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Sawan 2022: महादेव को प्रसन्न करने की पूजा विधि, स्त्रियों और पुरुषों को अलग-अलग तरीकों से जपना है ये मन्त्र

Sawan 2022: भगवान शिव को समर्पित माने जाने वाले सावन महीने में आप किन ख़ास उपायों और बातों का रखें ख्याल ताकि पूजन में कोई भी चूक ना हो इस बात पर प्रकाश डाल रहें हैं महर्षि पाराशर ज्योतिष संस्थान ट्रस्ट के ज्योतिषाचार्य पं.राकेश पाण्डेय....

Preeti Mishra
Written By Preeti Mishra
Published on: 11 July 2022 2:31 PM GMT (Updated on: 11 July 2022 2:53 PM GMT)
lord shiv
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lord shiv (Image credit : social media)

Sawan 2022: सावन माह की शुरुआत 14 जुलाई दिन बृहस्पतिवार से हो रहा है। हिन्दू धर्म में सावन माह का विशेष महत्त्व बताया गया है। मान्यताओं के अनुसार ये पूरा महीना भगवान् शिव को समर्पित माना जाता है। कहा जाता है कि देवों के देव महादेव को प्रसन्न करने के लिए इस पवित्र मास में उनकी विशेष पूजा -अर्चना की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जो भी व्यक्ति पुरे सच्ची श्रद्धा से भोलेशंकर की आराधना करता है उसकी सभी मनोकामनाओं की पूर्ति जरुर होती है।

भगवान शिव को समर्पित माने जाने वाले सावन महीने में आप किन ख़ास उपायों और बातों का रखें ख्याल ताकि पूजन में कोई भी चूक ना हो इस बात पर प्रकाश डाल रहें हैं महर्षि पाराशर ज्योतिष संस्थान ट्रस्ट के ज्योतिषाचार्य पं.राकेश पाण्डेय।


ज्योतिषाचार्य पं.राकेश पाण्डेय

तो आइये जानते हैं उनसे श्रावण मास का माहत्म्य और भोलेशंकर को प्रसन्न करने के लिए कैसे करें उनकी विधिवत पूजा :

ज्योतिषाचार्य पं.राकेश पाण्डेय के अनुसार कलयुग में भगवान शिव की पूजा सत्यफलदायी होती है। बता दें कि शास्त्रों में भी बताया गया है कि क्लो देवो महेश्वरः यानी कलयुग के साक्षात् देवता भगवान शिव ही हैं । धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान् शिव की पूजा करने से सिर्फ स्वयं भोलेनाथ ही प्रसन्न नहीं होते बल्कि माता पार्वती भी प्रसन्न होती है क्योंकि भोलेनाथ का एक स्वरुप अर्धनारीश्वर का भी है। इसके अलावा एकदश अवतार माने जाने वाले हनुमान जी इस पूजा से भक्तों पर प्रसन्न होते हैं। उल्लेखनीय है कि कलयुग में इन्हीं तीन देवतााओं को सत्यफल देने वाला बताया गया है। इसलिए इनकी पूजा का विशेष महत्त्व श्रावण माह में विशेष लाभकारी माना जाता है।

मान्यताओं के अनुसार अगर इन दिनों विशेष रूप से और विशेष उपायों के साथ भोलेनाथ की पूजा की जाए तो भक्तों की समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति अवश्य होती है।

शिवलिंग पर जल चढाने का क्या है सही तरीका ?

आमतौर पर लोग चाहे वो स्त्री हो या पुरुष बिना सोच -विचारे शिवलिंग पर जल चढ़ा देते हैं। लेकिन , जानना बेहद जरुरी है कि स्त्री और पुरुषों को किस प्रकार से शिव जी का पूजन करना चाहिए। ज्योतिषाचार्य पं.राकेश पाण्डेय के अनुसार पुरुषों को शिवलिंग पर ताम्र पात्र से जल चढ़ाना चाहिए जबकि महिलाओं को पीतल के पात्र से जल चढ़ाना चाहिए। लेकिन कभी भी भूलकर भी तांबे के बर्तन में दूध डालकर नहीं चढ़ाना चाहिए क्योंकि तांबे के पात्र में दूध डाल देने से वो विष यानी ज़हर के सामान हो जाता है।

