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बृहस्पति के राशि परिवर्तन का राष्ट्र एवं व्यक्ति पर पड़ने वाला प्रभाव
देवगुरु बृहस्पति दिनांक 12 सितंबर 2017 को प्रातः 6:50 मिनट 54 सेकंड पर कन्या राशि का त्याग कर तुला राशि में प्रवेश करेंगे, भारतीय ज्योतिष में बृहस्पति का स्थान सर्वोपरि माना जाता है क्योंकि क्योंकि मूलतः बृहस्पति न केवल शुभग्रह है है अपितु जीवन के प्रत्येक महत्वपूर्ण पक्षों का नियंता भी है । जैसे शरीर की स्वस्थता, धन की स्थिति, विद्या, संतान व ज्ञान, धर्म ,चरित्र, भाग्य, कर्म एवं मोक्ष का मूल होने के कारण यह सभी ग्रहों में अपना विशिष्ट स्थान रखता है। बृहस्पति की 12 सितंबर के राशि परिवर्तन के साथ यह अत्यंत स्वाभाविक उत्कंठा है कि यह परिक्रमण राष्ट्र अथवा व्यक्तिगत स्तर पर क्या प्रभाव डालेगा। सर्वप्रथम यदि राष्ट्रीय स्तर पर बृहस्पति के इस गोचर पर विचार किया जाए तो निश्चित रुप से बहुत सुखद परिणाम प्राप्त होने के संकेत नहीं है।
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भारत के जन्मांग पर विचार करने पर यह स्पष्ट है कि बृहस्पति जन्मांग का प्रबल मारक ग्रह है। 12 सितंबर से विपरीत गोचर की स्थिति के कारण राष्ट्र में प्रबुद्ध वर्ग अथवा उच्च जाति के लोगों, शिक्षक वर्ग, वैज्ञानिक वर्ग, सामाजिक सेवा से जुड़े हुए लोग अथवा सारांश में यह कह सकते हैं की शिक्षा, अध्यात्म, जनसेवा से से जुड़े रहने वाले लोगों को विपरीत परिणाम प्राप्त होने की पूरी संभावना कही जाएगी।
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आगामी 13 माह में धार्मिक उन्माद की स्थिति बनेगी। महंगाई भ्रष्टाचार जातिवाद बुरी तरह बढ़ेगा एवं जनता के प्रति सरकार का सहयोग खराब कहा जाएगा इससे आम जनमानस का सरकार में विश्वास घटेगा वर्तमान सरकार की लोकप्रियता मैं भारी कमी की संभावना कही जाएगी।
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सारांश रूप में यह कहा जा सकता है कि 12 सितंबर 2017 के बाद आगामी 13 माह वर्तमान सरकार के लिए प्रतिकूल दिखाई देता है अब प्रत्येक राशियों का फल निम्नवत कहा जाएगा
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मेष राशि : आपकी राशि से बृहस्पति सप्तम भाव में गोचर करेगा जिसके परिणाम स्वरुप केंद्रवर्ती गोचर सुखद परिणाम प्रदान कराएगा प्रदान करेगा परंतु यहां दो स्थितियां बनेंगी। जिस पर विचार आवश्यक है पहले वे लोग जिनका जन्म बृहस्पति प्रधान लग्न का है जैसे मेष, कर्क, सिंह, वृश्चिक, धनु अथवा मीन।
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उनके लिए केंद्रवर्ती होने के कारण सुखद परिणाम अवश्य देगा परंतु सफलता के लिए अधिक परिश्रम कराएगा एवं शुभता में न्यूनता पैदा करेगा परंतु शनि अथवा शुक्र प्रधान जातकों के लिए यह अत्यंत कल्याणकारी परिणाम प्रदान कराएगा नौकरी व्यवसाय में उन्नति यश व सम्मान में वृद्धि विदेश यात्रा का योग आदि सुखद परिणाम प्राप्त होंगे। बृहस्पति के गोचर का उत्तम परिणाम प्राप्त करने हेतु नियमित रूप से आप "ॐ बृं बृहस्पतये नमः" मंत्र का 108 बार जप करना सुनिश्चित करें।
