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ये जगह भगवान शिव के रौद्र और सौम्य रूप का साक्षी है, सती ने यहां किया था आत्मदाह

हिंदू धर्मावलंबी सावन मास को सभी मासों में पवित्र मास मानते है। इस माह में शिव-पार्वती के पूजन का विधान है। वैसे तो इनका पूजन हर मास में किया जाता है, लेकिन सावन में पूजा करने से विशेष फल मिलता है।

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 9 July 2020 2:37 AM GMT
ये जगह भगवान शिव के रौद्र और सौम्य रूप का साक्षी है, सती ने यहां किया था आत्मदाह
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हरिद्वार: हिंदू धर्मावलंबी सावन मास को सभी मासों में पवित्र मास मानते है। इस माह में शिव-पार्वती के पूजन का विधान है। वैसे तो इनका पूजन हर मास में किया जाता है, लेकिन सावन में पूजा करने से विशेष फल मिलता है।

इसलिए प्रिय है शिव को सावन माह

पौराणिक कथा के अनुसार, जब भगवान भोले से सनत कुमार ने पूजा कि आपका प्रिय मास सावन क्यों है तो भगवान शिव ने कहा कि जब देवी सती ने अपने पिता दक्ष के घर में योगशक्ति से शरीर त्याग किया था, उससे पहले देवी सती ने महादेव को हर जन्म में पति के रूप में पाने का प्रण किया था। आज भी हरिद्वार के कनखल में देवी सती और महादेव का मंदिर है,जिसे दक्ष मंदिर नाम से जाना जाता है। यहां सावन माह में पूजा का अलग ही महत्व है।

जब अपने दूसरे जन्म में देवी सती ने पार्वती के रुप में हिमाचल और रानी मैना के घर में जन्म लिया, तब बड़ी होने पर पार्वती ने शिव को पति रुप में पाने के लिए सावन माह में निराहार रह कर कठोर व्रत किया और उन्हें प्रसन्न कर विवाह किया, जिसके बाद ही महादेव को भी ये मास प्रिय हो गया।

दक्षेश्वर महादेव मंदिर की कथा

दक्षेश्वर महादेव मंदिर कनखल हरिद्वार उत्तराखण्ड में स्थित है कनखल दक्षेश्वर महादेव मंदिर देश के प्राचीन मंदिरों में से एक है। ये भगवान शिव को समर्पित हैं। ये मंदिर शिव भक्तों के लिए भक्ति और आस्था की एक पवित्र जगह है। भगवान शिव का ये मंदिर सती के पिता राजा दक्ष प्रजापित के नाम पर है। इस मंदिर को रानी दनकौर ने1810 ई में बनवाया था।

पति के अपमान से क्षुब्ध सती ने त्यागे प्राण

पौराणिक कथाओं के अनुसार, राजा दक्ष प्रजापति भगवान ब्रह्मा जी के पुत्र थे और सती के पिता थे। सती भगवान शिव की प्रथम पत्नी थी। राजा दक्ष ने इस जगह एक भव्य यज्ञ का आयोजन किया, जिसमें सभी देवी-देवताओं, ऋषियों और संतो को आमंत्रित किया। इस यज्ञ में भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किया था। इस घटना से सती ने अपमानित महसूस किया, क्योंकि सती को लगा राजा दक्ष ने भगवान शिव का अपमान किया है।

सती ने यज्ञ की अग्नि में कूद कर अपने प्राण त्याग दिये। इससे भगवान शिव क्रोधित हो गए और भगवान शिव ने अपने अर्ध-देवता वीरभद्र, भद्रकाली और शिव गणों को कनखल युद्ध के लिए भेजा। वीरभद्र ने राजा दक्ष का सिर काट दिया। सभी देवताओं के अनुरोध पर भगवान शिव ने राजा दक्ष को जीवन दान दिया और उस पर बकरे का सिर लगा दिया।

भोले बाबा सावन में करते है निवास

राजा दक्ष को अपनी गलतियों को एहसास हुआ और भगवान शिव से क्षमा मांगी। तब भगवान शिव ने घोषणा कि हर साल सावन के माह में भगवान शिव कनखल में निवास करेंगे। जिस यज्ञ कुण्ड में सती ने प्राण त्यागे वहां दक्षेश्वर महादेव मंदिर बनाया गया था। ऐसा माना जाता है कि आज भी यज्ञ कुण्ड मंदिर में अपने स्थान पर है। मंदिर के पास गंगा के किनारे पर दक्षा घाट है, जहां शिव भक्त गंगा में स्नान कर भगवान शिव के दर्शन कर आंनद को प्राप्त करते है।

Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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