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Solah Somwar Vrat Ke Chamtkari Fayde:सोलह सोमवार के व्रत से जुड़े नियम, जानिए इसकी कथा और महत्व

Solah Somwar Vrat Ke Chamtkari Fayde: भगवान शिव की पूजा से हर मनोरथ पूर्ण होते हैं, इसलिए सावन में शिव जी की पूजा का विधान है। 16 सोमवार के व्रत से जुड़े नियम जानिए...

Suman Mishra। Astrologer
Published on: 27 July 2023 12:07 PM GMT (Updated on: 28 July 2023 2:05 AM GMT)
Solah Somwar Vrat Ke Chamtkari Fayde:सोलह सोमवार के व्रत से जुड़े नियम, जानिए इसकी कथा और महत्व
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Solah Somwar Vrat सांकेतिक तस्वीर, सोशल मीडिया

Solah Somwar Vrat Ke Chamtakari Fayde 16 सोमवार का व्रत के चमत्कारी फायदे

सोमवार का व्रत में सोलह सोमवार (Solah Somwar) के व्रत ( Vrat) की महिमा अपरंपार है। ये व्रत सावन में से शुरु किया जाता है। 16 सोमवार का व्रत करने से हर इच्छा पूरी होती है। खासकर अविवाहित लोगों को इस व्रत से मनचाहा वर और साथी मिलता है। वैसे यह व्रत हर उम्र और हर व्यक्ति कर सकते हैं लेकिन इससे जुड़े नियमों का पालने कियो बिना व्रत पूरा नहीं होता है।

सोलह सोमवार व्रत से जुड़े नियम और सामग्री

सोलह सोमवार व्रत में आपको शिव जी की मूर्ति, धुप, दीप, धतुरा, गंगाजल, शहद, सफ़ेद चंदन, इत्र, रोली, अष्टगंध, सफ़ेद वस्त्र गेहूं, गुड आदि सामग्री की जरूरत पड़ सकती हैं, इस व्रत को करने से पहले ब्रह्मचर्य नियमों ( solah somvar vrat rule) का पालन करें जानिए क्या है।

सूर्योदय ( sun rise) से पहले उठकर पानी में कुछ काले तिल डालकर नहाना चाहिए। इस दिन सूर्य को हल्दी मिश्रित जल अवश्य चढ़ाएं। फिर भगवान शिव ( Bhagwan Shiv) का ध्यान करें। सबसे पहले तांबे के पात्र में शिवलिंग रखें।
भगवान शिव का अभिषेक जल या गंगाजल से होता है, परंतु विशेष मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए दूध, दही, घी, शहद, चने की दाल, सरसों तेल, काले तिल, आदि कई सामग्रियों से अभिषेक की विधि प्रचलित है।
इसके बाद 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र के द्वारा श्वेत फूल, सफेद चंदन, चावल, पंचामृत, सुपारी, फल और गंगाजल या स्वच्छ पानी से भगवान शिव और पार्वती का पूजन करना चाहिए। अभिषेक के दौरान पूजन विधि के साथ-साथ मंत्रों का जाप भी बेहद आवश्यक माना गया है. महामृत्युंजय मंत्र, भगवान शिव का पंचाक्षरी मंत्र या अन्य मंत्र, स्तोत्र जो कंठस्थ हो। शिव-पार्वती की पूजा के बाद सोमवार की व्रत कथा करें।
आरती करने के बाद भोग लगाएं और घर परिवार में बांटने के बाद स्वयं ग्रहण करें। नमक रहित प्रसाद ग्रहण करें। दिन में शयन न करें। प्रति सोमवार पूजन का समय निश्चित रखें। प्रति सोमवार एक ही समय एक ही प्रसाद ग्रहण करें। प्रसाद में गंगाजल, तुलसी, लौंग, चूरमा, खीर और लड्डू में से अपनी क्षमतानुसार किसी एक का चयन करें।
16 सोमवार तक जो खाद्य सामग्री ग्रहण करें उसे एक स्थान पर बैठकर ग्रहण करें, चलते फिरते नहीं।
प्रति सोमवार एक विवाहित जोड़े को उपहार दें।16 सोमवार तक प्रसाद और पूजन के जो नियम और समय निर्धारित करें उसे खंडित ना होने दें।

16 सोमवार का व्रत के लाभ

16 सोमवार का व्रत करते है। तो भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और शिवजी को मनचाहा वरदान देते है। 16 सोमवार का व्रत परिवार में सुख-शांति के लिए रखा जाता हैं। इसलिए कुछ महिलाएं 16 सोमवार का व्रत करती हैं। कुंवारी कन्याएं मनचाहा वर पाने के लिए यह व्रत करती हैं। जानते हैं इसके लाभ

कहते हैं कुंडवी में जिनका चंद्रमा कमजोर है, उन्हें 16 सोमवार का व्रत करना चाहिए। अगर किसी की मां बीमार रहती है या गंभीर बीमारी है तो बेहतर स्वास्थ्य के लिए भी आप 16 सोमवार का व्रत कर सकते हैं।

