Ram Lala Sanjeevani Muhurat: संजीवनी मुहूर्त में होगी प्राण प्रतिष्ठा, शुभ संयोग में रामलला आएंगे और जगेगा सबका भाग्य

Ram Lala Sanjeevani Muhurat Significance: रामलला की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को होने जा रही है, इसे लेकर देशभर में उत्साहहै। रामलला की स्थापना जिस मुहूर्त में हो रही है वो संजीवनी है, जानते हैं इसके बारे में

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 10 Jan 2024 2:45 AM GMT (Updated on: 10 Jan 2024 2:45 AM GMT)
Ram Lala Sanjeevani Muhurat: संजीवनी मुहूर्त में होगी प्राण प्रतिष्ठा, शुभ संयोग में रामलला आएंगे और जगेगा सबका भाग्य
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Ram Lala Sanjeevani Muhurat: रामलला के प्राण प्रतिष्ठा का दिन बहुत नजदीक आ गया है। देशभर में सनातन धर्मावलंबियों में उत्साह बढ़ता जा रहा है। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा संजीवनी मुहूर्त में होगी। जिसे शुभ मुहूर्त में भी सबसे शुभ माना जा रहा है। कहा जा रहा है कि रामलला की प्राण प्रतिष्ठा संजीवनी मुहूर्त में की जाएगी। कहा जा रहा है कि ये संजीवनी मुहूर्त ना केवल राम मंदिर के लिए शुभ है। बल्कि इस मूहूर्त को भारत के भाग्योदय के लिए भी शुभ संकेत माना जा रहा है। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा केवल 84 सेकंड के सूक्ष्म मुहूर्त में ही की जाएगी

मुहूर्त क्या है

उससे पहले जानते हैं कि धर्मानुसार शुभ मुहूर्त क्या है और संजीवनी मुहूर्त कब बनता है।शास्त्रों में दिन और रात को मिलाकर कुल 30 मुहूर्त बताए गए हैं, जानते हैं मुहूर्त के बारे में कुछ खास। दिन और रात के 24 घंटे के समय के अनुसार देखा जाए तो प्रात: 6 बजे से लेकर दिन-रात मिलाकर प्रात: 5 बजकर 12 मिनट तक कुल 30 मुहूर्त होते हैं। एक मुहूर्त 2 घड़ी अर्थात 48 मिनट के बराबर होता है। 24 घंटे में 1440 मिनट होते हैं:- मुहूर्त सुबह 6 बजे से शुरू होता है।

1.रुद्र, 2.आहि, 3.मित्र, 4.पितॄ, 5.वसु, 6.वाराह, 7.विश्वेदेवा, 8.विधि, 9.सतमुखी, 10.पुरुहूत, 11.वाहिनी, 12.नक्तनकरा, 13.वरुण, 14.अर्यमा, 15.भग, 16.गिरीश, 17.अजपाद, 18.अहिर, 19.बुध्न्य, 20.पुष्य, 21.अश्विनी, 22.यम, 23.अग्नि, 24.विधातॄ, 25.कण्ड, 26.अदिति जीव/अमृत, 27.विष्णु, 28.युमिगद्युति, 29.ब्रह्म और 30.समुद्रम ये मुहूर्त है।

मुहूर्त दो तरह के होते हैं शुभ मुहूर्त और अशुभ मुहूर्त। शुभ को ग्राह्य समय और अशुभ को अग्राह्‍य समय कहते हैं। शुभ मुहूर्त किसी भी मांगलिक कार्य को शुरू करने का ऐसा शुभ समय होता है जिसमें तमाम ग्रह और नक्षत्र शुभ परिणाम देने वाले होते हैं। इस समय में कार्यारंभ करने से लक्ष्यों को हासिल करने में सफलता मिलती है और काम में लगने वाली अड़चने दूर होती हैं। शुभ मुहूर्त जानते समय वक्त तिथि, वार, नक्षत्र, पक्ष, अयन, चौघड़ियां एवं लग्न आदि का भी ध्यान रखा जाता है।शुभ मुहूर्त कुल 15 है। शुभ मुहूर्त में रुद्र, श्‍वेत, मित्र, सारभट, सावित्र, वैराज, विश्वावसु, अभिजित, रोहिण, बल, विजय, नैरऋत, वरुण सौम्य और भग ये 15 मुहूर्त हैं। अमृत/जीव मुहूर्त और ब्रह्म मुहूर्त बहुत श्रेष्ठ होते हैं

संजीवनी मुहूर्त क्या है....

