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Shardiya Navratri 2024: माता सती के शक्तिपीठ बनने की कहानी, इसलिए भगवान विष्णु ने किए थे शव के टुकड़े
Shardiya Navratri 2024: अलग-अलग देशों में माता सती के 52 शक्तिपीठ मौजूद हैं। नवरात्रि में पढ़े शक्तिपीठ बनने की कहानी।
Navratri 2024: 3 अक्टूबर 2024 से शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri 2024) की शुरुआत हो चुकी है। नवरात्रि के नौ दिनों तक पूरे देशभर में खूब धूम रहती है। इस दौरान जगह-जगह दुर्गा मां के पंडाल सजते हैं। डांडिया, गरबा खेलने के लिए इवेंट होते हैं। इस दौरान माता रानी के मशहूर और विख्यात मंदिरों में दर्शन के लिए भक्तों की खूब भीड़ जमा होती है। आप ये तो जानते होंगे कि अलग-अलग देशों में माता सती के 52 शक्तिपीठ (Shakti Peeth of Goddess Sati) हैं। तन्त्र चूड़ामणि में इन 52 शक्तिपीठ का जिक्र मिलता है। लेकिन क्या आप जानते हैं ये शक्तिपीठ (Shakti Peeth) कैसे बनें। चलिए जानते हैं इसके पीछे की कहानी।
माता सती के मृत शरीर से बने शक्तिपीठ
शिवपुराण में भगवान शिव और सती की एक कहानी वर्णित है। जिसके अनुसार, भगवान शिव की पहली पत्नी सती के पिता प्रजापति दक्ष को भगवान शिव पसंद नहीं थे। वह अपनी बेटी का विवाह भी उनसे नहीं कराना चाहते थे, लेकिन पुत्री के हठ के आगे झुककर उन्होंने सती का विवाह भोलेनाथ से करा दिया। दोनों की शादी के बाद उन्होंने एक विशाल यज्ञ का आयोजन किया और जिसमें विष्णु, ब्रह्मा समेत सभी देवी-देवताओं को आमंत्रित किया। लेकिन उन्होंने शिव को नीचा दिखाने के लिए अपनी बेटी और दामाद को आमंत्रण नहीं भेजा।
पिता के आमंत्रण ना भेजे जाने के बाद भी माता सती ने भगवान शिव से यज्ञ में चलने के लिए कहा, लेकिन उन्होंने बिना न्यौता के वहां जाने से इनकार कर दिया। लेकिन सती बिना शंकर के ही अपने पिता के घर क्रोध में पहुंच गईं। माता सती जब यज्ञ में पहुंचीं तो वहां पर उनके पिता राजा दक्ष प्रजापति सभी देवी-देवताओं के सामने भगवान शिव का उपहास करने लगे और और उनके विरुद्ध कटु वचन कहने लगे। अपने पिता द्वारा पति का अपमान होते देख माता सती को बेहद दुख हुआ और उन्होंने यज्ञकुंड की अग्नि में कूद कर अपनी जान दे दी।
जब इसकी सूचना भोलेनाथ को हुई तो वह बहुत क्रोधित हुए और उनके क्रोध से वीरभद्र अवतार का जन्म हुआ। वीरभद्र ने दक्ष के यहां जाकर प्रजापति दक्ष का सिर काट दिया। वहीं, अपनी पत्नी की मृत्यु के बाद भगवान शिव उनके मृत शव को लेकर धरती-आकाश में तांडव करने लगे। वह देवी सती का अधजला शव लेकर पूरे संसार में भटकते रहे। भगवान शिव को सती के शोक वियोग से निकालने के लिए भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से देवी सती के शव के कई टुकड़े कर दिए। माता सती के अंग और आभूषण धरती पर जिन-जिन जगहों पर गिरें, वह सभी शक्तिपीठ बन गए।