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51 Shakti Peeth Kaun Kaun se Hain:51 शक्तिपीठों के नाम और कथा,जानिए पाकिस्तान में है कौन सा शक्तिपीठ
51 Shakti Peeth Kaun Kaun se Hain: धार्मिक कथाओँ के अनुसार पुरातन काल में राजा दक्ष ने अपने द्वारा विशाल यज्ञ का आयोजन किया था। उसमें अपनी पुत्री और भगवान शिव को नहीं बुलाया। इस अपमान से आहत सती ने यज्ञ कुंड में अपने शरीर को भष्म कर दिया था जो 51 शक्तिपीठों में आज भी स्थित है। जानते हैं उन शक्तिपीठों के नाम....
Shardiya Navratri 51 Shakti Peeth Kaun Kaun se Hain
51 शक्ति पीठ कौन कौन से हैं?
शिवपुराण या किसी भी धार्मिक ग्रंथ में इसका वर्णन है। कहते हैं कि भगवान शिव की पहली पत्नी सती ने अपने पिता राजा दक्ष के मर्जी के बिना भोलेनाथ से विवाह किया था। इससे कुपित होकर राजा दक्ष ने एक विराट यज्ञ का आयोजन किया लेकिन अपनी बेटी और दामाद को यज्ञ में आमंत्रित नहीं किया। माता सती बिना पिता के निमंत्रण के यज्ञ में पहुंच गईं, जबकि भोलेनाथ ने उन्हें वहां जाने से मना किया था। राजा दक्ष ने माता सती के सामने उनके पति भगवान शिव को अपशब्द कहे और उनका अपमान किया। पिता के मुंह से पति के अपमान माता सती से बर्दाश्त नहीं हुआ और उन्होंने यज्ञ की पवित्र अग्नि कुंड में कूदकर प्राण त्याग दिए। भोलेनाथ पत्नी के वियोग को सह न सके। वह माता सती का शव लेकर शिव तांडव करने लगे। ब्रह्मांड पर प्रलय आने लगी, जिस पर विष्णु भगवान ने इसे रोकने के लिए सुदर्शन चक्र से माता सती के शरीर के टुकड़े कर दिए। माता के शरीर के अंग और आभूषण 52 टुकड़ों में धरती पर अलग-अलग जगहों पर गिरे, जो शक्तिपीठ बन गए। जानते हैं देवी के 52 शक्तिपीठ कहां-कहां हैं और सभी शक्तिपीठ के क्या नाम हैं।
आदिशक्ति के 51 शक्तिपीठ
- विशालाक्षी और मणिकर्णी स्वरूप- मणिकर्णिका घाट, वाराणसी, उत्तर प्रदेश
- माता ललिता देवी शक्तिपीठ,- प्रयागराज उत्तरप्रदेश के इलाहबाद शहर (प्रयाग) के संगम तट पर माता की हाथ की अंगुली गिरी थी।
- माता शिवानी - रामगिरी, चित्रकूट, उत्तर प्रदेश मणिकपुर रेलवे स्टेशन चित्रकूट के पास रामगिरि स्थान पर माता का दायां वक्ष गिरा था।
- उमा शक्तिपीठ- वृंदावन वृन्दावन, मथुरा के भूतेश्वर में स्थित है कात्यायनी वृन्दावन शक्तिपीठ जहां सती का केशपाश गिरे थे।
- देवी पाटन मंदिर, बलरामपुर
- हरसिद्धि देवी शक्तिपीठ- मध्य प्रदेश में नर्मदा के उद्गम पर शोणदेश स्थान पर माता का दायां नितंब गिरा था।
- शोणदेव नर्मता शक्तिपीठ - मध्यप्रदेश के अमरकंटक के कालमाधव स्थित शोन नदी तट के पास माता का बायां नितंब गिरा था, जहां एक गुफा है।
- नैना देवी मंदिर - हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर में
- ज्वाला जी शक्तिपीठ - हिमांचल प्रदेश के कांगड़ा में माता की जीभ गिरी थी। इसे ज्वालाजी स्थान कहते हैं।
- त्रिपुरमालिनी माता -शक्तिपीठ पंजाब के जालंधर में छावनी स्टेशन के पास देवी तालाब है। यहां माता का बायां वक्ष गिरा था।
- महामाया अमरनाथ के पहलगांव, कश्मीर भारत के कश्मीर में पहलगांव के निकट माता का कंठ गिरा था। इसकी शक्ति है महामाया और भैरव को त्रिसंध्येश्वर कहते हैं।
- माता सावित्री का शक्तिपीठ हरियाणा के कुरुक्षेत्र हरियाणा के कुरुक्षेत्र में माता की एड़ी (गुल्फ) गिरी थी।
