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Ram Naam Satya Hai: राम नाम क्या है, जानिए क्यों सिर्फ राम नाम सत्य है बाकी सब व्यर्थ, आखिर क्यों बोला जाता है ऐसा

Ram Naam Satya Hai राम नाम ऐसा शब्द है जीवन को नया आयाम देता है। सृष्टि के कण-कण मे समाहित राम मनुष्य को सत्य से परिचित कराते है, बाकी सब क्षणिक और व्यर्थ है... जानिए कैसे राम नाम सत्य है

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 16 April 2024 4:15 PM IST (Updated on: 16 April 2024 5:12 PM IST)
Ram Naam Satya Hai: राम नाम क्या है, जानिए क्यों सिर्फ राम नाम सत्य है बाकी सब व्यर्थ, आखिर क्यों बोला जाता है ऐसा
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Ram Naam Satya Hai: कहते हैं कि दो बार राम नाम लेने से जीवन सार्थक हो जाता है। राम नाम में इतनी शक्ति है कि उसमें समस्त ब्रह्मांड समाहित हो सकता है। कहा भी गया है कि राम का नाम लेकर जो मर जायेगा, वो अमर नाम दुनिया में कर जायेगा।... आज पूरी दुनिया में हिंदू धर्मावलंबी सनातनी राम नाम की भक्ति कर रहें है हर तरफ जय सिया राम के नारे गुंजयमान है।

हम सबने राम का नाम सत्य सुना होगा, लेकिन जानते हैं क्यों है? ये एक ऐसा सवाल है जिसका जवाब हर कोई चाहता है। तो जानते है कि सिर्फ राम नाम ही सत्य क्यों है? भगवान श्री राम, हिन्दू धर्म के एक मुख्य देवता हैं और उनका नाम सत्यता, धर्म, और अध्यात्म के सिद्धांतों के साथ जुड़ा है. राम के नाम का महत्व असीम है और उनके चरित्र महाकाव्य रामायण के माध्यम से हमें सत्य की महत्वपूर्ण शिक्षाएं देती हैं, लेकिन उससे पहले जानते है कि राम नाम क्या है...

राम नाम क्या है

वर्णन है कि मह्रर्षि वाल्मीकि ने सौ करोड़ श्लोकों की रामायण बनाई और सौ करोड़ श्लोकों की रामायण को भगवान शिव के समक्ष रख दिया जो सदैव राम नाम जपते रहते हैं। उन्होनें उसका उपदेश मां पार्वती को दिया ।शिवजी ने रामायण के तीन विभाग कर त्रिलोक में बाँट दिया । तीन लोकों को तैंतीस - तैंतीस करोड़ दिए तो एक करोड़ बच गया । उसके भी तीन टुकड़े किए तो एक लाख बच गया ।उसके भी तीन टुकड़े किये तो एक हज़ार बच और उस एक हज़ार के भी तीन भाग किये तो सौ बच गया । उसके भी तीन भाग किए एक श्लोक बच गया । इस प्रकार एक करोड़ श्लोकों वाली रामायण के तीन भाग करते करते एक अनुष्टुप श्लोक बचा रह गया । एक अनुष्टुप छंद के श्लोक में बत्तीस अक्षर होते हैं उसमें दस - दस करके तीनों को दे दिए तो अंत में दो ही अक्षर बचे। भगवान शिवजी ने यह दो अक्षर रा और म आपने पास रख लिए । राम अक्षर में ही पूरी रामायण है , पूरा शास्त्र है।

राम नाम का अर्थ है। अपने भीतर के सत्य को जगाना। वह सत्य इसलिए है। क्योंकि वह नाम बरसो से चला आ रहा है। उस नाम के भीतर कोई भी बुराई नहीं है। वह एक पवित्र नाम है। जिसे निस्वार्थ होकर जब इंसान जपता है। तो मोक्ष का द्वार उसके लिए खुल जाता है। और वह इस संसार से हमेशा-हमेशा के लिए ईश्वर में लिप्त हो जाता है।

राम, राम दो बार क्यों बोलते हैं?