जो कुंवारी कन्याएं मनचाहा वर पाना चाहती हैं। उन कन्याओं को सोलह सोमवार का व्रत करना चाहिए। ऐसा माना जाता है की सोलह सोमवार का व्रत करने से भगवान शिव के आशीर्वाद से अच्छे वर की प्राप्ति होती हैं।

परिवार में सुख शांति के लिए सोलह सोमवार का व्रत किया जाता हैं। आपकी आर्थिक स्थिति कमजोर हैं। तो ऐसे में आपको सोलह सोमवार का व्रत करना चाहिए।अगर आप पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ सोलह सोमवार का व्रत करते हैं तो आपकी सभी प्रकार की इच्छा पूर्ण होती हैं।

परिवार में शांति और दंपति के बीच में सुख-शांति बनाए रखने के लिए सोलह सोमवार का व्रत रखना चाहिए।अगर आप सोलह सोमवार का व्रत करते हैं तो आपको सामाजिक प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती हैं।सोलह सोमवार का व्रत करने से संतान प्राप्ति की चाहना पूर्ण होती हैं।

अगर आप किसी बीमारी से पीड़ित हैं और लंबे समय से कोई बीमारी आपका पीछा नहीं छोड़ रही हैं। तो ऐसी बीमारी से छुटकारा पाने के लिए सोलह सोमवार का व्रत करना चाहिए।

सोलह सोमवार की कथा

एक समय की बात है जब भगवान शिव और माता पार्वती एक साथ भ्रमण करते हुए मृत्युलोक पहुंचे। वहां दोनों एक शिव मंदिर में पहुंचे और वहां कुछ समय व्यतीत करने का निर्णय लिया।

मंदिर की भव्यता और वहां की मनोरम वातावरण में भगवान शिव व माता पार्वती शांति व सकून मिल रहा था। उस समय माता पार्वती भगवान शिव के प्रसन्न मुद्रा में देखकर उनसे चौसर-पांसे खेलने का अनुरोध करती है। इस पर शिवजी भी खेल पर सहमति जताते हुए खेल शुरू कर देते है। उस दौरान शिवजी मां पार्वती से स्वयं को खेल में जीतने की बात कहते है। इसी प्रकार दोनों खेल में जीत को लेकर वार्तालाप होता रहता है। तभी मंदिर का पुजारी पूजा करने आता है। उस दौरान माता पार्वती पुजारी से पूछती है कि इस खेल में जीत किसकी होगी? इस प्रश्न पर पुजारी माता पार्वती के जीत के प्रति विश्वास नहीं जताता है। उसने बोला कि इस खेल में शिव के अलावे दूसरा कोई नहीं जीत सकता। इसलिए पुजारी भगवान शिव के जीत के प्रति निष्ठा व्यक्त करता है। हालांकि खेल में जीत माता पार्वती की होती है। ऐसे पुजारी के द्वारा जीत पर मिथ्या बोले जाने पर माता पार्वती ने उसे कोढ़ी होने का श्राप दे देती है। इसके बाद दोनों वहां से अंतर्ध्यान हो जाते है।

श्राप के पश्चात मंदिर का पुजारी कोढ़ होने का दंश झेलने लगता है। तभी कुछ दिन बीत जाने के पश्चात अप्सराएं मंदिर पूजा करने आती है। अप्सराएं जब पुजारी की यह हाल देखती है तो उस से उसके कोढ़ी होने का कारण पूछती है। तब पुजारी ने सारी अपनी व्यथा सुनाता गया। सारी बातें सुनकर अप्सराओं ने पुजारी से 16 सोमवार का व्रत कर भगवान शिव को प्रसन्न करने की बात कही। साथ ही व्रत की पूरी विधि- विधान भी बताया। व्रत करने के पश्चात शिवजी प्रसन्न होकर जल्द ही संकट दूर कर देंगे। पुजारी ने विधि विधान से 16 सोमवार व्रत प्रारंभ कर देता है। अंत में व्रत का उद्यापन भी किया। व्रत के प्रभाव से पुजारी पूर्ण रूप से रोगमुक्त हो जाता है। कुछ दिनों बाद भगवान शिव माता पार्वती के पुन: उस मंदिर में पहुंचते है।वहां मंदिर के पुजारी को रोगमुक्त देखकर माता पार्वती उससे इस श्राप से मुक्ति का उपाय पूछती है। इस पर पुजारी बताया कि श्राप मिलने के बाद यहां अप्सराएं मंदिर में पूजा करने के लिए आई थी। जिसने मेरी यह हालत देखकर 16 सोमवार के व्रत करने का विधान बताया था। मैं उसी प्रकार से भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए व्रत किया। व्रत के पूर्ण होने के पश्चात पुनः पहले की तरह हो गया। साथ ही सभी प्रकार सुख समृद्धि भी प्राप्त हुआ। पुजारी की बातें सुनकर माता पार्वती ने भी मनोवांछित फलों की प्राप्ति के लिए16 सोमवार का व्रत किया।

Suman Mishra। Astrologer

Suman Mishra। Astrologer

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