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Shivling Ka Itihas: जानिए क्या है शिवलिंग का इतिहास, कैसे हुई थी इसकी उत्पत्ति

Shivling Ka Itihas: क्या आप जानते हैं कि शिवलिंग का क्या इतिहास है और इसकी उत्पत्ति कैसे हुई थी। आइये इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।

Shweta Srivastava
Published on: 1 March 2024 9:24 AM IST
History Of Shivling
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History Of Shivling (Image Credit-Social Media)

Shivling Ka Itihas: शिव लिंग को लिंगम, लिंग, शिव लिंग भी कहा जाता है। यह सबसे महत्वपूर्ण हिंदू देवता, भगवान शिव का प्रतिनिधित्व करता है जिन्हें पूजा के लिए मंदिरों में रखा जाता है। हिंदू भक्तों द्वारा शिव लिंगम को भगवान की ऊर्जा और क्षमता के प्रतीक के रूप में पूजा जाता है। लोग शिवलिंग को स्वयं शिव का रूप मानते हैं। लेकिन कई लोगों को इसके इतिहास और उत्पति के विषय में जानकारी नहीं है। साथ ही वो इसके विषय में विस्तार से जानना चाहते हैं ऐसे में आइये आपको बताते हैं कि शिवलिंग का क्या इतिहास है।

शिवलिंग का इतिहास

भगवान् शिव की पूजा मूर्ति और निराकार लिंग दोनों रूपों में की जाती है। वहीँ हिन्दू धर्म में शिवलिंग की पूजा का काफी महत्त्व है ऐसा भी कहा जाता है कि मात्र शिवलिंग की पूजा करना समस्त ब्रह्मांड की पूजा करने के बराबर है। आपको बता दें कि शिवलिंग दो शब्दों से मिलकर बना है, जहाँ शिव का अर्थ होता है ‘परम कल्याणकारी’ और ‘लिंग’ का अर्थ होता है ‘सृजन’। संस्कृत में लिंग का अर्थ होता है चिन्ह या प्रतीक। इस तरह से शिवलिंग का अर्थ है शिव का प्रतीक।

History Of Shivling (Image Credit-Social Media)

शिवलिंग को लेकर कई पौराणिक कथाएं मौजूद हैं वहीँ एक कथा जो इसे लेकर प्रचलित हैं वो हम आपको यहाँ बताने जा रहे हैं। एक पौराणिक कथा के अनुसार, सृष्टि के निर्माण के बाद भगवान विष्णु और ब्रह्माजी में इस बात को लेकर वाद विवाद होता है कि कौन ज्यादा शक्तिशाली है धीरे धीरे ये विवाद युद्ध का रूप ले लेता है। इस दौरान आकाश में एक चमकीला पत्थर दिखाई पड़ता है और आकाशवाणी होती है कि जो भी इस पत्थर का अंत ढूंढ लेगा, वही ज्यादा शक्तिशाली माना जाएगा। भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी दोनों ही उस पत्थर का अंत ढूंढने में लग जाते हैं लेकिन दोनों को ही इसका अंत नहीं मिलता है।

History Of Shivling (Image Credit-Social Media)

इसके बाद थककर भगवान विष्णु स्वयं हार मान लेते हैं। लेकिन ब्रह्मा जी ने सोचा कि अगर मैं भी हार मान लूं तो विष्णु ज्यादा शक्तिशाली कहलाएगा। इसलिए ब्रह्माजी झूठ कह देते हैं कि उनको पत्थर का अंत मिल गया है। इसी बीच फिर से आकाशवाणी हुई कि मैं शिवलिंग हूं और मेरा ना कोई अंत है, ना ही शुरुआत और उसी समय भगवान शिव प्रकट हो जाते हैं।

History Of Shivling (Image Credit-Social Media)

आपको बता दें कि शिवलिंग का इतिहास कई हजार वर्षों पुराना है। भगवान् शिव को आदि और अंत माना जाता है। उन्हें देवों के देव के रूप में पूजा भी जाता है। वहीँ शिवलिंग को लेकर एक और कथा है जिसके अनुसार, जब समुद्र मंथन हुआ उस समय जब विष की उत्पत्ति हुई तो समस्त ब्रह्माण की रक्षा के लिए उसे महादेव द्वारा ग्रहण किया गया। इसी वजह से उनका कंठ नीला हो गया क्योंकि उन्होंने उसे अपने कंठ पर ही रोक लिया यही वजह है कि उन्हें नीलकंठ भी कहा जाता है। लेकिन विष को ग्रहण करने के बाद उनके शरीर का दाह काफी बढ़ गया था। उसी दाह के शमन के लिए आज भी शिवलिंग पर जल चढ़ाया जाता है। ऐसे में शिवलिंग को भगवान् षिक का प्रतीक माना जाता है और उनकी पूजा की जाती है।



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Shweta Srivastava

Shweta Srivastava

Content Writer

मैं श्वेता श्रीवास्तव 15 साल का मीडिया इंडस्ट्री में अनुभव रखतीं हूँ। मैंने अपने करियर की शुरुआत एक रिपोर्टर के तौर पर की थी। पिछले 9 सालों से डिजिटल कंटेंट इंडस्ट्री में कार्यरत हूँ। इस दौरान मैंने मनोरंजन, टूरिज्म और लाइफस्टाइल डेस्क के लिए काम किया है। इसके पहले मैंने aajkikhabar.com और thenewbond.com के लिए भी काम किया है। साथ ही दूरदर्शन लखनऊ में बतौर एंकर भी काम किया है। मैंने लखनऊ यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया एंड फिल्म प्रोडक्शन में मास्टर्स की डिग्री हासिल की है। न्यूज़ट्रैक में मैं लाइफस्टाइल और टूरिज्म सेक्शेन देख रहीं हूँ।

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