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Sawan 2022: सावन में भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए इन चीज़ों से करें रुद्राभिषेक, बरसेगी कृपा

Sawan 2022: आइये जानते हैं महर्षि पाराशर ज्योतिष संस्थान ट्रस्ट के ज्योतिषाचार्य पं.राकेश पाण्डेय से कि रुद्राभिषेक का क्या है? माहात्म्य और किन नियमों के साथ करना चाहिए भगवान भोलेशंकर का रुद्राभिषेक?

Preeti Mishra
Written By Preeti Mishra
Published on: 8 July 2022 6:53 PM IST (Updated on: 9 July 2022 9:04 AM IST)
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rudrabhishek on sawan (Image credit : social media)

Sawan 2022: श्रावण /सावन माह की शुरुआत 14 जुलाई गुरुवार से प्रारम्भ हो रही है। जो की 12 अगस्त तक चलेगा। हिंदी धर्म में सावन के महीने का खास महत्त्व माना गया है। भगवन शिव को समर्पित यह महीना बेहद खास होता है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक देवों के देव महादेव को प्रसन्न करने का ये बेहद ही ख़ास मास होता है।

मान्यताओं के अनुसार सावन के इस पवित्र महीने में जो भक्त सच्ची श्रद्धा से शिव जी की पूजा -अर्चना करता है भगवान उस पर प्रसन्न होकर उसकी हर मनोकामना को पूरी करते हैं।

धार्मिक और ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सावन में महादेव के रुद्राभिषेक करने से करोड़ गुना फल की प्राप्ति होती है। लेकिन इस बात का परम ध्यान रखें कि रुद्राभिषेक करते समय आप सच्चे मन और सच्ची श्रद्धा के साथ ही प्रभु का अभिषेक करें।

तो आइये जानते हैं महर्षि पाराशर ज्योतिष संस्थान ट्रस्ट के ज्योतिषाचार्य पं.राकेश पाण्डेय से कि रुद्राभिषेक का क्या है? माहात्म्य और किन नियमों के साथ करना चाहिए भगवान भोलेशंकर का रुद्राभिषेक?

ज्योतिषाचार्य पं.राकेश पाण्डेय

ज्योतिषाचार्य पं.राकेश पाण्डेय के अनुसार इस वर्ष श्रावण माह गुरुवार 14 जुलाई को प्रारम्भ हो रहा है। बता दें कि प्रतिपदा तिथि के दिन गुरुवार दिन के साथ उत्तराषाढ़ा नक्षत्र है । जो बहुत ही सुखद संयोग है। श्रावण माह भगवान शिव का पवित्र माह है। इस माह में शिव आराधना,शिव को प्रसन्न करने के लिए श्रावण माष में रुद्राभिषेक का विशेष महत्व है ।गौरतलब है कि इस बार श्रावण में चार सोमवार पड़ रहा है ।

कैसे करें महादेव का रुद्राभिषेक?

ज्योतिषाचार्य पं.राकेश पाण्डेय बताते है कि शिव पूजन में भगवान शिव को सर्वप्रथम जल धारा से स्नान कराकर पंचामृत स्नान,व बृहदजलधारा स्नान कराकर भष्मादि लगाने के बाद भागँ,विल्वपत्र सफेद कनेर का पुष्प,सफेद मदार का पुष्प,धतूरा,शमीपत्र,तुलसी मंजरी,विशेष रूप से चढ़ाकर पूजन करना चाहिए । पूजन के पश्चात् ….ॐ नमःशिवाय" मन्त्र या महामृत्युंजय मन्त्र का जप यथा सम्भव करना चाहिए।

गौरतलब है कि रुद्राभिषेक करने से कार्य की सिद्धि शीघ्र होती है । धन की इच्छा रखने वाले व्यक्ति को स्फटिक शिवलिगं पर गोदूग़्ध या गन्ने के रस से सुख समृद्धि की इच्छा रखने वाले व्यक्ति को गोदूग़्ध में चीनी व मेवे के घोल से,शत्रु विनाश के लिए सरसों के तेल से, पुत्र प्राप्ति हेतु मक्खन या घी से,अभीष्ट की प्राप्ति हेतु गोघृत से तथा भूमि भवन एवं वाहन की प्राप्ति हेतु शहद से रुद्राभिषेक करना चाहिए ।

कष्टों के निवारण हेतु इन चीज़ों से करें रुद्राभिषेक

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार नव ग्रहों के पीड़ा के निवारणार्थ निम्न द्रव्य विहित है। ज्योतिषाचार्य पं.राकेश पाण्डेय के अनुसार

- यदि जन्म कुण्डली में सूर्य से सम्बन्धित कष्ट या रोग हो तो श्वेतार्क के पत्तो को पीस कर गंगाजल में मिलाकर रुद्राभिषेक करें ।

- चन्द्रमा से सम्बन्धित कष्ट या रोग हो तो काले तिल को पीस कर गंगाजल में मिलाकर,

- मंगल से सम्बन्धित कष्ट या रोग हो तो अमृता के रस को गंगाजल में मिलाकर,

- बुध जनित रोग या कष्ट हो तो विधारा के रस से,,

- गुरु जन्य कष्ट या रोग हो तो हल्दी मिश्रित गोदुग्ध से,

- शुक्र से सम्बन्धित रोग एवं कष्ट हो तो गोदुग्ध के छाछ से,

- शनि से सम्बन्धित रोग या कष्ट होने पर शमी के पत्ते को पीस कर गंगाजल में मिलाकर,

- राहु जनित कष्ट व पीड़ा होने पर दूर्वा मिश्रित गंगा जल से,

- केतु जनित कष्ट या रोग होने पर कुश की जड़ को पीसकर गंगाजल में मिश्रित करके रुद्राभिषेक करने पर कष्टों का निवारण होता है व समस्त ग्रह जनित रोग का समन होता है।




Preeti Mishra

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Content Writer (Health and Tourism)

प्रीति मिश्रा, मीडिया इंडस्ट्री में 10 साल से ज्यादा का अनुभव है। डिजिटल के साथ-साथ प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में भी काम करने का तजुर्बा है। हेल्थ, लाइफस्टाइल, और टूरिज्म के साथ-साथ बिज़नेस पर भी कई वर्षों तक लिखा है। मेरा सफ़र दूरदर्शन से शुरू होकर DLA और हिंदुस्तान होते हुए न्यूजट्रैक तक पंहुचा है। मैं न्यूज़ट्रैक में ट्रेवल और टूरिज्म सेक्शन के साथ हेल्थ सेक्शन को लीड कर रही हैं।

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