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Krishna Virat Roop Darshan: विराट स्वरूप
KrishnaVirat Roop Darshan: ऐसे ही भगवान् के विराट् रूप को देखने पर अर्जुन की दृष्टि सबसे पहले उसकी सीमा (अन्त) की ओर गयी।
Krishna Virat Roop Darshan: सबसे पहले 'नान्तम्’ कहने का तात्पर्य यह मालूम देता है कि जब कोई किसी को देखता है, तब सबसे पहले उसकी दृष्टि उस वस्तु की सीमा पर जाती है कि यह कहाँ तक है। जैसे, किसी पुस्तक को देखने पर सबसे पहले उसकी सीमा पर दृष्टि जाती है कि पुस्तक की लम्बाई-चौड़ाई कितनी है। ऐसे ही भगवान् के विराट् रूप को देखने पर अर्जुन की दृष्टि सबसे पहले उसकी सीमा (अन्त) की ओर गयी। जब अर्जुन को उसका अन्त नहीं दिखा , तब उनकी दृष्टि मध्य भाग पर गयी; फिर आदि (आरम्भ) की तरफ दृष्टि गयी, पर कहीं भी विराट् स्वरूप का अन्त, मध्य और आदि का पता नहीं लगा।
( लेखिका प्रख्यात ज्योतिषाचार्य हैं।)
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