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Sawan 2022 Ka First Day Aaj: जानिए पहला जलाभिषेक का समय और सोमवार का महत्व, इस माह शुरू करें ये व्रत
Sawan 2022 Ka First Day Aaj: इस साल 2022 में सावन मास की शुरुआत गुरुवार 14 जुलाई से हो रही है जो भगवान विष्णु का प्रिय दिन भी है। इस दिन श्रवण नक्षत्र और विष्कुम्भ और प्रीति योग में पवित्र मास की शुरुआत हो रही है। जानते है इस माह की महिमा और सावन के कितने सोमवार
Sawan 2022 Ka First Day Aaj
सावन का पहला जलाभिषेक का समय
सृष्टि के आधार निराकार, निर्विकार परब्रह्म भगवान शिव को सावन मास सबसे प्रिय है। इस मास में भक्त भगवान भोले भंडारी को हर तरह से प्रसन्न करने की कोशिश करते हैं। पंचांग के अनुसार इस बार सावन का महीना 14 जुलाई 2022 गुरुवार से शुरू होकर 12 अगस्त 2022 शुक्रवार को खत्म हो रहा है। सावन मास से ही व्रत और पर्वों की शुरुआत भी हो जाती है।
भगवान शिव का प्रिय मास सावन (Sawan Month) इस साल 2022 में 14 जुलाई से शुरू हो रहा है। इस महीने जो भी भक्त सच्चे मन और पूरी श्रद्धा के साथ भगवान शिव की आराधना करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। सावन में भगवान शिव ( lord shiva) पृथ्वी पर अपने भक्तों की बीच निवास करते हैं और उनकी समस्त कामनाओं की पूर्ति करते हैं। सावन मास में सोमवार का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है। इस महीने में शिवभक्त सावन सोमवार( Monday) का व्रत करते हैं।
सावन मास और सोमवार की तिथियां देश के उत्तरी और दक्षिणी-मध्य भागों में अलग-अलग हैं। पंचांग के अनुसार सावन का महीना जुलाई-अगस्त के बीच आता है और हिंदू पंचाग के अनुसार आषाढ़ मास की गुरु पूर्णिमा के अगले दिन से सावन महीने की शुरुआत होती है। इस साल सावन का महीना 14 जुलाई से शुरू हो रहा है और इसका समापन 12अगस्त 2022 को होगा। सावन 2022 में सोमवार व्रत के तिथियों की लिस्ट।
सावन मास में कितने सोमवार
इस बार सावन मास में 4 सोमवार पड़ रहा है। सावन महीना 2022- 14 जुलाई 2022 से 12 अगस्त 2022 तक रहेगा। इस बार श्रवण और विष्कुम्भ और प्रीति योग में सावन के पवित्र मास की शुरुआत हो रही है।चन्द्रमा मकर राशि पर संचार करेगा। इसलिए इस बार सावन मास में सच्चे मन से की गई भक्ति का पूरा फल मिलेगा और स्थायी रुप से शिव की कृपा बनी रहेगी।
पहला सावन सोमवार-18 जुलाई 2022
दूसरा सावन सोमवार- 25 जुलाई 2022
तीसरा सावन सोमवार- 01 अगस्त 2022
चौथा सावन सोमवार- 08 अगस्त 2022
शुक्रवार, 12 अगस्त श्रावण मास का अंतिम दिन
सावन का महत्व
पौराणिक मान्यता कथा के अनुसार, देवी सती ने हर जन्म में भगवान शिव को पति रूप में पाने का प्रण लिया था, उन्होंने पिता के विरुद्ध जाकर भगवान शिव से विवाह किया, लेकिन पिता द्वारा शिव के अपमान के कारण उन्होंने अपना शरीर त्याग दिया। शरीर का त्याग करने के बाद माता सती ने हिमालय और मैना की पुत्री पार्वती के रूप में जन्म लिया।
इस जन्म में उन्होंने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए सावन माह में निराहार रहते हुए कठिन व्रत किया और भगवान शिव की अर्धांगिनी बनीं।भगवान शिव की कृपा पाने के लिए इस महीने से सोलह सोमवार, प्रदोष और सोमवार के व्रत आरंभ किए जाते हैं। सावन में हर सोमवार को तमाम शिव मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ती है और भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। लेकिन इस बार कोरोना के कारण मंदिरों में भक्तों की कमी रहेगी।
इस पवित्र मास में रुद्राभिषेक, शिवसहस्त्रनाम का पाठ करने से भगवान शिव की कृपा बनी रहती है और कुंवारी कन्याओं को अच्छे जीवनसाथी मिलते हैं। इसी मास में समुद्र मंथन से निकले विष को प्रभु शिव नें पान किया था और नीलकंठ कहलाए। इस मास में शिव को जल से रुद्रभिषेक करके प्रसन्न किया जा सकता है। बिल्व पत्र दूध, धतूरा और अक्षत फूल से व्रत पूजा कर शिव की कृपा पाई जा सकती है।
सावन से ही शुरू करें ये व्रत
भगवान शिव की कृपा पाने के लिए इस पवित्र मास से ही प्रदोष, सावन का सोमवार और सोलह सोमवार के व्रत का आरंभ किया जाता है। सावन के पूरे माह सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें। पूजा स्थल को स्वच्छ कर वेदी स्थापित करें। शिव मंदिर में जाकर भगवान शिवलिंग को दूध चढ़ाएँ। फिर पूरी श्रद्धा के साथ महादेव के व्रत का संकल्प लें। दिन में दो बार (सुबह और सायं) भगवान शिव की प्रार्थना करें। पूजा के लिए तिल के तैल का दीया जलाएँ और भगवान शिव को पुष्प अर्पण करें। मंत्रोच्चार सहित शिव को सुपारी, पंच अमृत, नारियल एवं बेल की पत्तियाँ चढ़ाएँ। व्रत के दौरान सावन व्रत कथा का पाठ अवश्य करें। पूजा समाप्त होते ही प्रसाद का वितरण करें। संध्याकाल में पूजा समाप्ति के बाद व्रत खोलें और सामान्य भोजन करें। पूरे माह में ऊं नमः शिवाय का जाप करें।
सावन मास शिवजी को समर्पित है। कहते हैं यदि कोई भक्त सावन महीने में सच्चे मन और पूरी श्रद्धा के साथ महादेव का व्रत धारण करता है, उसे शिव का आशीर्वाद अवश्य प्राप्त होता है। विवाहित महिलाएँ अपने वैवाहिक जीवन को सुखमय बनाने और अविवाहित महिलाएँ अच्छे वर के लिए भी सावन में शिव जी का व्रत रखती हैं।
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