Sawan Som Pradosh Vrat 2022 Today: सावन का पहला प्रदोष बहुत खास, पूजा-व्रत और कथा सुनने मात्र से प्रसन्न होंगे महाकाल, करें ये उपाय

Sawan Som Pradosh Vrat 2022 Today : सावन माह में पहला प्रदोष व्रत सोमवार को पड़ रहा है। शास्त्रों में सोम प्रदोष का विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन विधि-विधान से शिव की पूजा करने से विशेष फल मिलता है। अंखड सौभग्य के मां पर्वती की आराधना करनी चाहिए।

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 25 July 2022 3:12 AM GMT (Updated on: 22 Jun 2023 9:02 AM GMT)
Sawan Som Pradosh Vrat 2022  Today
X

सांकेतिक तस्वीर ( सौ. से सोशल मीडिया)

Sawan Som Pradosh Vrat 2022 Today :

सावन का पहला सोम प्रदोष व्रत ( 25 जुलाई 2022) कब है?

शिव को प्रसन्न करने का सरल मार्ग है प्रदोष व्रत। वैसे तो एकादशी की तरह ही साल में 24 प्रदोष पड़ते हैं जो शिव को अति प्रिय है। त्रयोदशी तिथि के दिन पड़ता है।। शिव की भक्ति और कृपा के लिए हर माह की त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष व्रत कर प्राप्त की जा सकती है। हर माह में कृष्ण और शुक्ल पक्ष में 2 प्रदोष पड़ते हैं। इस बार सावह माह में प्रदोष व्रत सोमवार को पड़ रहा है। हिंदू शास्त्रों में सोम प्रदोष ( Som Pradosh vrat ) का विशेष महत्व बताया गया है। प्रदोष के दिन भगवान शिव की पूजा कर व्रत धारण किया जाता है। प्रदोष व्रत जिस दिन होता है उसके अनुसार उनका नाम होता है।

इस बार सावन में 25 जुलाई 2022 को प्रदोष व्रत है। प्रदोष व्रत जिस दिन होता है उसके अनुसार उसका नाम निर्धारित होता है। 25जुलाई को पड़ने वाला प्रदोष व्रत के दिन सोमवार है, इसलिए इसे सोम प्रदोष कहते हैं। जो सावन का पहला व्रत हैं।शिव ही आदि है और शिव ही अंत है। निराकार निरब्रह्म शिव (lord shiva) की पूजा कर ही समस्त सृष्टि को प्रसन्न किया जा सकता है।

सावन माह में अगर सोमवार को ही प्रदोष व्रत हो तो शिव पूजा के लिए इसे बहुत शुभ माना जाता है। द्वादशी और त्रयोदशी तिथियों एक साथ होना प्रदोष व्रत कहलाता है। मान्यता है इस दिन महादेव और शिव पार्वती की पूजा से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। प्रदोष के दिन शिव-पार्वती की पूजा सायं काल में की जाती है। हर व्रत का फल तभी मिलता है जब पूजा के समय कथा का श्रवण किया हो ।

धर्मशास्त्रों के अनुसार सोम और शनि प्रदोष का व्रत सभी प्रदोषों में सबसे कम बार आता है। इसलिए इस व्रत की महिमा और बढ़ जाती है। माता पार्वती और भगवान शिव को समर्पित इस व्रत को लोग लंबी आयु, संतान और समृद्धि के लिए करते हैं। इस प्रदोष व्रत सोमवार के दिन है तो जानते हैं आने वाले इस व्रत शुभ मुहूर्त...


सोम प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त...

सावन माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ 25 जुलाई सोमवार को 4 . 15 मिनट से त्रयोदशी तिथि का समापन 26 जुलाई को शाम 6 , 4 मिनट पर होगी। प्रदोष व्रत की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त 25 जुलाई को शाम 7 . 17 मिनट से रात 9 बजकर 21 मिनट तक रहेगा। प्रदोष पूजा हमेशा शाम के समय में करते हैं। सोम प्रदोष व्रत की पूजा का मुहूर्त 25 जुलाई की शाम को है, ऐसे में सोम प्रदोष व्रत इस दिन ही रखा जाएगा।

