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Sawan Ka Mahina: सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा क्यों, जानिये वैज्ञानिक कारण

Sawan Ka Mahina: वैदिक विज्ञान केंद्र के प्रभारी डॉ. भरत राज सिंह ने Newstrack.Com से बातचीत में बताया कि सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा क्यों की जाती है।

Ramkrishna Vajpei
Written By Ramkrishna VajpeiPublished By Shivani
Published on: 22 July 2021 2:20 PM IST (Updated on: 22 July 2021 2:29 PM IST)
Sawan Ka Mahine
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भगवान शिव की पूजा करती महिला (Photo Social Media)

Sawan Ka Mahina : शास्त्रों में कहा गया है कि सावन का महीना भगवान शिव (Lord Shiv) का महीना होता है, क्योंकि ऐसी मान्यता है कि इस महीने में भगवान विष्णु पाताल लोक में रहते हैं, इसी वजह से इस महीने में भगवान शिव ही पालनकर्ता होते हैं और वहीं भगवान विष्णु के भी कामों को देखते हैं, यानि सावन के महीने में त्रिदेवों की सारी शक्तियां भगवान शिव के पास ही होती है। यह जानकारी वैदिक विज्ञान केंद्र के प्रभारी डॉ. भरत राज सिंह ने Newstrack.Com को एक बातचीत में दी।

भगवान शिव की पूजा सावन में क्यों होती है (Shiv Ki Puja Sawan Me Kyun)

डॉ. सिंह बताते हैं कि शिव को देवों का देव महादेव कहा जाता है। वेदों में इन्हें रूद्र नाम से पुकारा गया है। अब आपको कुछ ऐसे काम बताते है, जिन्हे सावन में करने से भगवान शिव प्रसन्न हो जाते हैं जैसे

सावन के महीने में शिवलिंग की पूजा की जाती है, लिंग सृष्टि का आधार है और शिव विश्व कल्याण के देवता है।

शिवलिंग से दक्षिण दिशा में ही बैठकर पूजन करने से मनोकामना पूर्ण होती है।


शिवलिंग पूजा में दक्षिणा दिशा में बैठकर करके साथ भक्त को भस्म का त्रिपुण्ड लगाना चाहिए, रूद्राक्ष की माला पहननी चाहिए और बिना कटेफटे हुये बिल्वपत्र अर्पित करने चाहिए।

शिवलिंग की कभी पूरी परिक्रमा नहीं करनी चाहिए। आधी परिक्रमा करना ही शुभ होता है।

सावन में शिव की पूजा का वैज्ञानिक कारण (Sawan Ka Scientific Reason)

स्कूल ऑफ मैनेजमेंट साइंसेज, लखनऊ के निदेशक डा. भरत राज सिंह का कहना है कि शिव ब्रह्माण्ड की शक्ति के द्योतक हैं। शिव लिंग काले पत्थर का ही होता है, जो वातावरण व ब्रह्माण्ड से ऊर्जा अवशोषित करता रहता है। इस ऊर्जा को पूर्ण रूप से शिवलिंग में समाहित करने के लिए इसको साफ सुथरा रखने व जल, दूध आदि से अभिषेक करने की प्रथा शुरू हुई हैं, जिससे पूजा अर्चना के समय आप को उपयुक्त ऊर्जा प्राप्त हो और प्रदूषित ऊर्जा समाप्त हो जाए।


वह बताते हैं कि सावन का महीना ऐसा होता है जब बरसात से मौसम का एक माह से ज्यादा समय गुजर चुका होता है, उसके बाद मौसम में नमी व काफी सुहावनापन आ जाता है। बरसात के मौसम में शुरु के एक महीने में वातावरण में मौजूद विषाक्त गैसे धरती पर पानी के कणों के साथ आ जाती हैं और अक्सर स्त्रियों व बच्चों में त्वचा सम्बन्धी रोग उत्पन्न हो जाते हैं। इन रोगों को दूर करने हेतु ही सावन में औरतो द्वारा शिवलिंग पर अभिषेक (जल, दूध, घी, शहद आदि) से किया जाता है जिससे त्वचा रोग के जर्म भी शिव लिंग में अवशेषित होकर उनके शरीर के बैक्टीरिया भी समाप्त हो जाते हैं और औरतें निरोगी हो जाती हैं तथा शिवलिंग से अच्छी ऊर्जा ग्रहण करती हैं।



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