- गायत्री स्वरूप मणिबंध अजमेर के पुष्कर अजमेर के पास पुष्कर के मणिबन्ध स्थान के गायत्री पर्वत पर दो मणिबंध गिरे थे।माता अंबिका बिरात राजस्थान
- अंबाजी मंदिर गुजरात
- चंद्रभागा- गुजरात के जूनागढ़
- भ्रामरी स्वरूप- महाराष्ट्र के जनस्थान पर कोल्हापुर में स्थित है यह शक्तिपीठ, जहां माता का त्रिनेत्र गिरा था। यहां की शक्ति महिषासुरमदिनी तथा भैरव क्रोधशिश हैं। यहां महालक्ष्मी का निज निवास माना जाता है।
- माताबाढ़ी पर्वत शिखर शक्तिपीठ त्रिपुरा त्रिपुरा के उदरपुर के पास राधाकिशोरपुर गांव के माताबाढ़ी पर्वत शिखर पर माता का दायां पैर गिरा था।
- देवी कपालिनी- बंगाल में पूर्व मेदिनीपुर जिले के तामलुक स्थित विभाष
- देवी कुमारी बंगाल के हुगली में रत्नावली बंगाल के हुगली जिले के खानाकुल-कृष्णानगर मार्ग पर रत्नावली स्थित रत्नाकर नदी के तट पर माता का दायां स्कंध गिरा था।
- विमला स्वरूप मुर्शीदाबाद के किरीटकोण ग्राम पश्चिम बंगाल किरीट शक्तिपीठ पश्चिम बंगाल के हुगली नदी के तट लालबाग कोट पर स्थित है। यहां सती माता का किरीट यानी शिराभूषण या मुकुट गिरा था।
- भ्रामरी देवी जलपाइगुड़ी के बोडा मंडल में सालबाढ़ी गांव बांग्लादेश के शेरपुर बागुरा स्टेशन से 28 किमी दूर भवानीपुर गांव के पार करतोया तट स्थान पर माता की पायल (तल्प) गिरी थी।
- बहुला देवी शक्तिपीठ वर्धमान जिले के केतुग्राम इलाके में दूर कटुआ केतुग्राम के पास अजेय नदी तट पर स्थित बाहुल स्थान पर माता का बायां हाथ गिरा था।
- मंगल चंद्रिका माता शक्तिपीठ - वर्धमान जिले के उज्जनि बंगाल के वर्धमान जिले से 16 किमी गुस्कुर स्टेशन से उज्जयिनी नामक स्थान पर माता की दाईं कलाई गिरी थी।
- नलहाटी शक्तिपीठ- बीरभूम के नलहाटी पश्चिम बंगाल के वीरभूम जिले के नलहाटि स्टेशन के निकट नलहाटी में माता के पैर की हड्डी गिरी थी।
- फुल्लारा देवी शक्तिपीठ- पश्चिम बंगाल के अट्टहास लाभपुर स्टेशन से दो किमी दूर अट्टहास स्थान पर माता के होठ गिरे थे।
- नंदीपुर शक्तिपीठ- पश्चिम बंगाल के वीरभूम जिले के सैंथिया रेलवे स्टेशन नंदीपुर स्थित चारदीवारी में बरगद के वृक्ष के पास माता का गले का हार गिरा था।
- युगाधा शक्तिपीठ- वर्धमान जिले के ही क्षीरग्राम वर्धमान जिला वर्धमान जिले के खीरग्राम स्थित जुगाड्या (युगाद्या) स्थान पर माता के दाएं पैर का अंगूठा गिरा था।
- कलिका देवी शक्तिपीठ-मान्यताओं के मुताबिक, कालीघाट कोलकाता के कालीघाट में माता के बाएं पैर का अंगूठा गिरा था।
- कांची देवगर्भ शक्तिपीठ- पश्चिम बंगाल के कांची पश्चिम बंगाल के बीरभुम जिले के बोलारपुर स्टेशन के उत्तर पूर्व स्थित कोपई नदी तट पर कांची नामक स्थान पर माता की अस्थि गिरी थी।
- शक्तिपीठ- दक्षिण भारत महाराष्ट्र के नासिक नगर स्थित गोदावरी नदी घाटी स्थित जनस्थान पर माता की ठोड़ी गिरी थी।
- शुचि शक्तिपीठ- तमिलनाडु में कन्याकुमारी के पास शुचि तीर्थम शिव मंदिर स्थित है और यहां भी माता का शक्तिपीठ है।
- विमला देवी शक्तिपीठ- सा में विराज में उत्कल स्थित जगह पर माता की नाभि गिरी थी।
- सर्वशैल रामहेंद्री शक्तिपीठ- आंध्र प्रदेश में दो शक्तिपीठ हैं। इनमे एक सर्वशैल रामहेंद्री शक्तिपीठ है।
- श्रीशैलम शक्तिपीठ- आंध्र में ही दूसरी शक्तिपीठ कुर्नूर जिले आंध्रप्रदेश के राजामुंद्री क्षेत्र स्थित गोदावरी नदी के तट पर कोटिलिंगेश्वर मंदिर के पास सर्वशैल स्थान पर माता के वाम गंड (गाल) गिरे थे।
