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Sawan 2022: श्रावण मास शिव अर्चन मुहूर्त, रक्षाबंधन निर्णय

Sawan 2022: शिववास कुल 7 तरह के होते हैं– श्मशान, गौरी, सभायाम, क्रीड़ायाम, कैलाश पर, वृषारुढम एवम भोजन। इनमे गौरी सानिध्य, कैलाश पर व वृषारुढम होने पर ही रुद्राभिषेक शुभ फलदायी है।

Devendra Bhatt (Guru ji)
Published on: 14 July 2022 7:56 AM IST (Updated on: 14 July 2022 7:56 AM IST)
Sawan 2022
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सांकेतिक तस्वीर ( सौ. से सोशल मीडिया)

Sawan 2022

चैत्रादि मास से प्रारंभ करके, हिंदू पंचांग के अनुसार श्रावण मास, पंचम मास होता है। बारहमास के क्रम में यह आषाढ़ मास के पश्चात एवम भाद्रपद मास के पूर्व आता है। श्रावण मास में भगवान शंकर की पूजा का विशेष महत्व है। राजा दक्ष की राजसभा में देवी सती ने अग्नि समाधि लेने के बाद अगले जन्म में हिमाचल राज और मैना की पुत्री पार्वती के रूप में माता सती ने जन्म लिया। श्रावण माह में देवी पार्वती ने निराहार कठोर तप करके देवाधिदेव महादेव को प्राप्त किया। अतः श्रावण मास महादेव को विशेष प्रिय है ऐसा स्वयं महादेव ने ब्रह्मा जी के मानस पुत्र सनत कुमार के शंका का समाधान करते हुए कहा है—

"द्वादशस्वपि मासेषु श्रावणो मेऽतिवल्लभ: ।

श्रवणार्हं यन्माहात्म्यं तेनासौ श्रवणो मत: ।।

श्रवणर्क्षं पौर्णमास्यां ततोऽपि श्रावण: स्मृत:।

यस्य श्रवणमात्रेण सिद्धिद: श्रावणोऽप्यत: ।।"

इस मास की पूर्णिमा भी श्रावण नक्षत्र में होती है अतः इसे श्रावण माह कहते है।

पंडित देवेंद्र भट्ट (गुरु जी)

श्रावण मास में रुद्राभिषेक क्यों?

भागवत पुराण, महाभारत व विष्णुपुराण के अनुसार सतयुग में भगवान विष्णु का तीसरा अवतार कच्छप का था। कच्छप की पीठ पर मदरांचल पर्वत रखकर, वासुकीनाथ को नेती बनाकर देवों और असुरों ने समुद्रमंथन किया। चौदह रत्नों की श्रृंखला में प्रथम रत्न कलकुट नाम का महाविष निकला। उस महाविष का पान करके महादेव ने सृष्टि की रक्षा की। विष के अत्यधिक तापमान से महादेव का शरीर और कंठ नील वर्ण का हो गया। शरीर का तापमान कम करने हेतु महादेव को क्षीर सागर के जल से अभिषेक किया गया। अतः श्रावण माह में रुद्राभिषेक का महात्म्य है। वैसे तो श्रावण माह की सभी तिथियां शिव शम्भू के पूजन अर्चन के लिए उपयुक्त हैं परंतु शिववास का विचार रुद्राभिषेक हेतु किया जाना चाहिए।

शिववास कुल 7 तरह के होते हैं– श्मशान, गौरी, सभायाम, क्रीड़ायाम, कैलाश पर, वृषारुढम एवम भोजन। इनमे गौरी सानिध्य, कैलाश पर व वृषारुढम होने पर ही रुद्राभिषेक शुभ फलदायी है।

