TRENDING TAGS :
Shankh Ka Mahatva: शंख दूर करता है जीवन का हर दुष्प्रभाव, जानिए इसके धार्मिक महत्व और फायदे
Shankh Ka Mahatva:भगवान विष्णु को प्रिय और लक्ष्मी का प्रतीक शंख का प्रयोग भगवान शिव की पूजा में नहीं होता है और न ही इन्हें शंख से जल दिया जाता है। इसके पीछे एक पौराणिक कथा है। इसका उल्लेख ब्रह्मवैवर्त पुराण में मिलता है।
Shankh Ka Mahatva:
शंख का महत्व: भगवान विष्णु ( Lord Vishnu )को प्रिय और लक्ष्मी ( Goddess Lakshmi) का प्रतीक शंख का प्रयोग भगवान शिव की पूजा में नहीं होता है और न ही इन्हें शंख से जल दिया जाता है। इसके पीछे एक पौराणिक कथा है। इसका उल्लेख ब्रह्मवैवर्त पुराण में मिलता है।
कहते है कि पौराणिक काल में जब समुद्र मंथन हुआ था उसमें से कई चीजें निकली थी जिनमें से एक था शंख जिसे मां लक्ष्मी का स्वरूप कहा जाता है। शंख का पूजा में विशेष स्थान होता है और इसके बिना लक्ष्मीजी की आराधना अधूरी मानी जाती हैं। शंख का ज्योतिषीय महत्व भी बताया गया हैं जिसकी ध्वनि से वातावरण में सकारात्मकता का संचार होता हैं और जीवन में खुशियों का आगमन होता हैं। वहीँ शंख की ध्वनि से ग्रहों के अशुभ प्रभाव भी दूर होते हैं।
शंख से भगवान विष्णु और गुरु को प्रसन्न
भगवान विष्णु को प्रसन्न करने और कुंडली में गुरु को मजबूत बनाने के लिए गुरुवार को शंख का केसर से तिलक करें। ऐसा करने से आपकी कुंडली में गुरु ग्रह ही स्थिति मजबूत होती है। इसके साथ ही आपको भगवान विष्णु की कृपा से सुख और संपत्ति की प्राप्ति होती है।
शंख से शुक्र को बनाए मजबूत
शुक्र ग्रह सभी जीवन में सौंदर्य, आकर्षण, प्रेम और भौतिक सुविधाओं का कारक माना जाता है। शुक्र के शुभ प्रभाव प्राप्त करने के लिए भी शंख को सफेद कपड़े में लपेटकर रखें और रोजाना कच्चे दूध से शंख को धोएं। ऐसा करने से मां लक्ष्मी भी आपसे प्रसन्न होंगी और सदैव खुशहाल बने रहने का आशीर्वाद देंगी।
शंख से सूर्य मजबूत
हर दिन शंख में जल भरकर सुबह सूर्य को अर्घ्य देने से सूर्य की कृपा बरसती है और सभी अशुभ प्रभावों को दूर कर देंगे। सूर्य के प्रसन्न होने से आपको आरोग्य की प्राप्ति होगी और आप समाज में सम्मान प्राप्त करेंगे।
शंख से बुध ग्रह मजबूत
कुंडली में बुध ग्रह की स्थिति को मजबूत करने के लिए बुधवार को शालिग्रामजी का शंख में जल भरकर अभिषेक करने से बुध ग्रह के अशुभ प्रभाव आपकी कुंडली से समाप्त होते हैं। अभिषेक करने वाले जल में तुलसी का प्रयोग जरूर करें।
शंख से मंगल मजबूत
कहते हैं कि मंगलवार को सुबह स्नान करने के बाद शंख बजाकर सुंदर कांड का पाठ करने से मंगल के अशुभ प्रभाव दूर होते हैं और आपके मन से सभी प्रकार के अज्ञात भय का नाश होता है। जिन लोगों की कुंडली में मंगल का दोष है वे इस उपाय को करेंगे तो उन्हें मंगल की भी विशेष कृपा प्राप्त होगी और हनुमानजी भी प्रसन्न होंगे।
शंख से धन-धान्य का भंडार
मां अन्नपूर्णा को प्रसन्न करने के लिए शंख में चावल भरकर रखें और लाल कपड़े में लपेटकर तिजोरी में रखें। ऐसा करने से मां अन्नपूर्णा के साथ मां लक्ष्मी भी प्रसन्न होती हैं और साथ ही आपके घर में कभी भी किसी चीज की कमी नहीं होती है। शंख में चावल भरकर किसी गरीब की झोली में डालेंगे तो आपको विशेष पुण्य की प्राप्ति होगी।