- कर्नाट शक्तिपीठ- यहां कर्नाट (अज्ञात स्थान) में माता के दोनों कान गिरे थे।
- कामाख्या शक्तपीठ गुवाहाटी के नीलांतल पर्वत पर असम के गुवाहाटी जिले के कामगिरि क्षेत्र में स्थित नीलांचल पर्वत के कामाख्या स्थान पर माता का योनि भाग गिरा था।
- मां भद्रकाली देवीकूप मंदिर हरियाणा के कुरुक्षेत्र
- चट्टल भवानी शक्तिपीठ- बांग्लादेश के चिट्टागौंग जिले में चंद्रनाथ पर्वत पर
- सुगंधा शक्तिपीठ- बांग्लादेश के शिकारपुर से 20 किमी दूर बांग्लादेश के शिकारपुर के पास दूर सोंध नदी के किनारे स्थित है। माता की नासिका गिरी थी यहां। इसकी शक्ति सुनंदा है व भैरव को त्र्यंबक कहते हैं।
- जयंती शक्तिपीठ -बांग्लादेश के सिलहट जिले में जयंतिया परगना बांग्लादेश के सिल्हैट जिले के उत्तर-पूर्व में जैनपुर गांव के पास शैल नामक स्थान पर माता का गला (ग्रीवा) गिरा था।
- श्रीशैल महालक्ष्मी - सिल्हैट जिले के उत्तर-पूर्व में जैनपुर गांव के पास शैल नामक स्थान पर माता का गला (ग्रीवा) गिरा था।
- यशोरेश्वरी माता शक्तिपीठ -बांग्लादेश के खुलना जिले में यशोर नाम की जगह है बांग्लादेश के खुलना जिला के ईश्वरीपुर के यशोर स्थान पर माता के हाथ और पैर गिरे थे।
- इन्द्राक्षी शक्तिपीठ- श्रीलंका के जाफना नल्लूर श्रीलंका के त्रिंकोमाली में माता की पायल गिरी थी।
- गुहेश्वरी शक्तिपीठ- नेपाल मे पशुपतिनाथ मंदिर से कुछ दूरी पर बागमती नदी के किनारे नेपाल में पशुपतिनाथ मंदिर के पास बसा है गुजरेश्वरी मंदिर। यहां माता के दोनों घुटने गिरे थे।
- आद्या शक्तिपीठ- नेपाल में गंडक नदी के पास पोखरा नामक स्थान पर स्थित मुक्तिनाथ मंदिर है। यहां माता का मस्तक या गंडस्थल यानी कनपटी गिरी थी।
- दंतकाली शक्तिपीठ- नेपाल के बिजयापुर गांव में
- मनसा शक्तिपीठ- तिब्बत में मानसरोवर नदी के पास तिब्बत में कैलाश मानसरोवर के मानसा के पास एक पाषाण शिला पर माता का दायां हाथ गिरा था।
- मिथिला शक्तिपीठ- -नेपाल सीमा पर जनकपुर रेलवे स्टेशन के पास मिथिला में माता का बायां स्कंध गिरा था।
- हिंगुला शक्तिपीठ- पाकिस्तान के बलूचिस्तान में कराची से 125 किमी दूर है। यहां माता का ब्रह्मरंध (सिर) गिरा था। इसकी शक्ति-कोटरी (भैरवी-कोट्टवीशा) है व भैरव को भीम लोचन कहते हैं।
देवी पुराण में 51 शक्तिपीठों का उल्लेख है। इन 51 शक्तिपीठों में से कुछ देश और कुछ विदेश में भी हैं और पूजा-अर्चना द्वारा प्रतिष्ठित हैं। इन 51 शक्तिपीठों में भारत-विभाजन के बाद 5 और भी कम हो गए और आज के भारत में 42 शक्तिपीठ रह गए है। 1 शक्तिपीठ पाकिस्तान में चला गया और 4 बांग्लादेश में। शेष 4 पीठों में 1 श्रीलंका में, 1 तिब्बत में तथा 2 नेपाल में है। देवी भागवत के अनुसार शक्तिपीठों की स्थापना के लिए शिव स्वयं भू-लोक में आए थे। दानवों से शक्तिपिंडों की रक्षा के लिए अपने रूद्र भैरव अवतारों को जिम्मा दिया। यही कारण है कि सभी 51 शक्तिपीठों में आदिशक्ति का मूर्ति स्वरूप नहीं है, इन पीठों में पिंडियों की आराधना की जाती है। साथ ही सभी पीठों में शिव रूद्र भैरव के रूपों की भी पूजा होती है। इन पीठों में कुछ तंत्र साधना के मुख्य केंद्र हैं। इनके दर्शन मात्र से हर इच्छा पूरी होती है। नवरात्रि में संभव हो तो आप भी इन शक्तिपीठों में किसी भी शक्तिपीठ का दर्शन कर देवी मां के कृपा पात्र हो सकते हैं।