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Sharadiya Navratri Me Narvan Mantra ki Mahima : संजीवनी बूटी से कम नहीं नवार्ण मंत्र , जानिए रहस्य व नवरात्रि में जरूर करें जाप
Sharadiya Navratri Me Narvan Mantra ki Mahima नवरात्रि का धार्मिक आध्यात्मिक और लौकिक दृष्टि से बड़ा महत्व महत्व है। शिव और शक्ति की आराधना से जीवन सफल और सार्थक होता है।
Sharadiya Navratri Me Narvan Mantra (नवरात्रि में नवार्ण मंत्र का जाप अद्भुत रहस्य )
महालया के साथ गुरुवार 7 अक्टूबर से देवी दुर्गा की आराधना शुरू हो जाएगी। इस दिन कलश स्थापित कर भक्तगण कर 9 दिनों के व्रत का संकल्प लेते हैं। नवरात्रि में पूजा के दौरान, रामायण, सुंदरकांड, सप्तशती पाठ करते है और देवी कृपा पाने का प्रयास करते हैं। कौशलेन्द्र शास्त्री आचार्य के अनुसार अगर नवरात्रि में नवार्ण मंत्र का जाप करते हैं तो हमें हर तरह की समस्या से मुक्ति मिलती है। इसके लिए जरूरी है कि आप ब्रह्म मुहुर्रत में उठे और नित्य प्रति के कार्यों से निवृत्त होकर उस स्थान पर बैठ जाए, जहां आपने देवी की चौकी अपने घर में लगाई है। वहां इस मंत्र का जाप करेंगे तो आपको लाभ मिलेगा।
सनातन धर्म के त्योहारों एवं उत्सवों का आदि काल से ही बहुत ही महत्व रहा है। हमारी संस्कृति की सबसे बड़ी विशेषता है कि यहाँ पर मनाये जाने वाले सभी त्यौहार व्यावहारिक और वैज्ञानिक तौर पर खरे उतरते है।
नवार्ण मंत्र की महिमा और शक्ति
ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे
नव अक्षरों वाले इस अद्भुत नवार्ण मंत्र के हर अक्षर में देवी दुर्गा कि एक-एक शक्ति समायी हुई हैं। इसमें मां दुर्गा के हर रूप की शक्ति समाहित है। ऐ में शैलपुत्री से चे में सिद्धिदात्रि तक मां दुर्गा ते हर रुप की भक्ति कर सकते है।
नवरात्रि का धार्मिक आध्यात्मिक और लौकिक दृष्टि से बड़ा महत्व महत्व है आचार्य कौशलेन्द्र पाण्डेय कहते है कि शिव और शक्ति की आराधना से जीवन सफल और सार्थक होता है |
नर्वाण में होने वाला लाभ
शारदीय नवरात्रि के दिनो में अनेक कष्टों से बचने के लिए मां दुर्गा की पूजा करने एवं नवार्ण मंत्र जपने से विशेष लाभ प्राप्त होता है।ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जन्मकुंडली के ग्रहों की शांति हेतु नवरात्रि के दिनो में मां दुर्गा की आराधना एवं नवार्ण मंत्र का जाप पूर्ण श्रद्धा और विश्वास पूर्वक किया जाये , तो मां दुर्गा कि प्रमुख नौ शक्तियाँ जाग्रत होती है और वो नवग्रहों को नियंत्रित करती हैं, जिससे ग्रहों से होने वाले अनिष्ट प्रभाव से रक्षा प्राप्त होती है और ग्रह जनित बाधाओ से भी मुक्ति प्राप्त होती है| ज्योतिष मत के अनुसार यदि जन्म कुंडली में चंडाल दोष, मातृदोष,दरिद्र योग, ग्रहण योग, विष योग, कालसर्प एवं मांगलिक दोष, एवं नवग्रह संबंधित पीड़ा एवं दैवी आपदाओं से मुक्ति प्राप्त करने का सरल साधन देवी कि आराधना हैं। जब ज्योतिष के दूसरे उपायों जैसे पूजा, अर्चना, साधना, रत्न एवं अन्य उपायो से पूर्ण ग्रह पीडाए शांत नहीं हो हो पा रही हो तब एसी स्थिती में आदि शक्ति मां भगवती दुर्गा के नव रुपो कि आराधना एवं नवार्ण मंत्र का जाप करके व्यक्ति सरलता से विशेष लाभ प्राप्त कर सकता हैं।प्रायः देखा जाता है कि ज्योतिष के माध्यम से पता चलता है कि किस कारण से यह रोग हुआ है और उसका इलाज रत्न चिकित्सा या मंत्र चिकित्सा के माध्यम से किया जाता है |मंत्र भी सही मुहूर्त मे करने पर शीघ्रातिशीघ्र प्रभावशाली होते है |
यही कारण है कि पुराने से पुराने असाध्य रोगों को भी नवरात्रि में इस मंत्र के जाप चिकित्सा द्वारा ठीक कर पाना सम्भव है ।ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे।
नवार्ण मंत्र दुर्गा कि नव शक्तियाँ व्यक्ति को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष कि प्राप्ति में सहायक सिद्ध होती हैं।
शारदीय नवरात्रि में कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त
नवरात्रि कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त महालया के बाद आश्विन शुक्ल प्रतिपदा से शुरू होने वाली नवरात्रि का पहला दिन बहुत महत्वपूर्ण होता है। इस दिन ही कलश की स्थापना की जाती है। मान्यता है कि कलश में त्रिदेव का वास होता है और कलश स्थापित कर भगवान गणेश समेत ब्रह्मा विष्णु का आह्वान किया जाता है। इस दिन शुभ मुहूर्त में सुबह नित्यकर्म से निवृत होकर मां दुर्गा के आहवान से पहले कलश स्थापित करने का विधान है। कलश स्थापित करने के लिए घर के मंदिर की साफ-सफाई करके एक सफेद या लाल कपड़ा बिछाएं।उसके ऊपर एक चावल की ढेरी बनाएं। एक मिट्टी के बर्तन में थोड़े से जौ बोएं और इसका ऊपर जल से भरा हुआ कलश स्थापित करें। कलश पर रोली से स्वास्तिक बनाएं, कलावा बांधे. एक नारियल लेकर उसके ऊपर चुन्नी लपेटें और कलावे से बांधकर कलश के ऊपर स्थापित करें। कलश के अंदर एक साबूत सुपारी, अक्षत और सिक्का डालें। अशोक के पत्ते कलश के ऊपर रखकर नारियल रख दें। नारियल रखते हुए मां दुर्गा का आवाह्न करना न भूलें। अब दीप जलाकर कलश की पूजा करें। फिर उसके बाद नौ दिनों के व्रत करने का मन हो तो संकल्प लेकर सप्तशती की पाठ करें।
नवरात्रि में कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त
प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ – 06 अक्टूबर 2021 को 04:34 PM बजे से
प्रतिपदा तिथि समाप्त – 07 अक्टूबर 2021 को 01:46 PM बजे तक
आश्विन कलश स्थापना गुरुवार, अक्टूबर 7, 2021 को शुभ मुहूर्त – 06:17 AM से 07:07 AM
कन्या लग्न में अभिजित मुहूर्त – 11:45 AM से 12:32 PM