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Shami Ka Paudha: विजयदशमी और शमी के पेड़ से जुड़े रहस्य, जानिए शमी का पेड़ कब और कहां लगाना चाहिए

Shami Ka Paudha: विजय दशमी के दिन ही शमी को लगाया जाता है। जैसा की नाम में ही दशमी तिथि में शमी जुड़ा है तो इसका धार्मिक महत्व खुद बढ जाता है। इसी दिन से मांगलिक कर्मों की शुरूआत की जाती है। इस दिन फसलों के साथ शस्त्रों की पूजा का भी विधान है। कन्या पूजन के बाद मां दुर्गा की इस दिन विदाई की जाती है और मां के सामने सत्य के मार्ग पर चलने का संकल्प लिया जाता है।

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 1 Oct 2022 7:30 AM IST (Updated on: 1 Oct 2022 11:16 AM IST)
Dussehra Ke Din Shami Ki Puja
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सांकेतिक तस्वीर ( सौ. से सोशल मीडिया)

Shami Ka Paudha

विजय दशमी या दशहरे पर शमी के पूजा का महत्व:

शारदीय नवरात्रि का आखिर में दशमी के दिन विजय दिवस मनाते हैं। यानि विजय दशमी। य़े दिन बचपन की स्मृति में रावण दहन , दशहरा और बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाते हैं। इस दिन ही श्रीराम में रावण रुपी बुराई का अंत कर विजय का पताका फहराया था। इस साल आश्विन मास की दशमी तिथि 5 अक्टूबर को मनाई जाएगी।

विजय दशमी के दिन से ही मांगलिक कर्मों की शुरूआत हो जाती है। इस दिन फसलों के साथ शस्त्रों की पूजा का भी विधान है। कन्या पूजन के बाद मां दुर्गा की इस दिन विदाई की जाती है और मां के सामने सत्य के मार्ग पर चलने का संकल्प लिया जाता है।

शमी के वृक्ष से जुड़ी धार्मिक मान्यता और लाभ

  • धर्मानुसार दशहरा के दिन शमी के पेड़ की पूजा भी की जाती है। कहते हैं कि इस दिन शमी के वृक्ष को पूजना बहुत ही शुभकारी है। क्योंकि दशहरा के द‌िन शमी के वृक्ष की पूजा करें या संभव हो तो इस द‌िन अपने घर में शमी के पेड़ लगाएं और न‌ियम‌ित दीप द‌िखाने से समृद्धि बढ़ती है।
  • दशहरा के दिन शमी पूजा का महत्व बहुत अधिक है। दशहरा की शाम को शमी वृक्ष की पूजा करने से बुरे स्वप्नों का नाश , धन , शुभ करने वाले शमी के पूजा कर श्रीराम ने लंका पर विजय पाया था, पांडवों के अज्ञातवास में सहयोग मिला था। इससे शमी के पेड़ की धैर्यता ,तेजस्विता एवं दृढ़ता का भी पता चलता है।इसमें अग्नि तत्व की प्रचुरता होती है। इसी कारण यज्ञ में अग्नि प्रकट करने हेतु शमी की लकड़ी खास होती है।
  • मान्यता है क‌ि दशहरा के द‌िन कुबेर ने राजा रघु को स्वर्ण मुद्राएं देने के ल‌िए शमी के पत्तों को सोने का बना द‌िया था। तभी से शमी को सोना देने वाला पेड़ माना जाता है।
  • एक और धार्मिक मान्यता महाभारत से जुड़ी है। दुर्योधन ने पांडवों को बारह वर्ष के वनवास के साथ एक वर्ष का अज्ञातवास दिया था । तेरहवें वर्ष यदि उनका पता लग जाता तो उन्हें पुनः 12 वर्ष का वनवास भोगना पड़ता। इसी अज्ञातवास में अर्जुन ने अपना धनुष एक शमी वृक्ष पर रखा था तथा स्वयं वृहन्नला वेश में राजा विराट के यहां नौकरी कर ली थी। जब गोरक्षा के लिए विराट के पुत्र धृष्टद्युम्न ने अर्जुन को अपने साथ लिया, तब अर्जुन ने शमी वृक्ष पर से अपने हथियार उठाकर शत्रुओं पर विजय प्राप्त की थी।


सांकेतिक तस्वीर ( सौ. से सोशल मीडिया)