इस वर्ष के लिए रुद्राभिषेक हेतु शुभ फल देने वाली शिववास की तिथियां है–

श्रावण कृष्ण पक्ष–

प्रथम तिथि– 14 जुलाई

चतुर्थी तिथि– 17 जुलाई

पंचमी तिथि– 18 जुलाई

षष्ठी तिथि– 19 जुलाई

अष्टम तिथि– 21 जुलाई

एकादशी तिथि–24 जुलाई

द्वादशी तिथि– 25 जुलाई

त्रयोदशी तिथि– 26 जुलाई

अमावस्या तिथि– 28 जुलाई

श्रावण शुक्ल पक्ष में–

द्वितीय तिथि– 30 जुलाई

पंचम तिथि– 2 अगस्त

षष्ठी तिथि– 3 अगस्त

सप्तमी तिथि– 4 अगस्त

नवमी तिथि– 6 अगस्त

एकादशी तिथि– 9 अगस्त

त्रयोदशी तिथि– 10 अगस्त

चतुर्दशी तिथि– 11 अगस्त

शिवलिंग पर अलग अलग पदार्थ से अभिषेक से अभीष्ट फल प्राप्त होता है।

1) जलाभिषेक– अच्छी वृष्टि व मनोरथ हेतु।

2) दुग्ध अभिषेक– दीर्घायु फल कामना हेतु।

3) शहद अभिषेक– दुख व कष्ट निवारणार्थ।

4) पंचामृत अभिषेक– धन संपदा प्राप्ति हेतु।

5) घृत अभिषेक– रोग निवारणार्थ ।

6) दही अभिषेक– संतान प्राप्ति हेतु।

रक्षाबंधन पर्व

श्रावण मास पूर्णिमा को चंद्र नक्षत्र श्रावण होता है अतः इस पूरे मास को श्रावण मास कहा जाता है। हिंदू सनातन धर्म में इस पूर्णिमा को भाई बहन के स्नेह और प्रेम के प्रतीक स्वरूप रक्षाबंधन पर्व मनाया जाता है। इस पर्व के महत्व के विषय में एक पौराणिक कथा है। कश्यप ऋषि व भक्त प्रह्लाद के तीसरी पीढ़ी में असुरराज बलि का जन्म हुआ। वह महापराक्रमी और दानवीर था। उसके दानशीलता के परीक्षण के लिए भगवान विष्णु का वामन अवतार हुआ जिन्होंने राजा बलि से तीन पग भूमि में पृथ्वी और देवलोक ले लिया और बलि के लिए पाताल लोक में स्थान दिया। बदले में राजा बलि के अनुरोध पर वामन देव विष्णु को भी साथ पाताल लोक जाना पड़ा। कालांतर में देवी लक्ष्मी ने राजा बलि को भ्राता मानकर रक्षासूत्र बंधा और विष्णु देव को बली की दासता से मुक्त करवा कर देवलोक ले गई। तभी से भाई बहन के अटूट स्नेह की पौराणिक परंपरा के निर्वाह में बहन, रक्षासूत्र बांधती है और भाई उसे उपहार देते है।

"येन बद्धो बलिराजा दानवेन्द्रो महाबल:।

तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल॥"

इस वर्ष श्रावण शुक्ल पक्ष पूर्णिमा 11 अगस्त को दिन में 9:35 से प्रारंभ होगा। इसी के साथ मकर राशि का भद्रा भी 9:35 से प्रारंभ होकर रात्रि 8:25 तक होगा। पूर्णिमा अगले दिन 12 अगस्त को प्रातः 7:16 तक ही रहेगा। अतः रक्षा बंधन के पर्व में रक्षा बांधने का शुभ समय 11 अगस्त को रात्रि 8:25 के पश्चात ही प्रारंभ होगा । उदय तिथि को मानने वाले 12 अगस्त की संपूर्ण दिन रक्षाबंधन मनाएंगे और रक्षा बांधेंगे। ध्यातव्य है की रक्षा बंधन 11 अगस्त को 8:25 रात्रि के पश्चात बंधा जायेगा। 12 अगस्त को प्रातः 5:30 से 7:16 तक अत्यंत शुभ है।

Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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