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Ram Mandir Pran Pratishtha: जानिए 19 जनवरी को कार्यक्रम के बारे में, रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का होगा कौन सा विधान
Pran Pratishtha 19 January Program : 19 जनवरी के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम: राम मंदिर के लिए, प्राण प्रतिष्ठा से पहले सात दिवसीय अनुष्ठान में कई विधान शामिल हैं। जानते 19 जनवरी को होने वाले विधान के बारे में...
19 January Ke Pran Pratishtha Adhiwas: अयोध्या में श्रीराम अपनी जन्मस्थली पर मंदिर के गर्भगृह में 22 जनवरी 2024 के दिन स्थापित होंगे। 16 जनवरी से 22 जनवरी तक के बीच प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम की शुरुआत हो गई है। इसको लेकर 7 दिन के कार्यक्रम तय है राम लाल के प्राण प्रतिष्ठा कैसे होगी। श्री रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा योग का शुभ मुहूर्त, पौष शुक्ल कूर्म द्वादशी, विक्रम संवत 2080, यानी सोमवार, 22 जनवरी, 2024 को आ रहा है।
जानते हैं 19 जनवरी को होने वाले अधिवास के बारे में
19 जनवरी (सायं): औषधाधिवास, केसराधिवास, घृताधिवास, धान्याधिवास
प्राण प्रतिष्ठा से पहले कई अधिवास आयोजित किए जाते हैं। अधिवास वह प्रक्रिया है, जिसमें मूर्ति को कई सामग्रियों में डुबोया जाता है। इसके तहत एक रात के लिए, मूर्ति को पानी में रखा जाता है, जिसे जलाधिवास कहा जाता है। फिर इसे अनाज में डुबोया जाता है, जिसे धन्यधिवास कहा जाता है। कि ऐसी मान्यता है कि मूर्ति निर्माण के क्रम में जब किसी मूर्ति पर शिल्पकार के औजारों से चोटें आ जाती हैं, तो वह अधिवास के दौरान ठीक हो जाती हैं। मान्यता है कि यदि मूर्ति में कोई दोष है, या पत्थर अच्छी गुणवत्ता का नहीं है, तो अधिवास के क्रम में इसका पता चल जाता है। इसके बाद मूर्ति को अनुष्ठानिक स्नान कराया जाता है। इस दौरान अलग-अलग सामग्रियों से प्रतिमा का स्नान अभिषेक कराया जाता है। इस संस्कार में 108 प्रकार की सामग्रियां शामिल हो सकती हैं, जिनमें पंचामृत, सुगंधित फूल व पत्तियों के रस, गाय के सींगों पर डाला गया पानी और गन्ने का रस शामिल होता है।
औषधाधिवास- मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा से पहले प्रायश्चित्त और कर्मकूटि पूजन,मूर्ति का परिसर प्रवेश कराया जाता। फिर उसके बाद तीर्थ पूजन , जल यात्रा, जलाधिवास के गंधाधिवास किया जाता है। फिर मूर्ति को सभी औषधियों के बीच डूबो कर रखा जाता है।
केसराधिवास-तीर्थ पूजन , जल यात्रा, जलाधिवास के गंधाधिवास औषधाधिवास के बाद केसरधिवास होगा। इसमें केसर मे मूर्ति को डूबो कर रखा जाता है।
घृताधिवास- घृतधिवास का मतलब होता है मूर्ति को घी में डूबोकर रखना, ये सब मूर्ति में प्राण वायु के संचार का विधान है।
धान्याधिवास-धान्यधिवास में सभी तरह के अनाजों में मूर्ति को दबाकर रखा जाता है। इसके बाद शर्कराधिवास, फलाधिवास होता है जो अगले दिन होता है।ये सारे विधान 19 जनवरी को किये जायेंगे।
इस तरह अनुष्ठानिक कामों के बाद प्राण प्रतिष्ठा से पहले प्रतिमा को जगाने का समय आता है। इस दौरान कई मंत्रों का जाप किया जाता है, जिसमें विभिन्न देवताओं से मूर्ति के विभिन्न हिस्सों को चेतन करने के लिए कहा जाता है। सूर्य देवता से आंखें, वायु देवता से कान, चंद्र देवता से मन आदि जागृत करने का आह्वान होता है।जिस तरह इस सृष्टि में पंच तत्व समाहित है प्राण प्रतिष्ठा के विधान में उनका ध्यान रखा जाता है।
रामलला के प्राण प्रतिष्ठा की प्रकिया में या किसी भी मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा करने के लिए कई धार्मिक विधानों का पालन करना पड़ता है। राम मंदिर के लिए, प्राण प्रतिष्ठा से पहले सात दिवसीय अनुष्ठान होगा। इसमें कई विधान शामिल हैं।19 जनवरी को प्रात: फल अधिवास और शाम को धान्य अधिवास किया जाएगा। इस दौरान धान्याधिवास औषधाधिवास, केसराधिवास, घृताधिवास भी होगा। राम मंदिर में यज्ञ अग्निकुंड की स्थापना की जाएगी।
16 जनवरी: प्रायश्चित्त और कर्मकूटि पूजन
17 जनवरी: मूर्ति का परिसर प्रवेश
18 जनवरी (सायं)-तीर्थ पूजन, जल यात्रा, जलाधिवास और गंधाधिवास
19 जनवरी (सायं): औषधाधिवास, केसराधिवास, घृताधिवास, धान्याधिवास
20 जनवरी (प्रातः): शर्कराधिवास, फलाधिवास
20 जनवरी (सायं): पुष्पाधिवास
21 जनवरी (प्रातः): मध्याधिवास