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मंदाकिनी और दिव्यानी का जब होगा मिलन तो पृथ्वी पर नहीं बचेगा कोई

हम लोगों को अक्सर रात में तारों की टिमटिमाते हुए आसमान को देखते हुए काफी अच्छा लगता है।

Deepika Jaiswal
Written By Deepika JaiswalPublished By Shweta
Published on: 16 May 2021 9:16 PM IST
आकाशगंगा
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आकाशगंगा ( फोटो साभार सोशल मीडिया)

जानिए अंतरिक्ष और ब्रह्मांड में क्या अंतर है?

हम लोगों को अक्सर रात में तारों की टिमटिमाते हुए आसमान को देखते हुए काफी अच्छा लगता है। क्या हमने कभी सोचा है, कि इन तारों के पार भी कोई दुनिया है जिसे हम नहीं जानते या फिर जानना चाहते हैं। तो चलिए आज हम जानते हैं अंतरिक्ष और ब्रह्मांड के बारे में जानते हैं। कई बार हम लोग ब्रह्मांड और अंतरिक्ष को एक ही समझ लेते हैं जबकि इन में बहुत बड़ा अंतर होता है। अंतरिक्ष ब्रह्मांड का ही एक भाग है और ब्रह्मांड अनंत है। तो आज जानते हैं ,कि ब्रह्मांड और अंतरिक्ष दोनों एक नही होते हैं, बल्कि दोनों में अंतर होता है।

ब्रह्मांड

ब्रह्मांड अनंत है। यह समय और अंतरिक्ष के बीच की अंतर्वस्तु है। वेदों के अनुसार, ब्रह्मांड की रचना स्वयं भगवान ने की है ,जिसमें ग्रह, उपग्रह ,आकाशगंगा, उल्का पिंड, धूमकेतु और अंतरिक्ष समाहित है। छोटे छोटे से छोटा कण और बड़े से बड़ा अणु भी ब्रह्मांड का भाग हैं। ब्रह्मांड के विस्तार का पता लगाना मुश्किल है।

ब्रह्मांड की रचना

वैज्ञानिकों के अनुसार यह माना जाता है कि, अरबों साल पहले पदार्थ और ऊर्जा का एक बिंदु या फिर गोलाकार आकृति हुई करती थी। गोलाकार आकृति में अचानक से उर्जा बढ़ने के कारण अचानक से एक विस्फोट हुआ जिसे बिग बैंग थ्योरी के नाम से जाना जाता है। इस कारण से ब्रह्मांड ऊर्जा और पदार्थ के रूप में फैल गया। इस तरह से ब्रह्मांड की उत्पत्ति हुई।

ब्रह्मांड से संबंधित रोचक बातें

• ब्रह्मांड में 500 अरब आकाशगंगा है वहीं आकाशगंगा में 100 अरब तारे हैं, जिसमें सूर्य एक तारा है और पृथ्वी सूर्य का चक्कर लगाती है।

• ब्रह्मांड में सब कुछ स्थिर नहीं है, बल्कि गतिमान है । पृथ्वी अपनी धुरी पर रहकर सूर्य का चक्कर 107200 किमी/घण्टा की रफ्तार से घूम रही है। वही चंद्र पृथ्वी का चक्कर काट रहा है, सूर्य सौरमंडल को लेकर मंदाकिनी जो कि एक आकाशगंगा है ,के चारों ओर चक्कर लगा रहा है।

• वैज्ञानिकों के अनुसार, हमारी आकाशगंगा मंदाकिनी अपनी पड़ोसी आकाशगंगा दिव्यानी से लगभग 5 अरब वर्ष पश्चात टकराएगी जिसे देखने के लिए शायद मानव का अस्तित्व ही ना रहे ।

• ब्रह्मांड निशब्द है, क्योंकि यहां वातावरण का अभाव है। जिसकी वजह से ध्वनि को कोई माध्यम नहीं मिल पाता और यहां अंतरिक्ष यात्री भी बात करने के लिए रेडियो तरंगों का प्रयोग करते हैं।

• वैज्ञानिकों ने, ब्रह्मांड में एक ऐसा ग्रह निकाला है जो पूरी तरह से हीरे का बना हुआ है। जिसका नाम WASP-12b है।जो कि पृथ्वी से कई गुना बड़ा है।

• ब्रह्मांड में एक बहुत बड़ा जल स्त्रोत है जो कि भाप के रूप में तैरता रहता है, जिसका जल स्त्रोत पृथ्वी पर पाए जाने वाले जल स्त्रोत से 104 ट्रिलियन गुना अधिक है।

• ब्रह्मांड में पाया जाने वाला बृहस्पति ग्रह जो कि अपनी धुरी पर 10 घंटे में एक चक्कर लगाते हैं। अर्थात बृहस्पति ग्रह पर 10 घंटे बराबर 1 दिन माना जाता है।

अंतरिक्ष

पृथ्वी के वायुमंडल से दूर जो स्थान होता है, वह शून्य होता है और उसे ही अंतरिक्ष कहा जाता है। हमारे वैदिक साहित्य और ग्रंथों में भी अंतरिक्ष जैसे शब्दों का उपयोग किया गया है। इस खाली स्थान में न ही प्रकाश है , नहीं हवा है और ध्वनि को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाने के लिए जिस माध्यम की जरूरत होती है वह माध्यम भी यहां नहीं पाया जाता। अंतरिक्ष में काला रंग का अंधकार रहता है। पृथ्वी से 16लाख किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस खाली स्थान में केवल ग्रह, उपग्रह, तारों और गैलेक्सी को ही देखा जा सकता है। अंतरिक्ष का आकार आज तक कोई बता नहीं पाया है इसका विस्तार कहां तक है यह भी जान पाना मुश्किल है। अंतरिक्ष में अंधकार होने की एकमात्र वजह ऑक्सीजन के अणुओं का ना पाया जाना बताया जाता है जबकि पृथ्वी पर पाए जाने वाले इन मैटेरियल पार्टिकल्स सूर्य की रोशनी के परिवर्तित होने की वजह से अंधकार में भी रोशनी आ जाती है लेकिन अंतरिक्ष में इस तरह का कोई भी आक्सीजन पार्टिकल नहीं पाया जाता। अंतरिक्ष की सर्वप्रथम खोज करने वाले यूरी गागरिन ने भी अंतरिक्ष के रहस्यों का पता लगाने में असमर्थ थे।

कुछ रोचक तथ्य

• अंतरिक्ष से सूरज को देखने पर सफेद रंग का दिखाई देता है।

• अंतरिक्ष में सबसे पहले जाने वाला जानवर कुत्ता था।

• पृथ्वी पर सूर्य और सूर्योदय केवल एक बार होता है लेकिन अंतरिक्ष में 15 बार सूर्योदय और सूर्यास्त होता है।

• अंतरिक्ष में रोने पर आंसू नीचे नहीं छलकते हैं।

• अंतरिक्ष में दम घुटने से नहीं बल्कि शरीर के फटने से मौत हो सकती है, जिसका मुख्य कारण हवा का भारी दबाव होता है।



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Shweta

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