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वृष राशि : आपकी राशि से बृहस्पति का परिक्रमण मिश्रित फल प्रदान करने वाला कहा जाएगा। छठे बृहस्पति का गोचर जहां अदालती कार्य, शत्रुता व न्यायिक विवाद में सफलता प्रदान कराएगा वही यह मानसिक असंतोष भी पैदा करेगा। अपने से बड़ों से अनावश्यक मतभेद, परामर्शदाताओं से मतभिन्नता आदि के कारण मनस्थिति अच्छी नहीं कही जाएगी। अतः मानसिक आनंद एवं सफलता हेतु प्रत्येक बृहस्पतिवार को को पीला चावल सवा सौ ग्राम अथवा सवा मुट्ठी के अनुपात में लेकर उस पर पांच गांठ हल्दी हल्दी रखकर छू ले एवं जब मात्रा अधिक हो जाए तो भगवान विष्णु अथवा रामजानकी मंदिर में दान देते इससे आपको अत्यंत सुखद परिणाम प्राप्त होने लगेंगे।
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मिथुन राशि : आपकी राशि से पंचम भाव में बृहस्पति का गोचर सर्वथा ही मंगलकारी परिणाम प्रदान कराने वाला कहां जाएगा। नौकरी व्यवसाय में उन्नति, बेरोजगारों को रोजगार, गत समय में हो रहे नुकसान का समापन सुनिश्चित है। वे जातक जो अविवाहित है उनके परिणय सूत्र में बदले की पूरी संभावना कही जाएगी। बृहस्पति के इस सकारात्मक गोचर को और अधिक लाभदाई बनाने के लिए प्रत्येक बृहस्पतिवार को पीला वस्त्र, यदि वस्त्र संभव ना हो तो पीला रुमाल ही दान देना सुनिश्चित करें।
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कर्क राशि : आपकी राशि से चतुर्थ बृहस्पति का गोचर अच्छा नहीं कहा जाएगा। बृहस्पति सुख हीनता, भूमि विवाद, माता, बिटिया आदि के अस्वस्थता के कारण नकारात्मक स्थिति से गुजर ना पड़ सकता है। ससुराल पक्ष से भी नकारात्मकता की स्थिति बन सकती है। व्यवसाय में नौकर अथवा अधीनस्थ कर्मचारी द्वारा अचानक आर्थिक हानि की स्थिति बन सकती है। इस नकारात्मकता को समाप्त करने हेतु नियमित रूप से विष्णु सहस्त्रनाम का एक पाठ करना सुनिश्चित कर लें। यदि संस्कृत नहीं पढ़ सकते तो निम्न मंत्र का 108 बार जप करना सुनिश्चित करें।
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ॐ ग्रां ग्रीनग गरौँग सः गुरुवे नमः
इससे निश्चित कल्याण होगा।
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सिंह राशि : सिंह राशि के जातकों के लिए बृहस्पति तृतीय भाव में गोचर करेगा। राशि से तृतीय बृहस्पति शुभकारी परिणाम प्रदान नहीं करता अपितु वह आलस ,प्रमाद कार्य में निष्क्रियता, भाइयों से विवाद आदि स्थिति उत्पन्न करता है परंतु यह ध्यान रखें की की अति नकारात्मकता की स्थिति भी नहीं बनाता क्योंकि यह तृतीय भाव में बैठकर भाग्य भाव को शुभता प्रदान करता है। जिसके कारण विपरीत गोचर होने के बाद भी पूर्णता में परिणाम सामान्य प्राप्त होता है। बृहस्पति की इस नकारात्मकता को शुभता में बदलने हेतु हेतु नियमित रूप से ॐ ग्रां ग्रीनग गरौँग सः गुरवे नमः मंत्र की 100 बार जप श्रेयस्कर कहा जाएगा।
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कन्या राशि : आपकी राशि से द्वितीय भाव में गोचर में परिक्रमण कर रहा बृहस्पति शुभ परिणाम प्रदान कराने वाला कहा जाएगा। यह परिवार में मांगलिक कार्य कराने के साथ-साथ परिवारिक मतभिन्नता मैं भी न्यूनता प्रदान करेगा। रोजगार का अवसर प्रदान करेगा, कार्यों में विशिष्ट सफलता का योग बनाएगा।
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तुला राशि : आपकी राशि में ही बृहस्पति आगामी 13 माह तक गोचर करेगा। यद्यपि राशिगत बृहस्पति का गोचर बहुत कल्याणकारी नहीं कहा जाएगा बहुत परंतु किसी विशिष्ट नकारात्मकता की भी भविष्यवाणी नहीं की जा सकती। सारांश रूप में यह कह सकते हैं कि राशिगत बृहस्पति का गोचर सामान्य फलकारी कहा जाएगा।
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यहां यह ध्यान रखना कि आवश्यकता है कि बृहस्पति प्रधान जातकों के लिए एक तरफ जहां यह सामान्य कल्याणकारी कहा जाएगा वहीं शनि प्रधान जातकों के लिए परम योगकारी एवं चतुर्दिक विकास देने वाला सिद्ध होगा।
