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Sankashti Chaturthi 2022: संकष्टी चतुर्थी का विशेष है महत्त्व, जानें तिथि, महत्व, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और पूजा सामग्री
Sankashti Chaturthi 2022 Date and Time: हिंदू पंचांग के अनुसार, हर माह कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी मनाई जाती है। इस साल संकष्टी चतुर्थी का व्रत 11 दिसंबर 2022, दिन रविवार को रखा जाएगा।
Sankashti Chaturthi 2022 Date and Time: हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान गणेश को विघ्नहर्ता या सभी बाधाओं को दूर करने वाले के रूप में जाना जाता है। अधिकांश भारतीय कोई भी नया उद्यम शुरू करने से पहले देवता की पूजा करते हैं। हिंदू कैलेंडर के अनुसार हर महीने की चतुर्थी तिथि या कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को भी भगवान गणेश की पूजा करने का एक अच्छा दिन माना जाता है। इस दिन को साकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि जो भक्त इस दिन को पूरे विधि-विधान से मनाते हैं, उनके जीवन में भगवान गणेश सभी बाधाओं और समस्याओं को दूर करते हैं।
उल्लेखनीय है कि हिंदू धर्म में किसी भी धार्मिक अनुष्ठान में सबसे पहले भगवान श्रीगणेश की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान गणेश को विघ्नहर्ता देव कहते हैं, जो भक्तों के सभी कष्ट हर लेते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर माह कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी मनाई जाती है। इस साल संकष्टी चतुर्थी का व्रत 11 दिसंबर 2022, दिन रविवार को रखा जाएगा। मान्यताओं के मुताबिक़ संकष्टी चतुर्थी पर भगवान गणेश जी विधि विधान से पूजा करने पर सुख-समृद्धि, ऐश्वर्य व ज्ञान की प्राप्ति होती है।
तो आइये जानते हैं संकष्टी चतुर्थी का महत्व , पूजन विधि और पूजन सामग्री
संकष्टी चतुर्थी का महत्व
ज्योतिषियों के अनुसार, सूर्योदय से संकष्टी चतुर्थी का व्रत शुरू होता है और चंद्रमा दर्शन के साथ समाप्त होता है। संकष्टी चतुर्थी के दिन भक्तों को सुबह ही गणेश जी की पूजा करनी चाहिए और शाम को संकष्टी चतुर्थी की कथा सुननी चाहिए। धार्मिक धारणों के अनुसार भगवान गणेश की पूजा से मनचाहा वरदान प्राप्त होता है। गणेश पूजन से सभी तरह के कष्ट दूर होते हैं और सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है। कहा जाता है इस दिन विधिवत व्रत रखने से भगवान गणेश जी कृपा घर पर बनी रहती है।
संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि
ज्योतिषियों के अनुसार, गणेश संकष्टी चतुर्थी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लें। इसके पश्चात गणेश जी मूर्ति चौकी पर स्थापित करें और पूजा-अर्चना करें. भगवान गणेश को मोदक, लड्डू और दूर्वा चढ़ाएं। भक्त सुबह जल्दी स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करते हैं और घर के पूजा कक्ष या मंदिर में दीपक जलाते हैं। कई भक्त इस दिन व्रत भी रखते हैं। भगवान गणेश की प्रतिमा की गंगाजल, फूल, दूर्वा या घास से पूजा करें। भगवान को प्रसाद के रूप में लड्डू या मोदक का भोग लगाया जा सकता है। पूजा समाप्त करने के लिए गणेश आरती करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। सुनिश्चित करें कि पूजा शाम को चंद्रमा के दिखने पर की जाए। इस दिन भक्तों द्वारा एक दिन का या आंशिक उपवास रखा जाता है। पूजा के दौरान भगवान गणेश को प्रसाद के रूप में फल भी चढ़ाए जाते हैं। भक्त भगवान गणेश की पूजा समाप्त करने के बाद उपवास समाप्त करते हैं।
गणेश मंत्र का उच्चारण करें और गणेश चालीसा का पाठ करें. इसके बाद गणेश आरती के साथ पूजा समाप्त करें. शाम के समय गणेश जी की कथा सुनें. धूप, अगरबत्ती करने के साथ गणेश जी को उनके प्रिय प्रसाद का भोग लगाएं. रात्रि में चंद्रमा की पूजा करें और जल अर्पित कर सुख-समृद्धि की कामना करें.
संकष्टी चतुर्थी 2022: पूजा सामग्री
मुख्य पूजा के लिए, भक्तों को देवता की एक मूर्ति, गंगाजल, सिंदूर, कुछ फूल और प्रसाद के रूप में दूर्वा घास, एक लाल कपड़ा, पवित्र जनेऊ धागा, कलश (तांबे, पीतल या चांदी के बर्तन), रोली, लाल मौली धागा और एक नारियल।