अब जानते हैं कि कैसे रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में संजीवनी मुहूर्त बन रहै है। रामलला की प्राण प्रतिष्‍ठा के संजीवनी मुहूर्त की कई विशेषताएं हैं। मेष लग्‍न का गुरु इस मुहूर्त का प्राण है। इसकी विशिष्‍टता यह है कि दोष उत्‍पन्‍न करने वाले पांच बाण यानी रोग बाण, मृत्‍यु बाण, चोर बाण, राज बाण और अग्नि बाण में से कोई भी बाण संजीवनी मुहूर्त में नहीं रहेगा। मुहूर्त के दौरान नौ ग्रहों में छह ग्रह मित्र के रूप में अपने घरों में रहेंगे। लगनस्‍थ गुरु सर्वदोषों का शमन करेगा। मुहूर्त में विचार किए जाने वाले कुल 16 वर्गों में 10 वर्ग भी अत्‍यंत शुभ हैं। इन शुभ 10 वर्गों में चंद्रहोरा, द्रेकाण, सप्‍तमांश, दशमांश, षोडशांश, विनशांश, भांश, त्रिंशांश, पंचतत्‍वारिंशांश, और षष्‍टत्रंश शामिल है। पांच बाण में एक भी बाण न होने से भी इन 10 वर्गों की स्थिति और सुदृढ़ रहेगी। मुहूर्त में गुरु मित्रगृही होकर नवांश में उच्‍च का रहेगा। अन्‍य ग्रहों के राहु-केतु के चारों तरफ न होकर सिर्फ दो तरफ होने से काल सर्प दोष की स्थिति भी नहीं रहेगी। सूर्य के मकर राशि में होने से पौष मास का दोष भी नहीं रहेगा। सूर्य के अभिजीत में होने से मृगशीर्ष नक्षत्र भी शुभ फलदायी होगा।यदि सोमवार के दिन रोहिणी, मृगशिरा, पुष्य, अनुराधा तथा श्रवण नक्षत्र हो तो सर्वार्थसिद्धि योग का निर्माण होता है।

रामलला के प्राण प्रतिष्‍ठा का कार्यक्रम

इसके लिए 22 जनवरी 2024 के दिन का चुनाव किया गया है। इसके पीछे पौराणिक मान्यता भी है। विष्‍णु पुराण के अनुसार भगवान विष्‍णु ने कूर्म अवतार इसी दिन लिया था जिसकी वजह से यह द्वादशी प्रभु के कूर्म रूप को समर्पित की जाती है। सनातन धर्म में वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन कूर्म जयंती मनाने का प्रचलन है। इस दिन को गृह के निर्माण कार्य अति शुभ माना जाता है।शास्त्रों और काशी के विद्वानों के द्वारा 22 जनवरी के दिन प्राण प्रतिष्‍ठा का 84 सेकंड का जो 'संजीवनी' मुहूर्त निकाला है, वह अपने आप में बेहद खास है। इस मुहूर्त में किसी तरह की ग्रह बाधा नहीं है तो मुहूर्त विश्‍व में भारत के गुरुत्‍व को बल देगा।

ज्योतिष के अनुसार रामलला की मूर्ति की स्थापना 22 जनवरी को करने का मुख्य ज्योतिष कारण, अति उत्कृष्ट और सर्व उत्तम मुहूर्त है। इस दिन सोमवार रहेगा और कूर्म द्वादशी की शुभ तिथि है। द्वादशी तिथि 21 जनवरी 2024 को सांय 7 . 27 मिनट से शुरू होगी और 22 जनवरी 2024 को सांय 7. 52 मिनट पर समाप्त हो जायेगी।

22 जनवरी के दिन अति विशिष्ट मृगशीर्ष नक्षत्र मिल रहा है और जो कि सिर्फ एक घंटे यानि की दिन के 12 बजे से 1 बजे तक रहेगा। लगभग रामजी का जन्म भी रामनवमी के दिन इसी समय हुआ था। और ये समय उससे जोड़कर भी देखा जाये तो सर्वोत्तम है।

सर्वोत्तम पुरुषोत्तम मास का ये दिन द्वादशी तिथि 07:52 PM तक

नक्षत्र म्रृगशीर्षा 04:58 AM तक

ब्रह्म और इन्द्र योग

अभिजित मुहूर्त12:16 PM – 12:59 PM

द्विपुष्कर योग - Jan 22 03:52 AM - Jan 22 07:13 AM

अमृतसिद्धि योग - Jan 22 07:13 AM - Jan 23 04:58 AM

सर्वार्थसिद्धि योग - Jan 22 07:13 AM - Jan 23 04:58 AM

16 जनवरी : मंदिर ट्रस्‍ट की ओर से नियुक्‍त यजमान द्वारा प्रायश्चित, सरयू नदी के तट पर दशविध स्‍नान और विष्‍णु पूजन और गोदान

17 जनवरी : मूर्ति के साथ भव्‍य शोभायात्रा निकलेगी, जो अयोध्‍या का भ्रण करेगी। मंगल कलश में सरयू का जल लेकर श्रद्धालु राम मंदिर पहुंचेंगे।

18 जनवरी : विधिवत प्राण प्रतिष्‍ठा की विधि का आरंभ गणेश अंबिका पूजन, वरुण पूजन, मातृका पूजन, ब्राह्मण वरण, वास्‍तु पूजन आदि से होगा।

19 जनवरी : अग्निस्‍थापन (अरणीय मंथन) द्वारा अग्नि प्राकट्य, नवग्रह स्‍थापन और हवन होगा।

20 जनवरी : मंदिर के गर्भगृह को सरयू से लाए गए 81 कलशों के जल से धोने के बाद वास्‍तु शांति और अन्‍नाधिवास कर्मकांड होंगे।

21 जनवरी : रामलला को दिव्‍य स्‍नान के बाद सुनहरे पलंग पर बच्‍चों की तरह सुलाया जाएगा।

22 जनवरी : सुबह नित्‍य पूजन के बाद मध्‍याह्न काल में प्राण प्रतिष्‍ठा महापूजा होगी।


Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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