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क्यों कहते हैं शादी के बाद दुल्हन को 'सौभाग्यवती भव', जानिए इसमें छिपा गूढ़ रहस्य
जयपुर:शादी के बाद नारी का जीवन बदल जाता है। साथ ही लोगों का नजरिया भी बदल जाता है। शादी में तमाम परंपराओं और विधियों का पालन किया गया। इसी दौरान दुल्हन लाल जोड़े में नजर आती, लोग नवविवाहित दुल्हन को सौभाग्यवती भव का आशीर्वाद देतेहै।हिंदू परंपराओं में शादी के समय दुल्हन के लिए लाल रंग सबसे शुभ माना गया है। इस रंग के जोड़े को वह सोहल श्रृंगार के साथ पहनती है और तमाम रीतें इसी में ही पूरी होती हैं। लेकिन बड़ों और बुजुर्गों से दुल्हन को सदा सौभाग्यवती भव का आशीर्वाद जरूर मिलता है।
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इस आशीर्वाद का अर्थ सदा सौभाग्यवती भव दरअसल संस्कृत का एक श्लोक है। इसमें सदा का अर्थ है हमेशा, सौभाग्यवती का अर्थ है भाग्य का सितारा चमकता रहे और भव का अर्थ है हो या होना। यानी इसे पाने वाली महिला पर हमेशा भगवान की कृपा रहे और उसे किसी भी तरह की मुसीबत का सामना न करना पड़े। इसी के साथ ही ये उसके पति की उम्र, सेहत और तरक्की से भी जुड़ा है। अर्थात एक ही श्लोक में नवदंपति को हमेशा प्रसन्न, सेहतमंद और धन से पूर्ण रहने का आशीष दिया जाता हैस आशीर्वाद का उल्लेख वेदों और महाभारत काल में भी मिलता है। हिंदू परंपराओं में स्त्री-पुरुष को एक दूसरे का पूरक माना गया है और दोनों के भाग्य की डोर भी एक दूसरे से बंधी मानी गई है। वहीं महिला की किस्मत को अच्छे जीवनसाथी से जोड़ा गया है, जिसके पास धन व सेहत दोनों हों। चूंकि विवाह के बाद स्त्री माता-पिता के घर से ससुराल आती है, इसलिए उसे ये आशीर्वाद दिया जाता है कि विवाह के बाद उसको पति व नए परिवार का पूरा स्नेह व साथ मिले। साथ ही पति इतना गुणवान व संपन्न हो कि स्त्री के जीवन में कोई कठिनाई न आए।