के 108 पद होते हैं, जो 12 राशियों में बंटे हैं। मतलब ये कि 12 राशियां के 27 नक्षत्र, 3 बड़े हिस्सो में विभाजित हैं - देव गण, मनुष्य गण, राक्षस गण। (हर गण में 9 नक्षत्र आते हैं)

गण के प्रकार और विशेषताएं

गण तीन होते हैं- देव, राक्षस और मनुष्य गण।ये गण अपने नाम के अनुसार ही अपने गुण रखते हैं। हर में 9 नक्षत्र होते हैं। जो चंद्र की स्थिति से पता चलता है।जैसे-

देव गण क्या होता है?- जिन जातकों का जन्म अश्विनी, मृगशिरा, पुर्नवासु, पुष्‍य, हस्‍त, स्‍वाति, अनुराधा, श्रावण, रेवती नक्षत्र में होता है, वे देव गण के जातक होते हैं।

सुंदरों दान शीलश्च मतिमान् सरल: सदा। अल्पभोगी महाप्राज्ञो तरो देवगणे भवेत्।।

इसका अर्थ है - देव गण में जन्मे जातक सुंदर, दान में विश्वास करने वाले, विचारों में श्रेष्ठ, बुद्धिमान होते हैं। इनको सादगी बेहद प्रिय है, जिस काम को करने का प्रण लेते हैं उसको करके ही मानते हैं।ये दूसरों की भलाई सोचने वाल और खुद से पहले दूसरों को खिलाते हैं।

मनुष्य गण क्या होता है? - जिन जातकों का जन्म भरणी, रोहिणी, आर्दा, पूर्वा फाल्गुनी, उत्तर फाल्गुनी, पूर्व षाढ़ा, उत्तर षाढा, पूर्व भाद्रपद, उत्तर भाद्रपद में होता है, वे मनुष्य गण के जातक होते हैं।मनुष्य गुण वाले लोग धनवान तो होते ही हैं, साथ ही धनुर्विद्या में ज्ञाता भी होते हैं। ये लोग समाज में काफी सम्मान हासिल करते हैं।

मानी धनी विशालाक्षो लक्ष्यवेधी धनुर्धर:। गौर: पोरजन ग्राही जायते मानवे गणे।।

इसका अर्थ है - ऐसे जातक स्वाभिमानी, धनी, विशाल नेत्र वाला, चतुर, अपने लक्ष्य को पाने वाला, धनुर्धर, अपने साथी लोगो को ग्रह करने वाला यानी उन पर अपनी छाप छोड़ने वाला होता है।

राक्षस गण क्या होता है? - जिन जातकों का जन्म अश्लेषा, विशाखा, कृत्तिका, चित्रा, मघा, ज्येष्ठा, मूल, धनिष्ठा, शतभिषा नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग राक्षण गण के अधीन माने जाते हैं।

उन्मादी भीषणाकार: सर्वदा कलहप्रिय:। पुरुषो दुस्सहं बूते प्रमे ही राक्षसे गण।।

राक्षस गण के जातक उन्माद से भरपूर, हमेशा कलह करने वाले, भीषण रूप वाले यानी हमेशा बिगड़े हुए दिखने वाले, दूसरों के अवगुण पहचानने वाले होते हैं। इनको गलत चीज़ें होने का पूर्वाभास भी हो जाता है।

राक्षस गण की विशेषताएं

राक्षस गण का नाम आते ही लोगों में मन में नकारात्मक सोच पनपने लगती हैं। उनके अनुसार राक्षस गुण वाले व्यक्तियों में उसके जैसे ही गुण होते हैं, लेकिन आप जानकर चौंक जाएंगे कि राक्षस गण वाले व्यक्तियों के पास एक ऐसी शक्ति होती है जो बाकी दोनों गण वाले व्यक्तियों के पास नहीं होती।

राक्षस गण वाले व्यक्तियों में एक नैसर्गिक गुण होता है। यदि उनके आस पास कोई नकारात्मक शक्ति होती हैं तो उन्हें उसका तुरंत ही अहसास हो जाता है। यही नहीं कई बार तो इनको ये शक्तियां दिखाई भी दे जाती है, लेकिन फिर भी ये शक्तियां इनका कुछ नहीं बिगाड़ पाती। इस गण वाले लोग उनसे जल्द ही भयभीत नहीं होते। राक्षस गण वाले साहसी होते हैं और किसी भी विपरीत परिस्थिति से नहीं घबराते। कृतिका, अश्लेषा, मघा, चित्रा, विशाखा, ज्येष्ठा, मूल, धनिष्ठा और शतभिषा नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग राक्षस गण के होते

किस गण से हो विवाह

शादी के वक्त अष्टकूट मिलान किया जाता है। उनमें से गण दोष देखा जाता है। ऐसा इसलिए कि गणों का सही मिलान होने पर दांपत्‍य जीवन में सुख और आनंद बना रहता है। जानते हैं किस गण के साथ उचित होता है मिलान -

  • वर-कन्‍या का समान गण होने पर दोनों के मध्‍य उत्तम सामंजस्य बनता है। ऐसा विवाह सर्वश्रेष्ठ रहता है। वर-कन्या देव गण के हों तो वैवाहिक जीवन संतोषप्रद होता है। इस स्थिति में भी विवाह किया जा सकता है।वर-कन्या के देव गण और राक्षस गण होने पर दोनों के बीच सामंजस्य नहीं रहता है। विवाह नहीं करना चाहिए।
  • उत्तम मिलान -यदि लड़का और लड़की दोनों के गण समान यानि अगर दोनों देव गण या मनुष्‍य गण के हैं तो ये मिलान उत्तम माना जाता है।
  • सामान्‍य मिलान - इसके अतिरिक्‍त अगर लड़के का गण देव और लड़की का गण मनुष्‍य हो तो भी सही है।अगर लड़का और लड़की का गण मनुष्‍य और देव हो तो ये गण मिलान सामान्‍य माना जाता है।
  • अशुभ मिलान - यदि लड़का और लड़की दोनों देव-राक्षस और राक्षस-देव गण के हों तो यह गण मिलान अशुभ समझा जाता है। क्‍योंकि राक्षस और देव का कोई मैच नहीं होता। साथ ही अगर लड़का-लड़की दोनों ही मनुष्‍य-राक्षस या राक्षस-मनुष्‍य गण के हैं तो ये गण मिलान बहुत ज्‍यादा अशुभ समझा जाता है।
  • गण दोष -ज्‍योतिषशास्‍त्र के अनुसार गण मिलान में गण दोष बनता है। उस स्थिति में जातक के जीवन में अलगाव, तलाक या वैवाहिक जीवन में समस्‍याएं आती हैं।

राक्षस गण वाले चंद्र राशि के स्वामियों में मित्रता या राशि स्वामियों के नवांशपति में भिन्नता हो तो गणदोष नहीं रहता है । ग्रहमैत्री और वर-वधु के नक्षत्रों की नाड़ियों में भिन्नता होने पर भी गणदोष का परिहार होता है। इसलिए शादी से पहले गण दोष का विचार और मिलान करके ही शादी करनी चाहिए ताकि वैवाहिक जीवन सुखद रहेगा। लेकिन इसके जातक को किसी जानकार ज्योतिष से पहले अपनी कुंडली दिखाकर ही उपाय करना चाहिए।

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Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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