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Sambhal Kalki Avatar: संभल के कल्कि धाम का रहस्य, मंदिर या मस्जिद कहां होगा कल्कि अवतार, जानिए धर्म पुराणों में लिखी बात
Sambhal Kalki Avatar: धार्मिक दृष्टि से संभल को भगवान विष्णु के दसवें अवतार से जोड़कर देखा जा रहा है।धर्म ग्रंथों मे इसका उल्लेख है, जानते हैं इस शहर को लेकर पुराण क्या कहते है....
Sambhal Me Kalki Avatar Kab Hoga : यूपी का संभल शहर आज कल चर्चा में है। हिंदू धर्मानुसार यह तपोभूमि है, और मुस्लिम बहुल इस शहर के जामा मस्जिद पर हिदुओं का दावा है कि यहां पहले हरिहर मंदिर है, इसको लेकर हो रही जांच पर यहां के लोग गुस्से में है और यहां तनाव और हिंसा का माहौल है। वैसे तो संभल का वर्णन अनेक धर्म ग्रंथों और पुराणों में मिलता है। धर्म ग्रंथों में सतयुग से लेकर कलयुग तक संभल के कईं नाम हैं।संभल में प्रसिद्ध कल्कि विष्णु मंदिर भी है जिसके प्रवेश द्वार पर लिखा है “प्राचीन श्री कल्कि विष्णु मंदिर” जिसका अर्थ है प्राचीन विष्णु मंदिर।धार्मिक और पौराणिक दृष्टि से यह शहर बहुत महत्वपूर्ण है। यह महर्षियों, संतों और धर्मगुरुओं की तपोभूमि के रूप में प्रसिद्ध है। पुराणों के अनुसार, संभल भगवान विष्णु के 10वें अवतार, कल्कि अवतार के जन्मस्थान भी कहा जाता है
संभल को लेकर क्या कहते हैं धर्मग्रंथ
विष्णु पुराण, भागवत पुराण और अन्य ग्रंथों में इसका विशेष उल्लेख है। विष्णु पुराण के अनुसार, भगवान विष्णु कलियुग के अंत में "कल्कि" अवतार लेकर अधर्म और अन्याय का नाश करेंगे और धर्म की पुन स्थापना करेंगे। कल्कि का जन्म संभल ग्राम में विष्णुयश नामक ब्राह्मण के घर होगा।श्लोक (विष्णु पुराण, 4.24.24)
संभल ग्रामे भविष्यति विष्णुयशसः कुले।
कल्कि नाम्ना जगत्प्राप्तो धर्मपाळो हरिः॥
(अर्थ: संभल ग्राम में विष्णुयश नामक ब्राह्मण के घर कल्कि नामक भगवान विष्णु का अवतार होगा, जो धर्म की स्थापना करेंगे।)
कल्कि अवतार और कलियुग का महत्व
कलियुग में अधर्म, पाप, और अन्याय अपने चरम पर होंगे। ऐसे समय में भगवान विष्णु कल्कि अवतार धारण करेंगे। यह अवतार सत्य, धर्म और न्याय की पुनः स्थापना करेगा। इस संदर्भ में संभल को भगवान के प्राकट्य का स्थल मानकर पवित्र भूमि कहा गया है।भागवत पुराण (12.2.18):
कलौ समाप्ते संप्राप्ते
विष्णुयशसः गृहात् संभलो ग्राममुख्यस्य
भवने हरेः कल्कि अवतारः।
कब होगा कल्कि अवतार
स्कंद पुराण के दशम अध्याय में स्पष्ट वर्णित है कि कलियुग में भगवान श्रीविष्णु का अवतार श्रीकल्कि के रुप में सम्भल ग्राम में होगा। मान्यता है कि कलयुग के अंत में कल्कि अवतार होंगे जो सफेद घोड़े पर बैठकर सभी पापियों का संहार करेंगे। कल्कि अवतार कलियुग व सतयुग के संधिकाल में होगा। कल्कि नाम से एक पुराण भी है। पुराणों में कल्कि अवतार के कलियुग के अंतिम चरण में आने की भविष्यवाणी की गई है।कल्कि भगवान देवदत्त नामक घोड़े पर सवार होकर संसार से पापियों का विनाश करेंगे और धर्म की पुन:स्थापना करेंगे। यह अवतार 64 कलाओं से युक्त होगा।
'अग्नि पुराण' के 16वें अध्याय में कल्कि अवतार का चित्रण तीर-कमान धारण किए हुए एक घुड़सवार के रूप में किया हैं और वे भविष्य में होंगे। कल्कि पुराण के अनुसार वह हाथ में चमचमाती हुई तलवार लिए सफेद घोड़े पर सवार होकर, युद्ध और विजय के लिए निकलेगा तथा म्लेच्छों को पराजित करके सनातन राज्य स्थापित करेगा।