जब भी हम किसी से मिलते हैं तो उससे मिलने के लिए राम-राम बोलते हैं। जिसका हमें इसी शब्द में रिप्लाई मिलता है राम-राम। लेकिन कभी सोचा है कि हम सभी एक ही नाम दो बार क्यों बोलते है। यहां पर हमारे कहने का मतलब यह है हम राम, राम दो बार क्यों बोलते हैं? हालांकि यह आज से ही नहीं बल्कि आदिकाल से यह शब्द बोला जा रहा है जिसके बारे में शायद ही किसी ने कभी सोचा होगा। जानते है कि आखिर राम राम दो बार कहा जाता है।

बता दें कि दो बार "राम राम" बोलने के पीछे बड़ा गूढ़ रहस्य है क्योंकि यह आदि काल से ही चला आ रहा है हिन्दी की शब्दावली में "र" सत्ताइस्व्वां शब्द है, "आ" की मात्रा दूसरा और "म" पच्चीसवां शब्द है। अब तीनो अंको का योग करें तो 27 + 2 + 25 = 54, अर्थात एक “राम” का योग 54 हुआ। इसी प्रकार दो "राम राम" का कुल योग 108 होगा। हम जब कोई जाप करते हैं तो 108 मनके की माला गिनकर करते हैं। सिर्फ "राम राम" कह देने से ही पूरी 108 माला का जाप हो जाता है।

राम के नाम का सांस्कृतिक और भाषातात्त्विक महत्व है,राम शब्द संस्कृत के दो धातुओं, रम् और घम से बना है। रम् का अर्थ है रमना या निहित होना और घम का अर्थ है ब्रह्मांड का खाली स्थान। इस प्रकार राम का अर्थ सकल ब्रह्मांड में निहित या रमा हुआ तत्व यानी चराचर में विराजमान स्वयं ब्रह्म। शास्त्रों में लिखा है, “रमन्ते योगिनः अस्मिन सा रामं उच्यते” अर्थात, योगी ध्यान में जिस शून्य में रमते हैं उसे राम कहते हैं।

'राम' शब्द का अर्थ होता है 'आनंदमय' और 'चिन्मय'। इसका अर्थ है कि राम का नाम हमें आनंद, शान्ति, और सच्चाई की दिशा में प्रेरित करता है. राम के नाम का जाप करने से हम आत्मा के साथ जुड़े रहकर सच्चे आनंद की प्राप्ति कर सकते हैं।इसके अलावा, राम का नाम हिन्दू धर्म में एक प्रमुख मन्त्र है - "राम राम।" इस मन्त्र का जाप करने से चित्त शान्त होता है और आत्मा में आनंद की अनुभूति होती है। यह नाम सच्चे सत्य की ओर हमें प्रवृत्त करता है और एक ऊंचे आदर्श जीवन की ओर प्रेरित करता है. इस प्रकार, राम का नाम सत्य होने का कारण है, जो हमें आध्यात्मिक उन्नति और सच्चे धार्मिकता की दिशा में मार्गदर्शन करता है।

राम का नाम सत्य है क्यों बोला जाता है?

राम का नाम सत्य होने का कारण है उनके धर्मिक और नैतिक आचरण में ही छिपा हुआ है। रामायण में राम को 'मर्यादा पुरुषोत्तम' यानी 'मर्यादा के उत्तम पुरुष' कहा गया है, जिससे उनके आदर्श जीवन का संकेत होता है। राम ने अपने जीवन में धर्म, सत्य, और न्याय का पालन किया और उन्होंने अपने प्राणों के बजाय अपनी वचनबद्धता का पालन किया। उनकी पतिव्रता और परिपक्वता भी उन्हें सत्य के प्रति निष्ठावान बनाती हैं।

राम शब्द का अर्थ है – रमंति इति रामः जो रोम-रोम में रहता है, जो समूचे ब्रह्मांड में रमण करता है वहराम जीवन का मंत्र है। राम मृत्यु का मंत्र नहीं है। राम गति का नाम है, राम थमने, ठहरने का नाम नहीं है। सतत वितानीं राम सृष्टि की निरंतरता का नाम है।राम, महाकाल के अधिष्ठाता, संहारक, महामृत्युंजयी शिवजी के आराध्य हैं। शिवजी काशी में मरते व्यक्ति को(मृत व्यक्ति को नहीं) राम नाम सुनाकर भवसागर से तार देते हैं। राम एक छोटा सा प्यारा शब्द है। यह महामंत्र – शब्द ठहराव व बिखराव, भ्रम और भटकाव तथा मद व मोह के समापन का नाम है। सर्वदा कल्याणकारी शिव के हृदयाकाश में सदा विराजित राम कण-कण में रमे हैं।

