Ravan Rakshas Kaise Bana:रावण का वो रहस्य जो नहीं जानते आप, जानिए कैसे बना ब्राह्मण पुत्र राक्षसराज

Ravan Rakshas Kaise Bana: रावण कौन था, रावण राक्षस कैसे बना,रावण के जीवन का रहस्य और कितने श्राप ने रावण को रावण बनाया..

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 12 Oct 2024 11:52 AM GMT
Ravan Rakshas Kaise Bana:रावण का वो रहस्य जो नहीं जानते आप, जानिए कैसे बना ब्राह्मण पुत्र राक्षसराज
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Ravan Rakshas Kaise Bana:महाज्ञानी, पराक्रमी और शिवजी का परम भक्त रावण ने कुछ ऐसे काम किए, जिसके कारण स्वयं भगवान विष्णु को उसे मारने के लिए अवतार लेना पड़ा। रावण को कई लोगों ने श्राप दिए थे, वही उसके सर्वनाश का कारण भी बने। आज रावण दहन का दिन है जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है, रावण दहण का समय और सबसे उत्तम मुहूर्त शाम 05:53 बजे से शाम 07:27 बजे तक रहेगा, जानते हैं..रावण के बारे में...

रावण का रहस्य

रावण को महादेव शिव का परम भक्त माना जाता है। उसने कैलाश पर्वत को उठाने का प्रयास किया था ताकि वह भगवान शिव को प्रसन्न कर सके। भगवान शिव ने उसे प्रसन्न होकर आशीर्वाद दिया था।

रावण न केवल एक शक्तिशाली राजा था, बल्कि एक महान विद्वान, संगीतज्ञ, और वेदों का ज्ञाता भी था। उसे चार वेदों और छह शास्त्रों का गहन ज्ञान था। वह ज्योतिष और आयुर्वेद का भी ज्ञाता था।

रावण के दस सिर प्रतीकात्मक हैं। वे उसकी दस प्रकार की इच्छाओं, ज्ञान और शक्ति को दर्शाते हैं। दस सिर का मतलब यह भी है कि वह एक अत्यंत बुद्धिमान और जटिल व्यक्ति था, जिसके पास कई गुण और दोष थे।

रावण ने कई बार अमरता प्राप्त करने का प्रयास किया। उसने भगवान ब्रह्मा से वरदान प्राप्त किया था कि वह देवताओं, दानवों और अन्य शक्तिशाली प्राणियों से नहीं मारा जा सकेगा। लेकिन उसने मनुष्यों और वानरों को इसमें शामिल नहीं किया, जिसके कारण अंततः वह राम के हाथों मारा गया।

रावण का परिवार भी रहस्यमय है। उसकी पत्नी मंदोदरी एक दैवीय शक्ति वाली महिला थी, और उसके पुत्र मेघनाद (इंद्रजीत) को अमरत्व का वरदान प्राप्त था। उसका भाई कुंभकर्ण भी अपनी विशाल शक्ति और अजीब आदतों के लिए प्रसिद्ध था।

रावण लंका का राजा था, और उसने अपनी राजधानी को स्वर्ण नगरी में बदल दिया था। उसकी राजधानी और राज्य की समृद्धि अद्वितीय थी, जो उसके प्रशासनिक और राजनैतिक कौशल को दर्शाती है।

रावण ने सीता का अपहरण किया था, लेकिन उसने कभी सीता को बलपूर्वक छूने का प्रयास नहीं किया। उसने मर्यादा में रहते हुए सीता को मनाने की कोशिश की। यह उसकी शक्ति के साथ उसकी गरिमा को भी दर्शाता है।

रावण राक्षस कैसे ना

रावण को हमेशा राक्षसराज कहा जाता है यानी राक्षसों का राजा, लेकिन वास्तविकता ये है कि रावण एक तपस्वी ऋषि का पुत्र था जो ब्रह्मा के वंशज थे। इसलिए ये कहा जा सकता है रावण का जन्म ब्रह्मा के कुल में हुआ था, लेकिन इसके बाद भी वह राक्षस कुल का राजा बना और त्रिलोकों को अपने अत्याचारों से परेशान कर दिया। तब भगवान विष्णु ने श्रीराम अवतार लेकर उसका वध किया। रावण के माता-पिता कौन थे और वह ब्राह्मण होकर भी राक्षसों का राजा कैसे बना?

