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Shri Ganesh Mantra Benefits: गणेश मंत्र का पूर्ण भक्तिपूर्वक जाप करने से समस्त बाधाएं दूर होती

Shri Ganesh Mantra Benefits: पूरी श्रद्धा के साथ गणेश मंत्र का जाप करने से सभी बाधाएं दूर हो सकती हैं। गणेश मंत्र बाधाओं को दूर करने और जीवन में सफलता लाने के लिए एक शक्तिशाली और प्रभावी उपाय माना जाता है।

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Published on: 4 May 2023 3:24 PM IST
Shri Ganesh Mantra Benefits: गणेश मंत्र का पूर्ण भक्तिपूर्वक जाप करने से समस्त बाधाएं दूर होती
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Shri Ganesh(social media)

Shri Ganesh Mantra Benefits: गणेश मंत्र की प्रति दिन एक माला जाप अवश्य करे। मंत्रों मे से कोई भी एक मंत्र का जाप करे।
1-गं ।
2-ग्लं।
3-ग्लौं ।
4-श्री गणेशाय नमः ।
5-ॐ वरदाय नमः ।
6-ॐ सुमंगलाय नमः ।
7-ॐ चिंतामणये नमः ।
8-ॐ वक्रतुंडाय हुम् ।
9-ॐ नमो भगवते गजाननाय .।
10-ॐ गं गणपतये नम।
11- ॐ श्री गणेशाय नम:।

इस मंत्र के जप से व्यक्ति को जीवन में किसी भी प्रकार का कष्ट नहीं रहता है। आर्थिक स्थिति मे सुधार होता है।
एवं सर्व प्रकारकी रिद्धि-सिद्धि प्राप्त होती है।
भगवान गणपति के अन्य मंत्र
ॐ गं गणपतये नमः .
ऐसा शास्त्रोक्त वचन हैं कि गणेश जी का यह मंत्र चमत्कारिक और तत्काल फल देने वाला मंत्र हैं। इस मंत्र का पूर्ण भक्तिपूर्वक जाप करने से समस्त बाधाएं दूर होती हैं। षडाक्षर का जप आर्थिक प्रगति व समृध्दिदायक है।
ॐ वक्रतुंडाय हुम्‌ .
किसी के द्वारा की गई तांत्रिक क्रिया को नष्ट करने के लिए, विविध कामनाओं की शीघ्र पूर्ति के लिए उच्छिष्ट गणपति की साधना की जाती है। उच्छिष्ट गणपति के मंत्र का जाप अक्षय भंडार प्रदान करने वाला हैं।
ॐ हस्ति पिशाचि लिखे स्वाहा ।
आलस्य, निराशा, कलह, विघ्न दूर करने के लिए विघ्नराज रूप की आराधना का यह मंत्र जपें।
ॐ गं क्षिप्रप्रसादनाय नम:।
मंत्र जाप से कर्म बंधन, रोगनिवारण, कुबुद्धि, कुसंगत्ति, दूर्भाग्य, से मुक्ति होती हैं। समस्त विघ्न दूर होकर धन, आध्यात्मिक चेतना के विकास एवं आत्मबल की प्राप्ति के लिए हेरम्बं गणपति का मंत्र जपे
ॐ गूं नम:।
रोजगार की प्राप्ति व आर्थिक समृध्दि प्राप्त होकर सुख सौभाग्य प्राप्त होता हैं।
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं गं गण्पत्ये वर वरदे नमः ॐ तत्पुरुषाय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्तिः प्रचोदयात.
लक्ष्मी प्राप्ति एवं व्यवसाय बाधाएं दूर करने हेतु उत्तम मानगया है।
ॐ गीः गूं गणपतये नमः स्वाहा.
इस मंत्र के जाप से समस्त प्रकार के विघ्नों एवं संकटों का का नाश होता हैं।
ॐ श्री गं सौभाग्य गणपत्ये वर वरद सर्वजनं में वशमानय स्वाहा।
विवाह में आने वाले दोषों को दूर करने वालों को त्रैलोक्य मोहन गणेश मंत्र का जप करने से शीघ्र विवाह व अनुकूल जीवनसाथी की प्राप्ति होती है।
ॐ वक्रतुण्डेक द्रष्टाय क्लींहीं श्रीं गं गणपतये वर वरद सर्वजनं मं दशमानय स्वाहा ।
इन मंत्रों के अतिरिक्त गणपति अथर्वशीर्ष, संकटनाशक, गणेश स्त्रोत, गणेशकवच, संतान गणपति स्त्रोत, ऋणहर्ता गणपति स्त्रोत मयूरेश स्त्रोत, गणेश चालीसा का पाठ करने से गणेश जी की शीघ्र कृपा प्राप्त होती है ।
ॐ वर वरदाय विजय गणपतये नमः।
इस मंत्र के जाप से मुकदमे में सफलता प्राप्त होती हैं।
ॐ गं गणपतये सर्वविघ्न हराय सर्वाय सर्वगुरवे लम्बोदराय ह्रीं गं नमः.।
वाद-विवाद, कोर्ट कचहरी में विजय प्राप्ति, शत्रु भय से छुटकारा पाने हेतु उत्तम।
ॐ नमः सिद्धिविनायकाय सर्वकार्यकर्त्रे सर्वविघ्न प्रशमनाय सर्व राज्य वश्य कारनाय सर्वजन सर्व स्त्री पुरुषाकर्षणाय श्री ॐ स्वाहा।
इस मंत्र के जाप को यात्रा में सफलता प्राप्ति हेतु प्रयोग किया जाता हैं।
ॐ हुं गं ग्लौं हरिद्रा गणपत्ये वरद वरद सर्वजन हृदये स्तम्भय स्वाहा।
यह हरिद्रा गणेश साधना का चमत्कारी मंत्र हैं।
ॐ ग्लौं गं गणपतये नमः.
गृह कलेश निवारण एवं घर में सुखशान्ति की प्राप्ति हेतु
ॐ गं लक्ष्म्यौ आगच्छ आगच्छ फट्.
इस मंत्र के जाप से दरिद्रता का नाश होकर, धन प्राप्ति के प्रबल योग बनने लगते हैं।
ॐ गणेश महालक्ष्म्यै नमः.
व्यापार से सम्बन्धित बाधाएं एवं परेशानियां निवारण एवं व्यापर में निरंतर उन्नति हेतु।
ॐ गं रोग मुक्तये फट्.
भयानक असाध्य रोगों से परेशानी होने पर, उचित ईलाज कराने पर भी लाभ प्राप्त नहीं हो रहा हो, तो पूर्ण विश्वास सें मंत्र का जाप करने से या जानकार व्यक्ति से जाप करवाने से धीरे-धीरे रोगी को रोग से छुटकारा मिलता हैं।
ॐ अन्तरिक्षाय स्वाहा।
इस मंत्र के जाप से मनोकामना पूर्ति के अवसर प्राप्त होने लगते हैं।
गं गणपत्ये पुत्र वरदाय नमः.
इस मंत्र के जाप से उत्तम संतान की प्राप्ति होती हैं।
ॐ वर वरदाय विजय गणपतये नमः.
इस मंत्र के जाप से मुकदमे में सफलता प्राप्त होती हैं।
ॐ श्री गणेश ऋण छिन्धि वरेण्य हुं नमः फट ।
यह ऋण हर्ता मंत्र हैं। इस मंत्र का नियमित जाप करना चाहिए। इससे गणेश जी प्रसन्न होते है और साधक का ऋण चुकता होता है।कहा जाता है कि जिसके घर में एक बार भी इस मंत्र का उच्चारण हो जाता है । उसके घर में कभी भी ऋण या दरिद्रता नहीं आ सकती।

