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Shani Pradosh Vrat March Me Kab H? कब है मार्च में शनि प्रदोष व्रत, इस दिन शुभ संयोग में विधि-विधान से करें पूजा,कष्ट का होगा निवारण
Shani Pradosh Vrat March Me Kab H? शनि प्रदोष व्रत मार्च में कब है ?:प्रदोष व्रत करने के लिए व्रती को त्रयोदशी के दिन सुबह जल्दी उठना चाहिए। नहाकर भगवान शिव का ध्यान करना चाहिए। इस व्रत में भोजन ग्रहण नहीं किया जाता है। गुस्सा या विवाद से बचकर रहना चाहिए।
Shani Pradosh Vrat March Me Kab H?
शनि प्रदोष व्रत मार्च में कब है ?
प्रदोष व्रत साल में कई बार होता है जिसके दिनों के अनुसार प्रभाव और फल होते हैं। प्रत्येक महीने की कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष को त्रयोदशी व्रत ही प्रदोष व्रत होता है। यह व्रत प्रदोष काल में होते हैं। सूर्यास्त के बाद और रात्रि के आने से पहले का जो समय होता है उसे ही प्रदोष काल कहा जाता है। प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा की जाती है। प्रदोष व्रत के फल के महत्व को देखकर ही इसे लोग भक्ति भाव से करते हैं। शनि प्रदोष व्रत कब पड़ रहा है इसके साथ जानते हैं दिन के अनुसार अलग-अलग प्रदोष व्रत और उनके लाभ बता रहे हैं....
शनि प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त-
इस बार फाल्गुन के शुक्ल पक्ष शनि प्रदोष व्रत दो शुभ योग शोभन और रवि योग में है। इस दिन प्रात:काल से लेकर शाम 07.37 मिनट तक शोभन योग रहेगा। वहीं रवि योग शाम को 06 . 41 मिनट से अगले दिन 05 मार्च की सुबह 06 . 37 मिनट तक है। ये दोनों ही योग शुभ हैं। इसमें पूजा पाठ का शुभ फल प्राप्त होता है।04 मार्च को प्रदोष व्रत के दिन रुद्राभिषेक का भी अवसर है। इस दिन शिववास है। प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव का वास कैलाश पर सुबह से लेकर दिन में 11.43 मिनट तक है। उसके बाद उनका वास नंदी पर होगा। कैलाश और नंदी पर वास होने पर रुद्राभिषेक कराया जाता है।
- शनि प्रदोष व्रत तिथि – त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 4 मार्च, शनिवार को सुबह 11 बजकर 43 मिनट पर हो रही है
- त्रयोदशी तिथि समाप्त – इस तिथि का समापन अगले दिन 05 मार्च रविवार को दोपहर 02 बजकर 07 मिनट पर होगा।
- ब्रह्म मुहूर्त :05:14 AM से 06:01 AM
- अमृत काल :11:30 AM से 01:18 PM
- अभिजीत मुहूर्त :12:15 PM से 01:01 PM
- प्रदोष काल शाम : 05:49 PM से 06:13 PM तक
- निशिता काल : 11:45 PM से 12:34 AM, 5 मार्च
- रवि योग-06:41 PM से 06:18 AM, Mar 05
- शनि प्रदोष के दिन शनि देव की पूजा भी शिव के साथ करते हैं। जो हर कष्ट का निवारण करते हैं और मनोकामनाएं पूर्ण होती है।
- पारणा का समय: 5.10 am से 8.21 am तक
शनि प्रदोष व्रत विधि-विधान से पूजा
प्रदोष व्रत शनिवार को पड़ रहा है। इस लिए इस दिन प्रदोष काल में भगवान शिव के साथ गणेश जी और शिव परिवार एवं शनिदेव की विधि विधान से पूजा की जाएगी। शनिवार के दिन न्या भी पूजा करनी चाहिए। वे सभी मनोकामनाओं की पूर्ति करेंगे। इस दिन गणेश चालीसा, शनि चालीसा और उनके मंत्रों का जाप, शिव चालीसा की आरती करना अत्यंत मंगलकारी माना जाता है। आज आप कोई नया कार्य करना चाहते हैं तो शुभ मुहूर्त का ध्यान रखें।
शनि प्रदोष पूजा विधि
शनि प्रदोष के दिन सुबह स्नान करने के बाद भगवान शिव का अभिषेक करें।प्रदोष व्रत के दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। इस दिन सूर्यास्त से एक घंटा पहले नहाकर भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए।प्रदोष व्रत की पूजा में कुशा के आसन का प्रयोग करना चाहिए। पंचामृत का पूजा में प्रयोग करें। धूप दिखाएं और भगवान शिव को भोग लगाएं।इसके बाद व्रत का संकल्प लें। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव त्रयोदशी तिथि में शाम के समय कैलाश पर्वत पर स्थित अपने रजत भवन में नृत्य करते हैं।इस दिन भगवान शिव प्रसन्न होते हैं। निसंतान को संतान मिलती है। संतान सत्कर्मों में लगी रहती है। प्रदोष व्रत करने के लिए व्रती को त्रयोदशी के दिन सुबह जल्दी उठना चाहिए। नहाकर भगवान शिव का ध्यान करना चाहिए। इस व्रत में भोजन ग्रहण नहीं किया जाता है। गुस्सा या विवाद से बचकर रहना चाहिए।
प्रदोष व्रत दिन के अनुसार
रविवार को के प्रदोष व्रत से आयु में वृद्धि होती है। सोमवार के दिन के प्रदोष व्रत को सोम प्रदोष कहा जाता है। सोम प्रदोष से मनोकामनाओं की पूर्ती होती है। मंगलवार के दिन होने प्रदोष व्रत को भौम प्रदोषम कहा जाता है। भौम प्रदोष व्रत रखने से रोगों से मुक्ति मिलती है और सेहत अच्छी रहती है। भौम प्रदोष व्रत से कैंसर, टीबी और शुगर जैसी बड़ी समस्याओं में भी लाभ मिलता है। बुधवार के दिन वाला प्रदोष व्रत करने से व्यक्ति की कामना सिद्ध होती है, इसके भी अति लाभ बताए गए हैं। बृहस्पतिवार यानि गुरूवार का प्रदोष व्रत करने से शत्रुओं का नाश होता है, विरोधी पक्ष से लड़ने के लिए यह व्रत करें। शुक्रवार के दिन प्रदोष व्रत करने से सौभाग्य प्राप्ति होती है, इस व्रत से दांपत्य जीवन में सुख मिलता है। शनिवार के दिन आने वाले प्रदोष व्रत को शनि प्रदोषम कहा जाता है, इस प्रदोष व्रत से संतान प्राप्ति होती है। अतएव लोगों को अपनी कामना अनुसार प्रदोष व्रत करना चाहिए। इससे आपके जीवन में सभी कार्य सिद्ध होंगे। भोलेनाथ की कृपा बनी रहेगी और प्रदोष दोष दूर होगा।