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Saptam Bhav in Kundli: कुंडली के इस भाव से जानें अपने भावी साथी का चरित्र, कैसी होगी शादी, कैसा होगा पार्टनर बेवफा या वफादार

Saptam Bhav in Kundli:कुंडली के सप्तम भाव से जाने कैसा होगा साथी मिलेगा विवाह सुख या नही, जानिए..

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 31 Dec 2024 6:45 AM IST (Updated on: 31 Dec 2024 6:45 AM IST)
Saptam Bhav in Kundli: कुंडली के इस भाव से जानें अपने भावी साथी का चरित्र, कैसी होगी शादी, कैसा होगा पार्टनर बेवफा या वफादार
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Saptam Bhav in Kundli:कुंडली के 12 भाव की होते हैं। ये सभी 12 राशियों के पर आधारित होते हैं। कुंडली का पहला भाव जिस राशि का होता है, कुंडली उसी लग्न की होती है। पहले भाव के ठीक सामने ही सप्तम भाव होता है। अलग-अलग लग्न में सप्तम भाव अलग-अलग राशि का होता है और उसका स्वामी ग्रह अलग-अलग होता है।

कुंडली में सप्तम भाव किसका होता है?

बहुविवाह, प्रेम विवाह, विवाह का समय, इन सभी का ज्ञान जन्मकुण्डली के सप्तम भाव से होता है। जन्म कुंडली के सप्तम भाव से यह ज्ञात होता है कि प्रकृति को विस्तार देने में जातक अथवा जातिका का कितना सहयोग रहेगा। यह भाव विशेष तौर पर पुरूष के लिए पत्नी का, स्त्री की कुंडली में पति का होता है

कुंडली के 12 भावों में से सप्तम भाव (सातवां घर) को विवाह और जीवनसाथी का कारक माना जाता है। यह भाव यह संकेत देता है कि किसी व्यक्ति का जीवनसाथी कैसा होगा, उसका स्वभाव, विचार और जीवनशैली कैसी होगी। सप्तम भाव की राशि और उसका स्वामी ग्रह जीवनसाथी के स्वभाव को प्रभावित करते है...

सप्तम भाव का स्वामी कौन है?

सप्तम भाव का स्वामी शुक्र होता है और वहीं, कारक शुक्र और बुध हैं। सप्तम भाव विवाह आदि से संबंधित भाव होता है। इस भाव से जीवनसाथी, पार्टनर आदि जैसी चीजों का पता लगाया जा सकता है।

सप्तम भाव पर ग्रहों का प्रभाव

सप्तम भाव का स्वामी राहु से पीड़ित हो जीवनसाथी नशेड़ी हो सकता है।

सप्तमेश (सप्तम भाव का स्वामी) लग्न में हो तो इस से जुड़ी जातिका खुद के विवेक से विवाह करती है।

सप्तमेश नीच का होकर बैठ जाए तो ऐसे लोगों को साथी से लाभ की संभावना कम होती है।

सप्तमेश दशम भाव में उच्च का हो तब जीवनसाथी व्यापारी या राजनीतिज्ञ हो सकता है, लेकिन मोटा या कहे वजनी होगा।

सप्तम भाव में सूर्य, बुध, शुक्र हो तो ऐसे लोगों का जीवनसाथी योग्य नहीं होता है।

सप्तमेश अष्टम भाव में हो तो विवाह में देरी होगी, और जीवनसाथी सामान्य रंग-रूप का परिश्रमी होगा।

सप्तमेश षष्ठ भाव में हो तो विवाह में देरी और बाधाएं आ सकती हैं।

सप्तमेश, पंचमेश और लग्नेश की युति हो तो ऐसे कुंडली वालों का प्रेम विवाह के योग बनते हैं।

सप्तमेश शनि और चंद्रमा की युति हो तो विवाह में अत्यधिक देरी होगी, या विवाह नहीं भी हो सकता है।

सप्तमेश केतु और मंगल के साथ हो तो संबंध विच्छेद की संभावना रहती है।

सप्तम भाव को शनि देखे और मंगल भी हो तो विवाह के बाद तनाव बना रह सकता है।

सप्तम भाव की राशियों का जीवनसाथी पर प्रभाव

मेष राशि (सप्तम भाव)

जीवनसाथी भूमि-भवन का मालिक होता है।

वैवाहिक जीवन सुखी और समृद्धिशाली होता है।

वृष राशि (सप्तम भाव)

सुन्दर और गुणवान जीवनसाथी मिलता है।

जीवनसाथी मीठा बोलने वाला और पत्नी का सम्मान करने वाला होता है।

मिथुन राशि (सप्तम भाव)

जीवनसाथी सामान्य दिखने वाला, समझदार और अच्छे विचारों वाला होता है।

चतुर व्यवसायी भी हो सकता है।

कर्क राशि (सप्तम भाव)

जीवनसाथी सुन्दर रंग-रूप वाला होता है।

वैवाहिक जीवन सुखद रहता है।

सिंह राशि (सप्तम भाव)

जीवनसाथी अपनी बात मनवाने वाला और ईमानदार होता है।

कन्या राशि (सप्तम भाव)

जीवनसाथी सुन्दर और गुणवान होता है।

विवाह के बाद जीवन और बेहतर हो जाता है।

तुला राशि (सप्तम भाव)

जीवनसाथी शिक्षित और सुंदर होता है।

हर समस्या में पत्नी का साथ देता है।

वृश्चिक राशि (सप्तम भाव)

जीवनसाथी शिक्षित और कठिन परिश्रम करने वाला होता है।

धनु राशि (सप्तम भाव)

जीवनसाथी स्वाभिमानी और सामान्य जीवन जीने वाला होता है।

मकर राशि (सप्तम भाव)

जीवनसाथी धार्मिक और देवी-देवताओं में आस्था रखने वाला होता है।

कुंभ राशि (सप्तम भाव)

जीवनसाथी सभ्य और भगवान में आस्था रखने वाला होता है।

वैवाहिक जीवन सुखद रहता है।

मीन राशि (सप्तम भाव)

जीवनसाथी गुणी, धार्मिक और आकर्षक व्यक्तित्व वाला होता है।

कुंडली में सातवें घर खाली हो तो क्या होता है?

सप्तम भाव खाली होना बहुत सौभाग्यशाली है, वैवाहिक जीवन सुखद रहता है, पर किसी क्रूर या पापी ग्रह की दृष्टि सप्तम भाव पे न हो किसी भी भाव सुप्त होना इतना प्रभावी नही होता , जितना एक ग्रह होने से होता है ।



Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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