जप विधि

प्रात: स्नानादि शुद्ध होकर कुश या ऊन के आसन पर पूर्व की और मुख होकर बैठें। सामने गणॆश‌जी का चित्र, यंत्र या मूर्ति स्थाप्ति करें । फिर षोडशोपचार या पंचोपचार से भगवान गजानन का पूजन कर प्रथम दिन संकल्प करें। इसके बाद भगवान ग्णेश‌का एकाग्रचित्त से ध्यान करें। नैवेद्य में यदि संभव हो तो बूंदि या बेसन के लड्डू का भोग लगायें। नहीं तो गुड का भोग लगाये। साधक को गणेश‌जी के चित्र या मूर्ति के सम्मुख शुद्ध घी का दीपक जलाए. रोज १०८ माला का जाप कर ने से शीघ्र फल की प्राप्ति होती हैं। यदि एक दिन में 108 माला संभव न हो तो 54,27,18 या 9 मालाओं का भी जाप किया जा सकता हैं। मंत्र जाप करने में यदि आप असमर्थ हो, तो किसी ब्राह्मण को उचित दक्षिणा देकर उनसे जाप करवाया जा सकता हैं।
श्री गणेशाय नमः गणपति देवा
1-गणेश जीकी दो पत्नियां: रिद्धि और सिद्धि।
2-गणेश जी का प्यारा वाहन:मूषक ।
3-गणेश जी का प्यारा भोग: मोदक और लड्डू।
4-गणेश जी का सिर: हाथी का अर्थात गणेश जी का मस्तिष्क किसी भी बात को धीरज रखकर व्यापक ढंग से समझने की ओर इंगित करता है।
5-गणेश जी की छोटी आँखें: अर्थात सूक्ष्म दृष्टि।
6-गणेश जी के लम्बे सुपाकार कान: अर्थात: दूसरे की बात सुनने के लिए हमेशा कान खुले रखे । लेकिन झूठ - सच को जानकार केवल सच को ग्रहण करे।
7-गणेश जी का एक दांत: अर्थात एक ही बार में काम पूरा करे अधूरा न छोड़े ।
8 -गणेश जी की लम्बी सूंड अर्थात दूरदर्शिता।
9-गणेश जी की वरमुद्रा अर्थात हर काम को आत्मविश्वास से करे ।
तो चलिए गणेश पूजन के लिए-मोदक लड्डू,दुर्वा तो आपने अपने साथ ले ही ली होगी।
संकट नाशक गणेश स्त्रोत का पाठ करना मत भूलियेगा ।
एक ओर बात-गणेश जी को साबुत हरा मूंग। गुडहल का फूल अवश्य चढ़ाना चाहिए ।
अगर क़र्ज़ अधिक हो गया है - तो ऋणहर्ता गणेश स्त्रोत का पाठ अवश्य करे

