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Navratri 2023 Eighth Day Maa Mahagauri: कौन है मां महागौरी, क्यों और किस मंत्र से कब की जाती है इनकी पूजा

Navratri 2023 Eighth Day Maa Mahagauri: शारदीय नवरात्रि के आठवें दिन किसकी पूजा होगी, इस दिन का शुभ मुहूर्त योग और तिथि

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 19 Oct 2023 11:53 AM IST
Maa Durga ki Murti
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Navratri Maa Durga Pratima (Image: Social Media)

Shardiya Navratri 2023 Eighth Day:शारदीय नवरात्रि का आठवां दिन मां महागौरी की पूजा : 22 अक्टूबर को महाअष्टमी तिथि है। जो नवरात्रि का आठवां दिन है। शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri)के आंठवें दिन मां महागौरी (Maa Mahagauri) की पूजा की जाती है। नवरात्रि के 9 दिनों में अष्टमी तिथि की महत्ता सबसे अधिक है। अष्टमी पूजन का विशेष महत्व माना जाता है। इस दिन मां दुर्गा के महागौरी रूप का पूजन किया जाता है। माता रानी का यह रूप अलौकिक है। इस रूप की सुंदरता अतुलनीय है और सुंदर,अति गौर वर्ण होने के कारण इन्हें महागौरी कहा जाता है। महागौरी की आराधना( Worship) से असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं, समस्त पापों का नाश होता है, सुख-सौभाग्य की प्राप्‍ति होती है और हर मनोकामना पूर्ण होती है।

नवरात्रि के आंठवे दिन मां महागौरी की पूजा की जाती है। इस साल 22 अक्टूबर को मां महागौरी की पूजा की जाएगी। नवरात्रि के आंठवे दिन कन्या पूजन किया जाता है। मां महागौरी का रंग अंत्यत गोरा है और इनकी चार भुजाएं हैं और मां बैल की सवारी करती हैं। मां का स्वभाव शांत है। बता दे इस पावन दिन मां को प्रसन्न करने के लिए मां शैलपुत्री की ये आरती जरूर करें। तो आइए जानते हैं मां महागौरी की स्वरूप, पूजा, विधि, मंत्र, भोग, फूल, कथा

नवरात्रि में मां महागौरी का स्वरूप

चन्द्र के समान अत्यंत श्वेत वर्ण धारी महागौरी मां दुर्गा का आठवां स्वरुप हैं। नवरात्रि के आठवें दिन देवी महागौरा की पूजा की जाती है। ये शिवजी की अर्धांगिनी है। कठोर तपस्या के बाद देवी ने भगवान शिव को अपने पति के रूप में प्राप्त किया था। देवी महागौरा का शरीर बहुत गोरा है।महागौरी के वस्त्र और आभूषण श्वेत होने के कारण उन्हें श्वेताम्बरधरा भी कहा गया है । महागौरी की चार भुजाएं है जिनमें से उनके दो हाथों में डमरु और त्रिशूल है और अन्य दो हाथ अभय और वर मुद्रा में है । माता का वाहन वृष है।

मान्यता के अनुसार भगवान शिव को पाने के लिए किये गए कठोर तप के कारण मां पार्वती का रंग काला और शरीर क्षीण हो गया था, तपस्या से प्रसन्न होकर जब भगवान शिव ने मां पार्वती का शरीर गंगाजल से धोया तो वह विद्युत प्रभा के समान गौर हो गया। इसी कारण मां को महागौरी के नाम से पूजते हैं ।