घर में शंख रखना चाहिए
शंख से जुड़े कई धार्मिक महत्व हैं. इसे घर में रखना शुभ माना जाता है. इतना ही नहीं, शंख को घर में रखने के साथ-साथ इसे बजाया भी जाता है और इसकी पूजा भी की जाती है. विष्णु पुराण में इस बात का जिक्र मिलता है कि शंख में देवी लक्ष्मी (Maa Lakshmi) का वास होता है, इसलिए जगतपिता नारायण इसे धारण करते है। ध्यान रखें कि पूजा घर में एक ही शंख रखा जाए। भगवान की पूजा के साथ उस शंख की भी पूजा करनी चाहिए।
स्त्री को शंख क्यों नहीं बजाना चाहिए
इसमें ऐसा कोई नियम नहीं है कि पुरुष लोग ही शंख बजाएंगे और स्त्रियां नहीं। लेकिन अगर स्त्री गर्भवती है तो उस गर्भवती महिला को शंख नहीं बजाना चाहिए। क्योंकि जब हम शंख बजाते हैं तो उस समय हमारा जोर नाभि पर पड़ता है और अगर गर्भवती स्त्री शंख बजाती है तो उसके होने वाले बच्चे पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है।
शंख बजाने का लाभ
शंख बजाने से सबसे ज्यादा फायदा फेफड़ों को मिलता है, इससे फेफड़े मजबूत होने के साथ सांस की समस्या ठीक हो जाती है। चेहरे की झुर्रियां दूर होती हैं शंख बजाने से बीमारी ही दूर नहीं बल्कि चेहरे की चमक भी बढ़ती है। चेहरे पर झुर्रियों की समस्या है तो शंख बजाने से यह दूर हो सकती है।
शंख कब नहीं बजाये
ऐसा माना जाता है कि सूरज अस्त होने के बाद देवी-देवता सोने चले जाते हैं, इसलिए जब भी रात में यानी सूर्यास्त के बाद पूजा करें तो ध्यान रखें कि शंख नहीं बजाना चाहिए। शंख ध्वनि से माना जाता है कि उनकी निद्रा में बाधा आती है। यह भी मान्यता है कि सूरज ढलने के बाद शंख बजाने से लाभ की बजाय हानि होती है।
शंख से जुड़ी धार्मिक कथा
एक बार राधा गोलोक से कहीं बाहर गयी थी उस समय श्री कृष्ण अपनी विरजा नाम की सखी के साथ विहार कर रहे थे। संयोगवश राधा वहां आ गई। विरजा के साथ कृष्ण को देखकर राधा क्रोधित हो गईं और कृष्ण एवं विरजा को भला बुरा कहने लगी। लज्जावश विरजा नदी बनकर बहने लगी।
कृष्ण के प्रति राधा के क्रोधपूर्ण शब्दों को सुनकर कृष्ण का मित्र सुदामा आवेश में आ गए। सुदामा कृष्ण का पक्ष लेते हुए राधा से आवेशपूर्ण शब्दों में बात करने लगे। सुदामा के इस व्यवहार को देखकर राधा नाराज हो गई। राधा ने सुदामा को दानव रूप में जन्म लेने का शाप दे दिया। क्रोध में भरे हुए सुदामा ने भी हित अहित का विचार किए बिना राधा को मनुष्य योनि में जन्म लेने का शाप दे दिया। राधा के शाप से सुदामा शंखचूर नाम का दानव बना।
शिवपुराण में भी शंख या शंखचूर का वर्णन
शिवपुराण में भी दंभ के पुत्र शंखचूर का उल्लेख मिलता है। यह अपने बल के मद में तीनों लोकों का स्वामी बन बैठा। साधु-संतों को सताने लगा। इससे नाराज होकर भगवान शिव ने शंखचूर का वध कर दिया। शंखचूर विष्णु और देवी लक्ष्मी का भक्त था। इसी कारण भगवान विष्णु ने इसकी हड्डियों से शंख का निर्माण किया। इसलिए विष्णु एवं अन्य देवी देवताओं को शंख से जल अर्पित किया जाता है। लेकिन शिव जी ने शंखचूर का वध किया था। इसलिए शंख भगवान शिव की पूजा में वर्जित माना गया।