प्रदोष की पूरी तिथि :25 जुलाई सोमवार को द्वादशी 04:15 PM तक उसके बाद त्रयोदशी

  • ब्रह्म मुहूर्त : 04:22 AM से 05:09 AM
  • अमृत काल :-03:10 PM से 04:58 PM
  • अभिजीत मुहूर्त :12:06 PM से 12:59 PM
  • प्रदोष काल शाम :06:38 PM से 07:02 PM
  • प्रदोष की पूजा : 25 जुलाई शाम 07. 12 मिनट से रात 09 .21 मिनट
  • निशित काल-11:43 PM से 12:25 AM, 26 जुलाई
  • पारणा का समय: 8.10 am से 9.10 am तक
  • सर्वार्थ सिद्धि योग-05:22 AM से 01:06 AM, July 26
  • अमृतसिद्धि योग-05:22 AM से 01:06 AM, July 26
  • व्याघात योग

सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृतसिद्धी योग, व्याघात योग का संयोग इस बार सोम प्रदोष के दिन बना है। जो आपको सुख-समृद्धि दिलाते है। इस दिन मां पार्वती की पूजा अखंड सौभाग्य के लिए करना चाहिए।

सोम प्रदोष से चंद्र दोष का निवारण

सोम प्रदोष के दिन चंद्रमा की पूजा भी शिव के साथ करते हैं। इससे कुंडली में चंद्र दोष का निवारण होता है और मनोकामनाएं पूर्ण होती है।सोमवार को चंद्रमा अपनी राशि में रहेगा । सोम प्रदोष के दिन चंद्रमा का महत्व बढ़ जाता है। इस दिन भगवान शिव का अभिषेक और चंद्र की पूजा करने से दोषों से मुक्ति मिलती है। सोम प्रदोष के दिन ही पुष्य नक्षत्र, आयुष्मान और सौभाग्य योग बन रहा है। तो हर प्रकार के कष्ट की मुक्ति के लिए अच्छा है। सोम प्रदोष के दिनसर्वार्थ सिद्धि योग, अमृतसिद्धी योग,रहेगा और इस योग में किए गए कार्य सफल होते हैं और उनमें उन्नति होती है ।

इस दिन अभिजीत मुहूर्त में किेए गए काम में सफलता मिलेगी। व्यवसाय, नौकरी और शिक्षा के क्षेत्र में सफलता के लिए मन में इच्छा रखकर इस प्रदोष व्रत करें और शिव पंचाक्षर मंत्र से शिव से कामना करने पर हर इच्छा पूरी होती है। निशिता काल में विशेष कृपा के लिए शिव की पूजा प्रदोष व्रत के दिन की जाए तो सारे काम पूरे होते है।

सोम प्रदोष पर खास उपाय

  • इस उत्तम व्रत के दिन शिव की विशेष कृपा पाने लिए आप विशेष उपाय कर सकते हैं। इस अगर आप शारीरिक रुप से अस्वस्थता को दूर करना चाहते हैं, ज्ञान मोक्ष और आनंद पाना चाहते है तो इन उपायों को करने से शीघ्र फल मिलता है।
  • बुखार होने पर भगवान शिव को जल चढ़ाने से शीघ्र लाभ मिलता है। सुख व संतान की वृद्धि के लिए भी जल द्वारा शिव की पूजा उत्तम बताई गई है।
  • तेज दिमाग के लिए शक्कर मिला दूध भगवान शिव को चढ़ाएं।
  • शिवलिंग पर गन्ने का रस चढ़ाया जाए तो सभी आनंदों की प्राप्ति होती है।
  • शिव को गंगा जल चढ़ाने से भोग व मोक्ष दोनों की प्राप्ति होती है।
  • शहद से भगवान शिव का अभिषेक करने से टीबी रोग में आराम मिलता है।
  • यदि शारीरिक रूप से कमजोर कोई व्यक्ति भगवान शिव का अभिषेक गाय के शुद्ध घी से करे तो उसकी कमजोरी दूर सकती है हो।
  • भगवान शिव को चावल चढ़ाने से धन की प्राप्ति होती है।
  • तिल चढ़ाने से पापों का नाश हो जाता है।
  • जौ अर्पित करने से सुख में वृद्धि होती है।
  • गेहूं चढ़ाने से संतान वृद्धि होती है।यह सभी अन्न भगवान को अर्पण करने के बाद गरीबों में बांट देना चाहिए।