कल्कि का जन्म और कलयुग का महत्व
शम्भाला शब्द एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है “शांति का स्थान” या “मौन का स्थान।” यह एक ऐसा राज्य है जिसके बारे में कहा जाता है कि यह हिमालय में स्थित है। किंवदंती के अनुसार, यह एक ऐसी भूमि है जहाँ केवल शुद्ध हृदय वाले लोग ही रह सकते हैं, अर्थात वे लोग जिन्होंने आत्मज्ञान प्राप्त कर लिया है।कल्कि भगवान का जन्म विष्णुयशा नाम के तपस्वी ब्राह्म्ण के यहां पुत्र रूप में होगा। वर्तमान समय में यह स्थान उत्तर प्रदेश के संभल गांव में है। माना जाता है कि वह मात्र 3 दिन में कलयुग के अधर्मियों का विनाश कर पुनः सतयुग की स्थापना करेंगे। भविष्य पुराण के अनुसार जब कलयुग का अंत होगा तब पृथ्वी जलमग्न हो जाएगी और आकाश में 12 सूर्य उदय होकर प्रकाशित होंगे।
श्रीमद्भागवत पुराण, विष्णु पुराण, स्कन्ध पुराण, भविष्य पुराण के अनुसार, कलयुग के अंत में भगवान विष्णु एक बार पुन: अवतार लेंगे और अधर्म का नाश करेंगे। कलियुग का अंत करने के कारण ही इनका नाम कल्कि होगा। भगवान विष्णु का कल्कि अवतार संभल नाम के स्थान पर होगा। श्रीमद्भागवत के अनुसार…
सम्भल ग्राम, मुख्यस्य ब्राह्मणस्य महात्मनः
भवने विष्णुयशसः कल्कि प्रादुर्भाविष्यति।।
अर्थ- कलियुग के अंत में भगवान विष्णु संभल नामक स्थान पर विष्णुयश नाम के श्रेष्ठ ब्राह्मण के घर कल्कि रूप में अवतार लेंगे।
श्री कल्कि पुराण में भी संभल नामक स्थान का वर्णन मिलता है-
यत्राष्टषष्ठि तीर्थांनां सम्भवः शम्भले भवत।
मृत्योमोक्षः क्षितौ. कल्केरकल्कस्य पक्षश्रयात्।।
अर्थ- संभल में अड़सट (68) तीर्थों का नाम निवास होगा और यहां जिसकी भी मृत्यु होगी वह सीधे मोक्ष को प्राप्त होगा।
संभल की जिस जामा मस्जिद को लेकर हिंद अपना अधिकार बता रहे है ये प्राचीन हरिहर मंदिर हैं। इस मंदिर के बारे में भी धर्म ग्रंथों में प्रमाण मिलता है। उसके अनुसार-
वृद्ध ब्राह्मण वेषेण, सदा त्रिष्ठति मंदिरे।
ताव देव स्थितस्य या वद् हरि समागमः।।
सत्येसत्यवृतो नाम, त्रेतायां च महद्गिरिः।
द्वापरेपिंगलो नाम, कलौ सम्भल उच्यते।।
अर्थ- वृद्ध ब्राह्मण के रूप में ब्रह्मा हरि मन्दिर की गुफा में वास करते हैं। जब तक कल्कि अवतार नहीं होगा, वे इसी स्थान पर वास करेंगे। सतयुग में इस स्थान का नाम सत्यव्रत, त्रेता में महद्गिरी, द्वापर में पिंगल और कलियुग में सम्भल होगा।
संभल में तीर्थ
इस नक्शे में संभल के 68 तीर्थ स्थलों का जिक्र है। इसके साथ ही 19 कूप यानी कुओं का भी जिक्र है। बता दें कि संभल में लगभग 500 साल पुराना एक मंदिर है, जहां भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं शिवलिंग की पूजा की थी। पृथ्वीराज चौहान ने मंदिर का निर्माण कराया था। इसलिए मंदिर का नाम श्रीकृष्णनेश्वर नाथ महादेव सूरजकुंड मंदिर रखा गया। संभल के इस मंदिर में लोगों की बहुत आस्था है। लोग मदिर में दर्शन और पूजा करने आते हैं। मंदिर के अंदर एक कुंड भी बना है। कुंड के ही साथ भगवान सूर्यनारायण का मंदिर भी है। इस कुंड के बारे में कहा जाता है कि जो भी इस कुंड में 40 दिन स्नान कर ले, उसका कुष्ठ या त्वचा रोग दूर हो जाते हैं।