स्त्री और पुरुष दोनों को अलग -अलग तरीकों से इस मन्त्र का जप इस प्रकार करना चाहिए

भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए पूजन के दौरान लघु मन्त्र का जप करते रहना चाहिए। स्त्रियों को पूजन करते समय ॐ शिवाय नमः का जप करना चाहिए क्योंकि यह स्त्रीवाचक होता है जबकि पुरुषों को ॐ नमः शिवाय मन्त्र का जप करना चाहिए क्योंकि ये पुरुष वाचक होता है। आमतौर पर देखा गया है कि स्त्री और पुरुष दोनों ही ॐ नमः शिवाय का जप करने लगते हैं। जो धार्मिक रूप के साथ -साथ व्याकरण के रूप से भी गलत माना गया है। गौरतलब है कि इसे भगवान शिव का लघु मन्त्र कहा जाता है।


ऐसे चढ़ाएं बेल पत्र :

ज्योतिषाचार्य पं.राकेश पाण्डेय के अनुसार शिव प्रिय बेल पत्र को भगवान पर अर्पित करते समय अपने अनामिका (Ring Finger ) और अंगुष्ठ (Thumb ) थंब से बेल पत्र को पकड़ कर भोले शंकर को अर्पण करें। गौरतलब है कि शास्त्रों में अनामिका को सूर्यनारायण और मंगल का क्षेत्र माना गया है। जबकि अंगुष्ठ पर शुक्र का पूरा -पूरा अधिकार बताया गया है। इसलिए सदैव इन्हीं दो अँगुलियों से ही बेल पत्र का अर्पण करना चाहिए । साथ ही स्त्रियों को ॐ शिवाय नमः और पुरुषों को ॐ नमः शिवाय या फिर भगवान शिव के 1008 नाम में यथारुचि किसी भी नाम का उच्चारण कोई भी वस्तु चढ़ाते समय जाप के रूप में करना चाहिए।

बेल पत्र की महिमा

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव को बेल पत्र अत्यंत प्रिय हैं। इसलिए भक्त गण भगवान् शिव की पूजा में बेल पत्र जरूर चढ़ाते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार हमेशा 7 , 11 , 21 , 51 और 108 बेलपत्र चढ़ाना बेहद शुभ माना जाता हैं। ज्योतिषाचार्य पं.राकेश पाण्डेय के मुताबिक यदि आपको बेल पत्र नहीं मिल रहा है तो आप पुनः चढ़ाये हुए बेलपत्र को धूल कर के या इसका परीछालन करके दुबारा शिवलिंग पर चढ़ा सकते हैं।

भगवान् शिव को बेहद प्रिय है ये यह पुष्प

मान्यताओं के अनुसार भोलेनाथ को सफ़ेद कनेर का पुष्प बेलपत्र से भी ज्यादा प्रिय है। कहा जाता है कि एक सफ़ेद कनेर का पुष्प और 1008 बेलपत्र दोनों की महत्ता एक बराबर ही मानी गयी है। अर्थात शिवलिंग पर मात्र एक सफ़ेद कनेर का पुष्प चढाने से 1008 बेलपत्र चढाने के बराबर का फल प्राप्त होता है।

कैसे करें पूजन :

भगवान शिव का पूजन करते समय मन क्रम वचन तीनों रूप से शुद्ध होकर मन में ॐ शिवाय नमः या ॐ नमः शिवाय का जप करते हुए सबसे पहले जल चढ़ाये। फिर दूध और पंचामृत अर्पण करें। उसके बाद महादेव को अत्यंत प्रिय भस्म लगाकर भांग चढ़ाये , सफ़ेद चन्दन या पीला चन्दन लगाने के बाद यथासंभव सफ़ेद कनेर या नीला पुष्प या सफ़ेद पुष्प या सफ़ेद मदार जिसे श्वेतार्क कहते हैं वो चढ़ाये। उसके बाद बेलपत्र इत्यादि भगवान शिव की अर्पण करने के बाद बैठ करके स्त्रियों को ॐ शिवाय नमः और पुरुषों को ॐ नमः शिवाय का जाप करना चाहिए।


Preeti Mishra

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Content Writer (Health and Tourism)

प्रीति मिश्रा, मीडिया इंडस्ट्री में 10 साल से ज्यादा का अनुभव है। डिजिटल के साथ-साथ प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में भी काम करने का तजुर्बा है। हेल्थ, लाइफस्टाइल, और टूरिज्म के साथ-साथ बिज़नेस पर भी कई वर्षों तक लिखा है। मेरा सफ़र दूरदर्शन से शुरू होकर DLA और हिंदुस्तान होते हुए न्यूजट्रैक तक पंहुचा है। मैं न्यूज़ट्रैक में ट्रेवल और टूरिज्म सेक्शन के साथ हेल्थ सेक्शन को लीड कर रही हैं।

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