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वृश्चिक राशि : राशि से द्वादश बृहस्पति की स्थिति निश्चय ही कल्याणकारी नहीं की जाएगी। अपितु यह आय से अधिक खर्च की स्थिति बनाएगा। उदर रोग मानसिक चिंता एवं अपने ही सुख सुविधाओं का भोग कर पाने में असमर्थ रह जाएंगे। विशेष रुप से वह जातक जिन्हें उच्च रक्तचाप अथवा अनिद्रा की बीमारी है उनके लिए विशेष सावधानी का समय कहा जाएगा । यदि आप का रक्तचाप नियंत्रण में ना हो रहा हो अथवा स्वाभाविक रूप से नींद ना आ रही हो तो आप नियमित ग्रहीय श्वसन पद्धति का नियमित 10 मिनट तक अभ्यास करें। निश्चय ही कल्याणकारी परिणाम प्राप्त होगा। द्वादश बृहस्पति के नकारात्मक गोचर को न्यून बनाने हेतु "राम रक्षा स्त्रोत" का पाठ किया करिए। इससे परम कल्याण होगा।
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धनु राशि : आपकी राशि से बृहस्पति आगामी 13 माह तक एकादश भाव में गोचर करेगा जो सर्वथा ही कल्याणकारी परिणाम प्रदान कराने वाला कहा जाएगा। यहां बैठा बृहस्पति संतान का प्रबलतम योग, विवाह का प्रबलतम योग, रोजगार का प्रबलतम योग बनाने वाला कहा जाएगा। यश प्रसिद्धि में भी उत्कृष्ट लाभ की संभावना दिखाई देती है।
मकर राशि : राशि से दशम भाव में गया हुआ बृहस्पति सामान्यतः अच्छा फल प्रदान करने वाला नहीं कहा जाएगा। रोजी रोजगार के क्षेत्र में असंतोष पिता से वैचारिक समानता का आभाव, उच्चाधिकारियों से मतभेद, महत्वकांक्षा की प्राप्ति में बार-बार असफलता का योग बनाएगा। नकारात्मकता व अशुभता को समाप्त करने हेतु शिव सहस्त्रनाम का एक पाठ करे। यह उपाय अमृत का कार्य करेगा। यदि पत्नी भी सहयोग कर सकती हैं तो पार्वती मंगल का पाठ अत्यंत कल्याणकारी सिद्ध होगा।
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कुंभ राशि : आपकी राशि से नवम भाव में बृहस्पति का गोचर अत्यंत कल्याणकारी परिणाम प्रदान कराने वाला कहा जाएगा। पूर्व के समय में जिन जिन योजनाओं में आपको विफलता मिली है अथवा नए कार्य को करने का अवसर प्राप्त नहीं हुआ है। वह अवसर अत्यंत सहयता पूर्वक प्राप्त होगा। बृहस्पति की त्रिकोण की अवस्था एवं राशि से छठे राहु का पाया जाना अत्यंत ही शुभ योग पैदा करेगा जिसके फलस्वरुप आगामी 13 माह में जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में आपका चतुर्दिक विकास होगा।
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मीन राशि: आपकी राशि से अष्टम भाव में गोचर का पाया जाना अत्यंत अशुभ परिणाम प्रदान करने वाला कहा जाएगा। बृहस्पति आपके राशि का भी अधिपति ग्रह है अतः मनाधिपति का राशि से अष्टम पाया जाना न केवल मन में असंतोष प्रदान कराएगा अपितु शारीरिक पीड़ा कार्यों में नकारात्मकता एवं स्वजनों से विरोध आदि विकट स्थिति का सामना करना पड़ सकता है।
बृहस्पति के इस नकारात्मकता को समाप्त करने हेतु नियमित रुप से सुंदरकांड का पाठ करना सुनिश्चित करें। यदि आप सक्षम हो तो देवाधिदेव महादेव के द्वादश ज्योतिर्लिंग के घृष्णेश्वर नामक ज्योतिर्लिंग का दर्शन करना सुनिश्चित करें इससे तत्काल ही आप का नकारात्मक गोचर न्यूनता को प्राप्त करेगा। यदि जातक गण नियमित रूप से समयाभाव के कारण सुंदरकांड का पाठ करना सुनिश्चित न कर पाएं तो राम रक्षा स्त्रोत का पाठ भी मंगलमय परिणाम प्रदान कराने वाला सिद्ध होगा।
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