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Sabse Chota Din: जानिए क्यों 22 दिसंबर को सबसे छोटा होता है दिन, क्या होता है इसका महत्त्व
Sabse Chota Din: 22 दिसंबर को साल का सबसे छोटा दिन होता है वहीँ रात सबसे ज़्यादा बड़ी होती है। आइये जानते हैं ऐसा कैसे और कब होता है।
Sabse Chota Din: जहाँ एक ओर साल धीरे-धीरे ख़त्म होने जा रहा है वहीँ आज शीतकालीन संक्रांति है। इसे साल का सबसे छोटा दिन माना जाता है। आइये जानते हैं इसकी विशेषता और इस दिन को हिन्दू परंपरा के अनुसार कैसे मनाया जाता है।
क्यों सबसे छोटा दिन होता 22 दिसंबर
22 दिसंबर को सबसे छोटा दिन होता है और रात सबसे लम्बी होती है। कहते हैं कि इस दिन सूर्य की रोशनी का एंगल 23 डिग्री 26 मिनट 17 सेकेंड दक्षिण की तरफ होगा। साथ ही 21 मार्च को सूर्य विषुवत रेखा पर होगा। तब से दिन-रात बराबर समय पर होगा। 22 दिसंबर के इस दिन को अंग्रेजी में विंटर सॉल्सटिस कहते हैं। ये एक लैटिन शब्द है जो सोल्स्टिम से बना है। यहाँ आपको बता दें कि लैटिन शब्द सोल का शाब्दिक अर्थ होता है सूर्य और सेस्टेयर का मतलब स्थिर खड़ा रहना होता है। जब हम इन दोनों शब्दों को मिलते हैं तो हमे सॉल्सटिस शब्द मिलता है। जिसका मतलब है सूर्य का स्थिर रहना।
गौरतलब है कि प्राकृतिक बदलाव की वजह से 22 दिसंबर को सबसे छोटा दिन और सबसे लम्बी रात होती है। अब सवाल उठता है कि ऐसा होता कैसे है, तो आपको बता दें कि जहाँ दूसरे गृह झुके होते हैं वहीँ हमारी पृथ्वी भी 23.5 डिग्री पर झुकी हुई है। साथ ही झुके हुए अक्ष पर पृथ्वी के घूमने से सूर्य की किरणें एक तरह ज़्यादा और दूसरी तरफ कम पड़ती है। ऐसे में विंटर सॉल्सटिस पर दक्षिणी गोलार्द्ध (Hemisphere) में सूर्य की रोशनी ज्यादा पड़ती है।
इसके अलावा उत्तरी गोलार्द्ध में सूर्य की रोशनी सबसे कम पड़ती है,यही वजह है कि आज के दिन दक्षिणी गोलार्द्ध में सूर्य अधिक समय तक रहता है। जिसके फलस्वरूप यहाँ का दिन लम्बा होता है और रात छोटी होती है। इसके अलावा आपको ये भी बता दें कि आज के दिन से ही कुछ जगहों पर जैसे अर्जेंटिना, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों में गर्मी की शुरुआत हो जाती है।