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Shardiya Navratri 2023: नवरात्रि पर कब होगा कलश स्थापना, कैसे आएंगी मां दुर्गा, उनके नौ स्वरूप की महिमा जानिए
Shardiya Navratri 2023: इस साल 2023 में नवरात्रि कब है , जानते हैं कलश स्थापना का समय मां दुर्गा की सवारी और माता रानी के नौ स्वरूप की उत्पत्ति...
Shardiya Navratri kab se Kab hai October 2023 में शारदीय नवरात्रि कब है : 15 अक्टूबर 2023 से शारदीय नवरात्रि ( Sharadiya Navratri ) शुरू होगी, और 9 दिनों तक शक्ति की आराधना की जायेगी। इस दौरान देवी दुर्गा के नौ स्वरुपों की आराधना की जाएगी। इस साल नवरात्रि 15 अक्टूबर से शुरू होकर 24 अक्टूबर को दशहरा तक चलेंगे। आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि तो कलश स्थापना से नवरात्रि का आरंभ होता है, मान्यता है कि कलश में त्रिदेव का वास होता है और कलश स्थापित कर भगवान गणेश समेत ब्रह्मा विष्णु का आह्वान किया जाता है। नवरात्रि में सच्चे मन से आराधना और पूजा ( worship)करने से माता अपने भक्तों पर विशेष कृपा बरसाती है और भक्तों के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं।
नवरात्रि पर जानें मां दुर्गा की उत्पत्ति
मार्कण्डेय पुराण के अनुसार दुर्गा अपने पूर्व जन्म में प्रजापति रक्ष की कन्या के रूप में उत्पन्न हुई थीं। जब दुर्गा का नाम सती था। इनका विवाह भगवान शंकर से हुआ था। नवदुर्गा सप्तशती के दूसरे अध्याय से जब दानव राज महिषासुर ने अपने राक्षसी सेना के साथ देवताओ पर सैकड़ो साल चले युद्ध में विजय प्राप्त कर ली और स्वर्ग का राजाधिराज बन चुका था | सभी देवता स्वर्ग से निकाले जा चुके थे | वे सभी त्रिदेव (ब्रम्हा,विष्णु और महेश) के पास जाकर अपने दु:खद वेदना सुनाते है | पूरा वृंतान्त सुनकर त्रिदेव बड़े क्रोधित होते है और उनके मुख मंडल से एक तेज निकलता है जो एक सुन्दर देवी में परिवर्तित हो जाता है | भगवान शिव के तेज से देवी का मुख,यमराज के तेज से सर के बाल,श्री विष्णु के तेज से बलशाली भुजाये,चंद्रमा के तेज से स्तन,धरती के तेज से नितम्ब,इंद्र के तेज से मध्य भाग,वायु से कान,संध्या के तेज से भोहै,कुबेर के तेज से नासिका,अग्नि के तेज से तीनो नेत्र आचार्य कौशलेन्द्र पाण्डेय कहते है कि देवताओ के द्वारा ही शक्ति का संचार भी देवी दुर्गा में हुआ शिवजी ने देवी को अपना त्रिशूल,विष्णु से अपना चक्र,वरुण से अपना शंख,वायु ने धनुष और बाण,अग्नि ने शक्ति,बह्रमा ने कमण्डलु,इंद्र ने वज्र, हिमालय ने सवारी के लिए सिंह,कुबेर ने मधुपान,विश्वकर्मा में फरसा और ना मुरझाने वाले कमल भेट किये , और इस तरह सभी देवताओ ने माँ भगवती में अपनी अपनी शक्तिया प्रदान की |
माँ दुर्गा के नौ स्वरूप
जब ब्रह्मा, विष्णु और शिव की त्रिमूर्ति दस भुजाओं वाली एक शक्तिशाली महिला रूप बनाने के लिए एक साथ आई। जब दुर्गा पवित्र गंगा के जल से एक आत्मा के रूप में निकलीं, तो उन्हें सभी देवताओं द्वारा एक साथ मिलाकर एक भौतिक रूप दिया गया। उसका चेहरा भगवान शिव द्वारा बनाया गया था और उसका धड़ इंद्र द्वारा तैयार किया गया था।
- पहला स्वरुप जन्म ग्रहण करती हुई कन्या "शैलपुत्री" स्वरूप है।