वाल्मीकि रामायण के अनुसार ब्रह्मा के कुल में हुआ था। उसके अनुसार ऋषि पुलस्त्य ब्रह्मा के दस मानस पुत्रों में से हैं। इन्हें प्रथम मन्वन्तर के सात सप्तर्षियों में से एक भी माना जाता है। पुलस्त्य ऋषि का विवाह कर्दम ऋषि की पुत्री हविर्भू से हुआ था। उनसे ऋषि के दो पुत्र उत्पन्न हुए- महर्षि अगस्त्य एवं विश्रवा। महर्षि विश्रवा की दो पत्नियां थीं। उनमें से एक राक्षस सुमाली की पुत्री कैकसी थी। रावण, कुम्भकर्ण, विभीषण और सूर्पणखा विश्रवा और कैकसी के पुत्र थे। इस तरह रावण का जन्म ब्रह्मा के कुल में हुआ था।

रावण के भाई

वाल्मीकि रामायण के अनुसार, महर्षि विश्रवा की दूसरी पत्नी का नाम इड़विड़ा था। इनके मिलन से एक पुत्र पैदा हुआ, जिसका नाम वैश्रवण रखा गया। वैश्रवण का ही एक नाम कुबेर है। वैश्रवण ने कठिन तपस्या कर ब्रह्मदेव को प्रसन्न किया। तब ब्रह्मदेव ने उन्हें धनाध्यक्ष का पद दिया। कुबेर को शिवजी का परम मित्र कहा जाता है। इनका एक नाम पिंगाक्ष भी है। दीपावली पर धन की देवी लक्ष्मी के साथ कुबेरदेव की पूजा भी की जाती है।

रामायण के अनुसार, कुबेर को उनके पिता मुनि विश्रवा ने रहने के लिए लंका प्रदान की। ब्रह्माजी ने कुबेर की तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें उत्तर दिशा का स्वामी व धनाध्यक्ष बनाया था। साथ ही, मन की गति से चलने वाला पुष्पक विमान भी दिया था। रावण जब विश्व विजय पर कुबेरदेव के उसका भयंकर युद्ध हुआ। कुबेरदेव को हराकर रावण ने लंका पर अधिकार कर लिया।

रावण का विवाह

धर्म ग्रंथों के अनुसार, वैसे तो रावण की अनेक पत्नियां थी, लेकिन उन सभी में मंदोदरी प्रमुख थी। मंदोदरी मय दानव की पुत्री थी। मय दानव को दैत्यों का शिल्पकार भी कहा जाता है क्योंकि उन्हें वास्तु शास्त्र का विशेष ज्ञान प्राप्त था। मंदोदरी आदि रानियों से रावण को अनेक पुत्र प्राप्त हुए। उन सभी में मेघनाद बहुत पराक्रमी था। अतिकाय, प्रहस्त, अक्षयकुमार आदि भी रावण के पुत्र थे।

रावण को श्राप मिला था इतने श्राप

रावण शिवजी का परम भक्त था। एक बार जब रावण शिवजी के दर्शन करने कैलाश पर्वत पर गया तो वहां उसे नंदीजी दिखाई दिए। नंदी के स्वरूप को देखकर रावण उनकी हंसी उड़ाने लगा और उन्हें बंदर समान मुख वाला तक बोल दिया। शिव भक्त होने के कारण नंदी ने उस समय रावण से कुछ नहीं कहा लेकिन एक श्राप जरूर दिया कि बंदरों के कारण ही तेरा सर्वनाश होगा।

रावण की पत्नी मंदोदरी की बड़ी बहन माया के पति वैजयंतपुर के शंभर राजा थे। एक दिन रावण शंभर के यहां गया। उसी समय शंभर पर राजा दशरथ ने आक्रमण कर दिया। युद्ध में शंभर मारा गया। माया के सौंदर्य को देखकर रावण ने उसने लंका चलने को कहा। तब माया ने रावण को श्राप दिया कि तुम्हारी मृत्यु स्त्री की वासना के कारण ही होगी।

किसी समय अयोध्या पर राजा अनरण्य का राज था। जब रावण विश्वविजय करने निकला तो राजा अनरण्य से उसका भयंकर युद्ध हुआ। उस युद्ध में राजा अनरण्य की मृत्यु हो गई, लेकिन मरने से पहले उन्होंने रावण को श्राप दिया कि मेरे ही वंश में उत्पन्न एक युवक तेरी मृत्यु का कारण बनेगा। श्रीराम ने उसी वंश में जन्म लेकर रावण का वध किया।

वाल्मीकि रामायण के अनुसार, एक बार रावण अपने पुष्पक विमान से कहीं जा रहा था। तभी उसने भूमि पर एक सुंदर स्त्री को तपस्या करते हुए देखा। वही स्त्री भगवान विष्णु को पति रूप में पाने के लिए तपस्या कर रही थी। रावण ने उसके बाल पकड़े और अपने साथ चलने को कहा। उस तपस्विनी ने उसी क्षण अपनी देह त्याग दी और रावण को श्राप दिया कि एक स्त्री के कारण ही तेरी मृत्यु होगी।

आपको जानकर आश्चर्य होगा लेकिन रावण की बहन शूर्पणखा ने भी उसे श्राप दिया था। रावण जब दुनिया के सभी योद्धाओं को हराने निकला तो उसका सामना कालकेय नाम के एक अ्नय राक्षसों के राजा से हुआ। उसका सेनापति विद्युतजिव्ह था, जो शूर्पणखा का पति था।। युद्ध में रावण ने विद्युतजिव्ह का वध कर दिया। तब शूर्पणखा ने मन ही मन रावण को श्राप दिया कि मेरे ही कारण तेरा सर्वनाश होगा।

Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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