ये अमोघ फलदायिनी हैं और इनकी पूजा से भक्तों के पाप धुल जाते हैं। पूर्वसंचित पाप भी नष्ट हो जाते हैं। महागौरी का पूजन-अर्चन, उपासना और आराधना करना कल्याणकारी होता है। इनकी कृपा से अलौकिक सिद्धियां भी प्राप्त होती हैं। इन सिद्धियों को प्राप्त करने के लिए मां के पूजन में इस मंत्र का जाप करना चाहिए।अष्टमी के दिन महिलाएं अपने सुहाग की रक्षा के लिए मां गौरी को चुनरी भेंट करती है। देवी महागौरी का ध्यान, स्रोत पाठ और कवच का पाठ करने से 'सोमचक्र' जाग्रत होता है जिससे संकट से मुक्ति मिलती है और धन, सम्पत्ति की वृद्धि होती है।

नवरात्रि में माता महागौरी मंत्र

मंत्र: या देवी सर्वभू‍तेषु माँ गौरी रूपेण संस्थिता। नमस्तै नमस्तै नमस्ते नमो नमः

बीज मंत्र - श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नम:

प्रार्थना मंत्र - श्वेत वृषे समारूढ़ा श्वेताम्बरधरा शुचि:, महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा॥

नवरात्रि अष्टमी शुभ मुहूर्त

नवरात्रि महा अष्टमी तिथि शुरू- 22 अक्टूबर 2023

अष्टमी तिथि समाप्त -22 अक्टूबर 2023

रवि योग 06:44 PM से 06:00 AM, Oct 23

सर्वार्थ सिद्धि योग 06:00 AM से 06:44 PM


मां महागौरी की पूजा विधि

अष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं और इसके बाद साफ- स्वच्छ वस्त्र धारण करें। फिर मां महागौरी की प्रतिमा को गंगाजल या शुद्ध जल से स्नान कराएं। फिर मां महागौरी को सफेद रंग के वस्त्र अर्पित करें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां को सफेद रंग बेहद पसंद है। इसलिए मां महागौरी को सफेद पुष्प चढ़ाएं। अब मां महागौरी को रोली कुमकुम लगाएं। इसके बाद मां महागौरी को मिष्ठान, पंच मेवा, फल अर्पित करें। फिर मां महागौरी को काले चने का भोग अवश्य लगाएं। अब इसके बाद आरती करके क्षमा याचना करें। बता दे कि अष्टमी के दिन कन्या पूजन का भी विशेष महत्व होता है और इस दिन कन्या पूजन भी करें। दरअसल दुर्गा अष्टमी के दिन मां दुर्गा के महागौरी स्वरूप का पूजन किया जाता है और इस दिन कन्या पूजन का विशेष महत्व है। बता दे कि कन्या पूजन के लिए 2 से लेकर 10 वर्ष की कन्याओं को भोजन कराया जाता है। ऐसा कहते हैं कि अष्टमी तिथि के दिन कन्या पूजन करने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और भक्तों को आशीर्वाद देती हैं क्योंकि कन्याओं का मां दुर्गा का स्वरूप माना जाता है।

माता महागौरी का प्रिय भोग, रंग और फूल

मां महागौरी को नारियल का भोग बहुत प्रिय है। साथ ही देवी मां महागौरी का प्रिय फूल मोगरा माना जाता है। मान्यता है कि ये दो चीजें देवी मां महागौरी को अर्पित करने पर वैवाहिक जीवन में मिठास आती है। साथ ही बता दे कि नवरात्रि के आठवें दिन महाअष्टमी पर मां महागौरी की पूजा में श्वेत या जामुनी रंग बहुत शुभ माना गया है।

माता महागौरी की कथा

मां महागौरी ने भगवान शिव को अपने पति के रूप में पाने के लिए देवी पार्वती के रूप में कई सालों तक कठोर तपस्या की। दरअसल बता दे कि एक बार भगवान शिव की बातों से मां पार्वती के मन को बहुत दुख पहुंचा था, जिसके बाद मां पार्वती तपस्या में लीन हो गई। इस दौरान जब भगवान शिव के पास मां पार्वती नहीं आई तो शिव जी खुद मां पार्वती को ढुंढने जाते हैं, जहां मां पार्वती को देखकर भगवान शिव हैरान रह जाते हैं। दरअसल बता दे कि मां पार्वती का रंग श्वेत और कुन्द के फूल की तरह दिखाई देता है। जिसके बाद भगवान शिव जी उनके वस्त्र और आभूषण से खुश होकर देवी उमा को गौर वर्ण का आशीर्वाद देते हैं।