- दूसरा स्वरुप कौमार्य अवस्था तक "ब्रह्मचारिणी" का रूप है।
- तीसरा स्वरुप विवाह से पूर्व तक चंद्रमा के समान निर्मल होने से वह "चंद्रघंटा" समान है।
- चौथा स्वरुप नए जीव को जन्म देने के लिए गर्भ धारण करने पर वह "कूष्मांडा" स्वरूप में है।
- पांचवां स्वरुपसंतान को जन्म देने के बाद वही स्त्री "स्कन्दमाता" हो जाती है।
- छठा स्वरुप. संयम व साधना को धारण करने वाली स्त्री "कात्यायनी" रूप है।
- सातवां स्वरुप अपने संकल्प से पति की अकाल मृत्यु को भी जीत लेने से वह "कालरात्रि" जैसी है।
- आठवांं स्वरुप. संसार (कुटुंब ही उसके लिए संसार है) का उपकार करने से "महागौरी" हो जाती है।
- नौवा स्वरुप धरती को छोड़कर स्वर्ग प्रयाण करने से पहले संसार में अपनी संतान को सिद्धि(समस्त सुख-संपदा) का आशीर्वाद देने वाली "सिद्धिदात्री" हो जाती है।
शारदीय नवरात्रि शुभ मुहूर्त
इस बार शारदीय नवरात्रि में माता रानी हाथी पर सवार होकर आ रही है। जो हरियाली और खुशहाली का संकेत है। कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त- 15 अक्टूबर 2023 को सुबह 11:44 मिनट -12:30 मिनट तक रहेगा
- घटस्थापना रविवार , 15 अक्टूबर2023
- घटस्थापना मुहूर्त -सुबह 11:44 मिनट -12:30 मिनट तक,11:09 AM से 11:55 AM
- घटस्थापना अमृत काल -11:07 AM से 12:35 PM
- घटस्थापना मुहूर्त प्रतिपदा तिथि पर है
- शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि आरंभ- 14 अक्टूबर रात 11:25 मिनट
- शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि समाप्त- 16 अक्टूबर सुबह 1:13 मिनट
इसके साथ ही इस नवरात्रि में एक विशेष संयोग भी बनता दिख रहा है । इस बार नवरात्रि पर मकर राशि में शनि देव, मंगल के साथ रहेंगे, जो पराक्रम में वृद्धि करेंगे। रवि पुष्य नक्षत्र के साथ सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग नवरात्रि को स्वयं सिद्ध बनाएंगे। शनिवार से नवरात्रि का प्रारंभ शनिदेव का स्वयं की राशि मकर में मंगल के साथ रहना निश्चित ही सिद्धि कारक है। इससे कार्य में सफलता, मनोकामना की पूर्ति, साधना में सिद्धि मिलेगी। चैत्र नवरात्रि के दौरान कुंभ राशि में गुरु, शुक्र के साथ रहेगा। मीन में सूर्य, बुध के साथ, मेष में चंद्रमा, वृषभ में राहु, वृश्चिक में केतु विराजमान रहेंगे।
शारदीय नवरात्रि के नौ दिन कब कब किस स्वरूप की पूजा है..
- शारदीय नवरात्रि प्रथम दिन - 15 अक्टूबर 2023- मां शैलपुत्री की पूजा
- शारदीय नवरात्रि दूसरा दिन -16 अक्टूबर 2023- मां ब्रह्मचारिणी की पूजा
- शारदीय नवरात्रि तीसरा दिन - 17 अक्टूबर 2023- मां चंद्रघंटा की पूजा
- शारदीय नवरात्रि चौथा दिन - 18 अक्टूबर 2023- मां कूष्मांडा की पूजा
- शारदीय नवरात्रि पांचवां दिन - 19 अक्टूबर 2023- मां स्कंदमाता की पूजा
- शारदीय नवरात्रि छठा दिनम- 20 अक्टूबर 2023- मां कात्यायनी की पूजा
- शारदीय नवरात्रि सातवां दिन - 21 अक्टूबर 2023- मां कालरात्रि की पूजा
- शारदीय नवरात्रि आठवां दिन - 22 अक्टूबर 2023- मां सिद्धिदात्री की पूजा
- शारदीय नवरात्रि नवां दिन- 23 अक्टूबर 2023- मां महागौरी की पूजा
- विजयदशमी- 24 अक्टूबर 2023
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