सोम प्रदोष व्रत कथा

ऐसी मान्यता है कि बहुत समय पहले एक विधवा ब्राह्मणी थी जो अपने बेटे के साथ रहती थी और भीख मांगकर अपना जीवन बिता रही थी। एक दिन उसकी मुलाकात एक राजकुमार से हुई, जो बहुत थका हुआ था और वह उसे सड़क पर मिला था। वह विदर्भ का राजकुमार था और कुछ लुटेरे थे जिन्होंने उसके पिता, विदर्भ के राजा को मार डाला और पूरे राज्य पर कब्जा कर लिया। इस बीच, राजकुमार वहां से भाग गया और भूख और प्यास के कारण जब तक वह सड़क पर नहीं गिरा, तब तक इधर-उधर घूमता रहा।

वह ब्राह्मणी उसे अपने घर ले गई और उसने अपने बेटे की तरह उससे व्यवहार किया। एक दिन ब्राह्मणी दोनों को शांडिल्य ऋषि आश्रम ले गई और सोम प्रदोष व्रत के बारे में सुना। लौटते समय, राजकुमार आसपास घूमने चला गया, जबकि ब्राह्मणी अपने बेटे के साथ घर लौट आई।

चारों ओर घूमते हुए, उनकी मुलाकात एक गंधर्व लड़की से हुई, जो एक जगह पर खेल रही थी और उसका नाम अंशुमती था। उस दिन राजकुमार ने देर से घर लौटने से पहले काफी देर तक गंधर्व लड़की से बात की। अगले दिन, राजकुमार उसी स्थान पर वापस गया, जहाँ वह अंशुमती से मिला था। उस दिन, वह वहाँ अपने माता-पिता से राजकुमार से मुलाकात के बारे में बात कर रही थी, उसकी माँ और पिताजी ने तुरंत उसे विदर्भ के राजकुमार धर्मगुप्त के रूप में पहचान लिया, और राजकुमार ने यह बात स्वीकार कर ली।

उन्हें राजकुमार बहुत पसंद आया और उस रात भगवान शिव उनके सपने में आए, और उन्होंनें सपने में बताया कि उन्हें अपनी बेटी का विवाह धर्मगुप्त से कर देना चाहिए। अगले दिन, उन्होंने धर्मगुप्त से बात की और वह सहमत हो गया।

उन्होंने एक शुभ दिन देखकर शादी कर ली और फिर अपने ही राज्य पर आक्रमण करके लुटेरों को सिंहासन से उखाड़ फेंका और एक बार फिर सिंहासन पर विजय प्राप्त की, और वह स्वयं विदर्भ का राजा बन गया।

अपने राज्याभिषेक के बाद वह उस विधवा ब्राह्मणी और उसके बेटे को महल में ले आया। उन्होंने ब्राह्मणी के पुत्र को अपना प्रधान मंत्री बनाया और दोनों को महल में बड़े आदर और सम्मान के साथ रखा।

जब अंशुमती ने उनसे उनकी जीवन कहानी के बारे में पूछा, तो धर्मगुप्त ने उसे पूरी कहानी बताई और उन्हें सोम प्रदोष व्रत और उसके महत्व के बारे में भी बताया।

उस समय से ही सोम प्रदोष व्रत को विश्व में प्रसिद्धि मिली।

सोम प्रदोष व्रत के नियम

सोम प्रदोष व्रत के लिए इस दिन, आपको सुबह जल्दी उठकर जल्दी स्नान करना होता है। भगवान शिव की मूर्ति पर कुछ दूध या सादा जल चढ़ाते हैं, तो आप सभी बाधाओं से छुटकारा पा सकते हैं। फिर भगवान शिव और माता पार्वती से प्रार्थना करें। अपनी दाहिनी हथेली में थोड़ा सा पानी रखकर संकल्प लें। अपने मन में भगवान शिव को स्मरण करें और फिर उनके लिए भोजन रखें।

दोस्तों देश और दुनिया की खबरों को तेजी से जानने के लिए बने रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलो करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।

Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

Next Story