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Somvati Amavasya Kab Hai: सोमवती अमावस्या का दिन है बहुत खास, इस दिन करें ये काम

Somvati Amavasya Kab Hai: सोमवती अमावस्या हिन्दू पंचांग के अनुसार एक महत्वपूर्ण तिथि है। यह अमावस्या सोमवार के दिन पड़ती है और हिंदू धर्म में इसे विशेष माना जाता है।सोमवती अमावस्या को अपने पूर्वजों को याद किया जाता है ।

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 8 April 2024 7:30 AM IST (Updated on: 8 April 2024 10:22 AM IST)
Somvati Amavasya Kab Hai: सोमवती अमावस्या का दिन है बहुत खास, इस दिन करें ये काम
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Somvati Amavasya Kab Hai: चैत्र मास की अमावस्या 8अप्रैल को है। इसे चैत्र श्राद्धादि की अमावस्या कहते है। इस दिन पितरों का श्राद्ध और तर्पण करना चाहिए। इसके साथ ही स्नान-दान की अमावस्या मनाई जाएगी। जो कि सोमवती अमावस्या के नाम से जाना जाएगा।

सोमवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या सोमवती अमावस्या कहलाती है। किसी भी माह की अमावस्या को पितरों के निमित्त श्राद्ध, तर्पण और स्नान-दान का बहुत महत्व होता है । गंगा स्नान और दान-पुण्य करना शुभफल देने वाला होता है।

हिंदू धर्म में अमावस्या का विशेष स्थान है। नए साल 2024 में कुल 13 अमावस्या आने वाली हैं, जिसमें 3 सोमवती अमावस्या पड़ेंगी। चैत्र मास की अमावस्या का शास्त्रों में बहुत ही खास महत्व माना गया है और जब यह सोमवार को पड़ती है, तो इसका धार्मिक महत्व और भी बढ़ जाता है। सोमवती अमावस्या के दिन स्नान और दान के अलावा व्रत रखकर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। सोमवती अमावस्या पर महिलाएं पति की दीर्घायु के लिए व्रत करती हैं और बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं। जानते हैं कि साल की पहली सोमवती अमावस्या किस दिन है।

सोमवती अमावस्या का शुभ मुहूर्त

सोमवती अमावस्या 8 अप्रैल को सुबह 8 .21 मिनट से शुरू होगी और रात को 11 . 50 मिनट तक मान्य होगी इसलिए सोमवती अमावस्या का व्रत 8 अप्रैल दिन सोमवार को रखा जाएगा। इसी दिन चैत्र अमावस्या का भी व्रत भी है। 8 अप्रैल को सोमवती अमावस्या का स्नान और दान ब्रह्म मुहूर्त में 4 . 32 मिनट से लेकर 5 .18 मिनट तक होगा।

मवती अमावस्या के दिन अधिकांश रूप से सुहागिन महिलाएं व्रत करके भगवान शिव के साथ माता पार्वती की पूजा करती हैं और सुहाग की सामग्री मां पार्वती को अर्पित करती है। सभी सुहागन मां पार्वती से अपने अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद मांगती हैं। मान्यता है कि इस व्रत को करने से वैवाहिक जीवन की सारी समस्याएं दूर होती हैं और परिवार में सुख शांति बढ़ती है। इस दिन पवित्र नदी में स्नान करके दान पुण्य करने से आपको पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

सोमवती अमावस्या पूजा विधि

सोमवती अमावस्या के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठ कर स्नान करके व्रत करने का संकल्प लें और शिव मंदिर में जाकर शिवलिंग का जलाभिषेक करें। सोमवती अमावस्या को व्रत का बहुत अधिक महत्व होता है।इसके बाद अक्षत, बेलपत्र, भांग, मदार, धूप, दीप, शहद, नैवेद्य अर्पित करें। इसके साथ ही माता पार्वती को सिंदूर, फूल, फल, धूप, दीप और सुहाग की सामग्री अर्पित करें। सभी सामग्री अर्पित करने के बाद आरती करें और शिव चालीसा का पाठ करें। इस दिन महिलाएं बरगद के पेड़ के चारों ओर परिक्रमा करके कच्चा सूत का धागा पर उस पर लपेटती हैं और पति की लंबी आयु के लिए प्रार्थना करती हैं।इस दिन आप दिनभर ऊॅं नम: शिवाय का जप भी कर सकते हैं।

इसके बाद भगवान सूर्य और तुलसी की को अर्ध्य दें। पीपल के पेड़ की पूजा करें। इसके साथ ही तुलसी का भी पौधा रखें। पीपल पर दूध, दही, रोली, चंदन, अक्षत, फूल, हल्दी, माला, काला तिल आदि चढ़ाएं। वहीं तुलसी में पान, फूल, हल्दी की गांठ और धान चढ़ाएं। इसके बाद पीपल की कम से कम 108 बार परिक्रमा करें। घर आकर पितरों का तर्पण दें। इसके साथ ही गरीबों को दान-दक्षिणा देना शुभ होता है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सोमवती अमावस्या का विशेष महत्व होता है। इस दिन पितरों का तर्पण करने से विशेष आर्शीवाद मिलता है और जीवन में सुख- समृद्धि की प्राप्ति होती है।सोमवती अमावस्या को अपने पूर्वजों को याद किया जाता है और लोग इस दिन उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं। यह अमावस्या ध्यान और आत्म-संयम का भी महत्वपूर्ण अवसर है जिसे लोग अपने जीवन में उतारते हैं

Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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