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Sri Shiva Maha Puran Adhyay 6: विद्येश्वर संहिता, ब्रह्मा-विष्णु युद्ध
Sri Shiva Maha Puran Adhyay 6: एक बार ब्रह्माजी वहां पहुंचे और विष्णुजी को पुत्र कहकर पुकारने लगे - पुत्र उठो! मैं तुम्हारा ईश्वर तुम्हारे सामने खड़ा हूं। यह सुनकर विष्णुजी को क्रोध आ गया। फिर भी शांत रहते हुए वे बोले – पुत्र! तुम्हारा कल्याण हो। कहो अपने पिता के पास कैसे आना हुआ?
Sri Shiva Maha Puran Adhyay 6: नंदिकेश्वर बोले- पूर्व काल में श्रीविष्णु अपनी पत्नी श्री लक्ष्मी जी के साथ शेष शय्या पर शयन कर रहे थे। तब एक बार ब्रह्माजी वहां पहुंचे और विष्णुजी को पुत्र कहकर पुकारने लगे - पुत्र उठो! मैं तुम्हारा ईश्वर तुम्हारे सामने खड़ा हूं। यह सुनकर विष्णुजी को क्रोध आ गया। फिर भी शांत रहते हुए वे बोले – पुत्र! तुम्हारा कल्याण हो। कहो अपने पिता के पास कैसे आना हुआ? यह सुनकर ब्रह्माजी कहने लगे- मैं तुम्हारा रक्षक हूं। सारे जगत का पितामह हूं। सारा जगत मुझमें निवास करता है। तू मेरी नाभि कमल से प्रकट होकर मुझसे ऐसी बातें कर रहा है।
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इस प्रकार दोनों में विवाद होने लगा। तब वे दोनों अपने को प्रभु कहते-कहते एक-दूसरे का वध करने को तैयार हो गए। हंस और गरुड़ पर बैठे दोनों परस्पर युद्ध करने लगे। ब्रह्माजी के वक्षस्थल में विष्णुजी ने अनेकों अस्त्रों का प्रहार करके उन्हें व्याकुल कर दिया। इससे कुपित हो ब्रह्माजी ने भी पलटकर भयानक प्रहार किए। उनके पारस्परिक आघातों से देवताओं में हलचल मच गई। वे घबराए और त्रिशूलधारी भगवान शिव के पास गए और उन्हें सारी व्यथा सुनाई। भगवान शिव अपनी सभा में उमा देवी सहित सिंहासन पर विराजमान थे और मंद-मंद मुस्करा रहे थे।
(कंचन सिंह)
( लेखिका प्रख्यात ज्योतिषी हैं ।)