दशहरे पर शमी की पूजा और शनि दोष का निवारण

  • मानते है कि शमी का पौधा किसी भी स्थिति में अपने अस्तित्व को बनाये रखता है। जो अनुशरण करने योग्य अत्यंत शुष्क स्थितियां भी इसको नुकसान नहीं पहुंचा सकती है। इसके अंदर छोटे-छोटे कांटे भी पाए जाते हैं, ताकि यह सुरक्षित रहे। इसके कठोर गुणों और शांत स्वभाव के कारण इसका संबंध शनि देव से है।
  • शमी आयुर्वेद की दृष्टि में तो शमी अत्यंत गुणकारी औषधि है। इस वृक्ष पर कई देवताओं का वास होता है। सभी यज्ञों में शमी वृक्ष की समिधाओं का प्रयोग शुभ माना गया है। तंत्र-मंत्र बाधा और नकारात्मक शक्तियों के नाश के लिए होता यह लाभकारी है।एक ईश्वरीय पौधा है जिसको घर में लगाने से व्यक्ति के जीवन में खुशहाली आती है। शमी पौधे का संबंध भगवान शनि और शिव से है।भगवान शिव और शनि दोनों को बहुत प्रिय है। शनिवार को घर में शमी का पौधा लगाने से शनि की साढ़े शाति से मुक्ति मिलती है।
  • शमी के फूल, पत्ते, जड़ें, टहनियां और रस का इस्तेमाल कर शनि संबंधी दोषों से जल्द मुक्ति पाई जा सकती है। शमी का वृक्ष घर के ईशान कोण (पूर्वोत्तर) में लगाना लाभकारी माना गया है।नियमित रूप से शमी वृक्ष की पूजा की जाए और इसके नीचे सरसों तेल का दीपक जलाया जाए, तो शनि दोष से कुप्रभाव से बचाव होता है।


दशहरे पर कहां लगाए शमी का पौधा

  • शमी का पौधा विजयादशमी को लगाना शुभ होता है। इसे घर बाहर गमले में या जमीन पर कही भी लगा सकते हैं। इसके अलावा शमी को शनिवार के दिन लगाते हैं इसे ईशान कोण मे लगाना शुभ है। नियमित सुबह इसमें जल देना लाभकारी होता है।
  • ऐसे करने से शनि दोष से मुक्ति मिलती है। घर में लगाएं हुए शमी के पौधे के नीचे हर शनिवार को दीपक जलाएं। यह दीपक सरसों के तेल का होना चाहिए। नियमित रूप से इसकी उपासना से शनि की हर प्रकार की पीड़ा का नाश होता है।
  • शमी के पत्ते जितना ज्यादा घने होते हैं, उतनी ही घर में धन-संपत्ति और समृद्धि आएगी। अगर शनि के कारण स्वास्थ्य या दुर्घटना की समस्या है, तो शमी की लकड़ी को काले धागे में लपेट कर धारण करें। शनि की शान्ति के लिए शमी की लकड़ी पर काले तिल से हवन करें।


सांकेतिक तस्वीर ( सौ. से सोशल मीडिया)


विजय दशमी या दशहरा का महत्त्व

नवरात्रि और दशहरा शक्ति और संकल्प के साथ विजय प्रतीक है। इस दिन मां दुर्गा के साथ श्री राम की भी पूजा करते हैं। और मांदुर्गा से सुख समृद्धि और खुशहाली मांगते हैं।. इस दिन रावण वध के बाद ही श्रीराम में सीता जी को सुरक्षित मुक्त कराया था। यह त्योहार नारी के नारीत्व और सम्मान की रक्षा का भी संकल्प दिलाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन ही विजय मुहूर्त की शुरु होने से हर काम सिद्ध होता है। रामायण के साथ महाभारत काल में पांडवों का भी इस दिन से संबंध है। इस दिन लंकापति का पुतला जलाने की परंपरा है तो दूसरी ओर इस दिन पावन तिथि के दिन मां दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षक का संहार किया था, जिस कारण इस विजयदशमी के नाम से भी जाना जाता है, तथा इस दिन शस्त्रों की पूजा आदि का भी विधान है ।

  • दशहरे के द‌िन नीलकंठ पक्षी को देखना शुभ होता है। धार्मिक मान्यता है क‌ि इस द‌िन यह पक्षी द‌िखे तो आने दिन खुशहाल होते है।
  • दशहरा पर रावण दहन के बाद बची हुई लकड़‌ियां म‌िल जाए तो उसे घर में लाकर कहीं सुरक्ष‌ित रख दें। इससे नकारात्मक शक्‍त‌ियों का घर में प्रवेश नहीं होता है।
  • दशहरे के द‌िन लाल रंग के नए कपड़े या रुमाल से मां दुर्गा के चरणों को पोंछ कर इन्‍हें त‌िजोरी या अलमारी में रख दें। इससे घर में उन्नति बनी रहती



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Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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