राम हमारी आस्था और अस्मिता के सर्वोत्तम प्रतीक हैं। भगवान विष्णु के अंशावतार मर्यादा पुरुषोत्तम राम सर्वत्र, सर्वदा एवं प्रवाहमान महाऊर्जा का नाम है।वास्तव में राम अनादि ब्रह्म ही हैं। अनेकानेक संतों ने निर्गुण राम को अपने आराध्य रूप में प्रतिष्ठित किया है। राम नाम के इस अत्यंत प्रभावी एवं विलक्षण दिव्य बीज मंत्र को सगुणोपासक मनुष्यों में प्रतिष्ठित करने के लिए दाशरथि राम का पृथ्वी पर अवतरण हुआ है।

कबीरदास ने कहा है – आत्मा और राम एक है – आतम राम अवर नहिं दूजा। राम नाम कबीर का बीज मंत्र है। रामनाम को उन्होंने अजपा जप कहा है। यह एक चिकित्सा विज्ञान आधारित सत्य है कि हम २4 घंटों में लगभग २१६०० श्वास भीतर लेते हैं और २१६०० उच्छावास बाहर फेंकते हैं। इसका संकेत कबीरदासजी ने इस उक्ति में किया है –

सहस्र इक्कीस छह सै धागा, निहचल नाकै पोवै।मनुष्य २१६०० धागे नाक के सूक्ष्म द्वार में पिरोता रहता है। अर्थात प्रत्येक श्वास – प्रश्वास में वह राम का स्मरण करता रहता है।

ब्रह्मवैवर्त पुराण में

राम शब्दो विश्ववचनों, मश्वापीश्वर वाचकः

अर्थात् ‘रा’ शब्द परिपूर्णता का बोधक है और ‘म’ परमेश्वर वाचक है। चाहे निर्गुण ब्रह्म हो या दाशरथि राम हो, विशिष्ट तथ्य यह है कि राम शब्द एक महामंत्र है।

जब कोई व्यक्ति मर जाता है अब वह तो नहीं सुन सकता। लेकिन अन्य लोग जो अर्थी को ले जा रहे हैं, कम से कम उन तक संदेश पहुँच जाए कि राम-नाम सत्य है। वो जो ओम-ओम-ओम जैसी या राम-राम-राम जैसी ध्वनि भीतर गूंज रही है, परमात्मा की आवाज, वह परम सत्य है। शेष सब असत्य है। असत्य का मतलब यह नहीं होता कि नहीं है। असत्य का मतलब होता है कि क्षणिक रूप से है। तो एक अस्थायी, क्षणभंगुर तथ्य है और एक सनातन, सदाबहार, शाश्वत सत्य है जो सदा सदा है।

  • किसी की मृत्यु के समय "राम नाम सत्य" शब्द लेने से आत्मा सीधा स्वर्ग पहुच जाती है। राम नाम सत्य का अर्थ सत्यता सिर्फ राम नाम है। इसलिए शरीर का कोई अर्थ नहीं रह जाता, आत्मा सब छोड़ के भगवान के पास पहुच जाती है।
  • इस मंत्र को जपने से वह मृत व्यक्ति मोह माया छोड़ मोक्ष पाता है। राम नाम सत्य बोलने से बुरे कृत्यों से मुक्ति मिल जाती है। और इस मन्त्र का जाप करने से स्वर्गवासी के परिवारों जानो के मन को शांति मिलती है
  • भगवान् राम का नाम 3 बार लेने से वह 1000 बार किसी भी भगवान् का नाम लेने के बराबर होगराम का नाम लेना यह भी दर्शाता है कि दुनिया की प्रत्येक वस्तु नश्वर है बस परमात्मा ही सत्य है।
  • लोगो का मानना है कि राम नाम सत्य बोलने से परिजनों को मानसिक शांति मिलती है। मृत्यु के बाद सभी घर वाले दुख, विरह में डूबे रहते है, तो ये राम नाम सत्य उन्हें यह समझाता है कि ये दुनिया व्यर्थ है। सब एक दिन जाने के लिए बने है, आज ये गया, कल ये जाएगा, यही दुनिया है।


Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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