श्री विनायक स्तोत्रम् ॥

मूषिकवाहन मोदकहस्त चामरकर्ण विलम्बितसूत्र .
वामनरूप महेश्वरपुत्र विघ्नविनायक पाद नमस्ते ॥
देवदेवसुतं देवं जगद्विघ्नविनायकम् .
हस्तिरूपं महाकायं सूर्यकोटिसमप्रभम् ॥ 1॥
वामनं जटिलं कान्तं ह्रस्वग्रीवं महोदरम् .
धूम्रसिन्दूरयुद्गण्डं विकटं प्रकटोत्कटम् ॥ 2॥
एकदन्तं प्रलम्बोष्ठं नागयज्ञोपवीतिनम् .
त्र्यक्षं गजमुखं कृष्णं सुकृतं रक्तवाससम् ॥ 3॥
दन्तपाणिं च वरदं ब्रह्मण्यं ब्रह्मचारिणम् .
पुण्यं गणपतिं दिव्यं विघ्नराजं नमाम्यहम् ॥ 4॥
देवं गणपतिं नाथं विश्वस्याग्रे तु गामिनम् .
देवानामधिकं श्रेष्ठं नायकं सुविनायकम् ॥ 5॥
नमामि भगवं देवं अद्भुतं गणनायकम् .
वक्रतुण्ड प्रचण्डाय उग्रतुण्डाय ते नमः ॥ 6॥
चण्डाय गुरुचण्डाय चण्डचण्डाय ते नमः .
मत्तोन्मत्तप्रमत्ताय नित्यमत्ताय ते नमः ॥ 7॥
उमासुतं नमस्यामि गङ्गापुत्राय ते नमः .
ओङ्काराय वषट्कार स्वाहाकाराय ते नमः ॥ 8॥
मन्त्रमूर्ते महायोगिन् जातवेदे नमो नमः .
परशुपाशकहस्ताय गजहस्ताय ते नमः ॥ 9॥
मेघाय मेघवर्णाय मेघेश्वर नमो नमः .
घोराय घोररूपाय घोरघोराय ते नमः ॥ 10॥
पुराणपूर्वपूज्याय पुरुषाय नमो नमः .
मदोत्कट नमस्तेऽस्तु नमस्ते चण्डविक्रम ॥ 11॥
विनायक नमस्तेऽस्तु नमस्ते भक्तवत्सल .
भक्तप्रियाय शान्ताय महातेजस्विने नमः ॥ 12॥
यज्ञाय यज्ञहोत्रे च यज्ञेशाय नमो नमः .
नमस्ते शुक्लभस्माङ्ग शुक्लमालाधराय च ॥ 13॥
मदक्लिन्नकपोलाय गणाधिपतये नमः .
रक्तपुष्प प्रियाय च रक्तचन्दन भूषित ॥ 14॥
अग्निहोत्राय शान्ताय अपराजय्य ते नमः .
आखुवाहन देवेश एकदन्ताय ते नमः ॥ 15॥
शूर्पकर्णाय शूराय दीर्घदन्ताय ते नमः .
विघ्नं हरतु देवेश शिवपुत्रो विनायकः ॥16॥
फलश्रुति
जपादस्यैव होमाच्च सन्ध्योपासनसस्तथा .
विप्रो भवति वेदाढ्यः क्षत्रियो विजयी भवेत् ॥
वैश्यो धनसमृद्धः स्यात् शूद्रः पापैः प्रमुच्यते .
गर्भिणी जनयेत्पुत्रं कन्या भर्तारमाप्नुयात् ॥
प्रवासी लभते स्थानं बद्धो बन्धात् प्रमुच्यते .
इष्टसिद्धिमवाप्नोति पुनात्यासत्तमं कुलं ॥
सर्वमङ्गलमाङ्गल्यं सर्वपापप्रणाशनम् .
सर्वकामप्रदं पुंसां पठतां श्रुणुतामपि ॥
इति श्रीब्रह्माण्डपुराणे स्कन्दप्रोक्त विनायकस्तोत्रं सम्पूर्णम्



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