महागौरी का स्वरूप


महागौरी की ध्यान मंत्र

वन्दे वांछित कामार्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्।

सिंहरूढ़ा चतुर्भुजा महागौरी यशस्वनीम्॥

पूर्णन्दु निभां गौरी सोमचक्रस्थितां अष्टमं महागौरी त्रिनेत्राम्।

वराभीतिकरां त्रिशूल डमरूधरां महागौरी भजेम्॥

पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालंकार भूषिताम्।

मंजीर, हार, केयूर किंकिणी रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥

प्रफुल्ल वंदना पल्ल्वाधरां कातं कपोलां त्रैलोक्य मोहनम्।

कमनीया लावण्यां मृणांल चंदनगंधलिप्ताम्॥

महागौरी स्तोत्र पाठ

सर्वसंकट हंत्री त्वंहि धन ऐश्वर्य प्रदायनीम्।

ज्ञानदा चतुर्वेदमयी महागौरी प्रणमाभ्यहम्॥

सुख शान्तिदात्री धन धान्य प्रदीयनीम्।

डमरूवाद्य प्रिया अद्या महागौरी प्रणमाभ्यहम्॥

त्रैलोक्यमंगल त्वंहि तापत्रय हारिणीम्।

वददं चैतन्यमयी महागौरी प्रणमाम्यहम्॥

मां महागौरी की कवच

ओंकारः पातु शीर्षो मां, हीं बीजं मां, हृदयो।

क्लीं बीजं सदापातु नभो गृहो च पादयो॥

ललाटं कर्णो हुं बीजं पातु महागौरी मां नेत्रं घ्राणो।

कपोत चिबुको फट् पातु स्वाहा मा सर्ववदनो॥

इस मंत्र या बीज मंत्र का जाप करें...

श्वेते वृषे समारूढ़ा श्वेताम्बरधरा शुचिः।

महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोदया॥

इस दिन कन्या पूजन और उन्हें प्रेमपूर्वक भोजन कराने का अत्यंत महत्व है। सौभाग्य प्राप्‍ति और सुहाग की मंगलकामना लेकर मां को चुनरी भेंट करने का भी इस दिन विशेष महत्व है। मां की आराधना हेतु सर्वप्रथम देवी महागौरी का ध्यान करें। हाथ जोड़कर इस मंत्र का उच्चारण करें

"सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि। सेव्यामाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी॥"

इस मंत्र के उच्चारण के पश्चात महागौरी देवी के विशेष मंत्रों का जाप करें और मां का ध्यान कर उनसे सुख, सौभाग्य हेतु प्रार्थना करें।

इस समय न करें महागौरी की पूजा

आज रवि योग के साथ कई शुभ मुहूर्त है फिर भी इन मुहूर्तों में देवी पूजा और कन्या पूजन करने से फल नहीं मिलता है।

राहुकाल-15:59:26 से 17:25:07 तक

दुर्मुहूर्त- 015:53:43 से 16:39:25 तक

यमगण्ड- 11:42:24 से 13:08:05 तक

गुलिक काल- 14:33:45 से 15:59:26 तक

भद्रा- 06:00 AM से 08:58 AM

अष्टमी मे देवी दुर्गा के महागौरी रूप की पूजा के साथ सूर्य देव की आराधना करने से कुंडली मजबूत होता है।धार्मिक मान्यता है मां की पूजा करने से कोई भी बाल बाका नहीं कर सकता है। और मां के सामने तो दुनिया झुकती है तो शनि देव भी दुर्गा देवी की पूजा से शांत रहते है। अशुभ प्रभाव को दूर करे शांति प्रदान करते है।

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Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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