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लगाओ शर्त! पुराण के बारे में इतना नहीं जानते होंगे आप

Hindu Purana History: पुराण शब्द को विभक्त करते हैं तो पुरा का अर्थ है अतीत और अण का अर्थ है कहना। इसका अर्थ हुआ अतीत के बारे में कहना। कुल अठारह पुराण हैं।

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Newstrack NetworkPublished By Shashi kant gautam
Published on: 14 April 2022 8:26 PM IST
You would not know much about Puranas
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कितने हैं उपपुराण: Photo - Social Media

Hindu Purana History: कर्मकाण्ड का ज्ञान चाहिए तो वेद पढ़िए। ज्ञान चाहिए तो उपनिषद् (Upanishads) और बाकि सबके लिए पुराण पढ़ लीजिए। इनमें तो कुछ बचा ही नहीं। पाप-पुण्य, धर्म-अधर्म, कर्म-अकर्म आदि अंत सबका विवरण दिया गया है। कुछ भी ऐसा बचा नहीं जो पुराण में न हो आइए जानते हैं पुराण के बारे में जो हमें जानना जरुरी है।

भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि के साथ ही प्रथम पुराण की रचना की है। पुराणों की रचना संस्कृत भाषा में हुई है। पुराण शब्द को विभक्त करते हैं तो पुरा का अर्थ है अतीत और अण का अर्थ है कहना। इसका अर्थ हुआ अतीत के बारे में कहना। कुल अठारह पुराण हैं। जिनमें दर्शन, देवी-देवताओं, तीर्थयात्रा, चिकित्सा, खगोल, प्रेमकथा, धर्मशास्त्र, व्याकरण, खनिज, हास्य, ब्रह्माण्ड सहित वंशावली का विस्तृत वर्णन किया गया है।

महर्षि वेदव्यास ने पुराण संहिता का संकलन किया

मत्स्यपुराण में कहा गया कि आरंभ में पुराण सिर्फ एक था। उससे 17 पुराण का निर्माण हुआ। ब्रह्मांड पुराण (Brahmanda Purana) में कहा गया कि महर्षि वेदव्यास (Maharishi Ved Vyas) ने पुराण संहिता का संकलन किया है।

पुराण के 5 लक्षण हैं

सर्ग– तत्त्वों की उत्पत्ति का वर्णन।

प्रतिसर्ग– जगत निर्माण वर्णन।

वंश– सूर्य-चंद्र वंशों का वर्णन।

मन्वन्तर– अवतारों का वर्णन।

वंशानुचरित– वंश उदय कर्मों का वर्णन।

जानिए क्या है 18 पुराण में

ब्रह्मपुराण

ब्रह्मपुराण को आदिपुराण कहा जाता है। बाकि के 17 पुराणों में इसका उल्लेख मिलता है। इसका सर्वप्रथम प्रवचन नैमिषारण्य में लोमहर्षण ऋषि द्वारा किया गया। इसमें सृष्टि की उत्पत्ति सहित तीर्थों का विस्तार पूर्वक वर्णन है। 245 अध्याय हैं।

पद्मपुराण

पद्मपुराण में 5 खंड हैं। इनके नाम हैं सृष्टिखण्ड, भूमिखंड, स्वर्गखंड, पातालखंड और उत्तरखंड। नैमिषारण्य में इसका प्रवचन लोमहर्षण के पुत्र सूत उग्रश्रवा ने किया था। इस पुराण में विष्णु भक्ति का उल्लेख है।

विष्णुपुराण

विष्णु को परम देवता के रूप में स्थापित किया गया है। इसका प्रवचन पराशर ऋषि ने किया सर्वप्रथम किया है।

वायुपुराण

शिवपुराण के साथ इसमें भी भगवान शिव का वर्णन है। इसमें 112 अध्याय हैं। चार भाग है प्रक्रियापाद, उपोद्घात, अनुषङ्गपाद, उपसंहारपाद।

भागवतपुराण

विद्यावतां भागवते परीक्षा माना जाता है भागवतपुराण को। इसमें कृष्ण भक्ति का उल्लेख है। इसमें 12 स्कन्ध, 335 अध्याय हैं। इसमें शक्ति का भी विस्तृत वर्णन मिलता है।

नारद पुराण

नारद पुराण महापुराण भी कहा जाता है। इसमें 2 खंड हैं पूर्व खंड में 125 अध्याय और उत्तरखंड 82 अध्याय हैं।

मार्कण्डय पुराण

इसमें वैदिक देवताओं का वर्णन है। इसका प्रवचन मार्कण्डय ऋषि ने किया है।

अग्निपुराण

इस पुराण का प्रवचन अग्नि ने किया है। इसमें 383 अध्याय हैं। इसमें कई विषयों पर विस्तार से बताया गया है।

भविष्य पुराण

इस पुराण में भविष्य की घटनाओं का विस्तारित वर्णन है। दो खंड हैं पूर्वार्ध और उत्तरार्ध। 5 पर्व हैं ब्राह्मपर्व, विष्णुपर्व, शिवपर्व, सूर्यपर्व और प्रतिसर्गपर्व।

ब्रह्मवैवर्तपुराण

इस पूरण में श्रीकृष्ण के चरित्र का वर्णन मिलता है। इसमें 4 खंड हैं ब्रह्म, प्रकृति, गणेश और कृष्ण-जन्म।

लिङ्गपुराण

शिव के 28 अवतारों की गाथा हैं। 163 अध्याय हैं।

वराहपुराण

विष्णु के वराह-अवतार का वर्णन है।

स्कन्दपुराण

शिवपुत्र स्कन्द के नाम पर इसका नाम पड़ा है। इसमें 6 संहिता हैं—सनत्कुमार, सूत, शंकर, वैष्णव, ब्राह्म और सौर। दो गीता हैं ब्रह्म गीता और सूत गीता। 7 खंड हैं माहेश्वर, वैष्णव, ब्रह्म, काशी, अवन्ती, नागर और प्रभास।

वामनपुराण

विष्णु के वामन-अवतार का वर्णन मिलता है। चार संहिता हैं माहेश्वरी, भागवती, सौरी और गाणेश्वरी।

कूर्मपुराण

विष्णु के कूर्म-अवतार का वर्णन है। चार संहिता हैं ब्राह्मी, भागवती, सौरा और वैष्णवी। सम्प्रति केवल ब्राह्मी-संहिता ही मिलती है। ईश्वर गीता और व्यास गीता भी इसमें है।

मत्स्यपुराण

इसमें कलियुग के राजाओं की सूची है।

गरुडपुराण

इसका प्रवचन विष्णु ने गरुड के लिए किया, गरुड ने कश्यप को प्रवचन दिया।

ब्रह्माण्डपुराण

इस पुराण में चार पाद हैं प्रक्रिया, अनुषङ्ग, उपोद्घात और उपसंहार।

जानीय पुराणों में कितने हैं श्लोकों

-मार्कण्डेयपुराण नौ हजार

-ब्रह्मवैवर्तपुराण अठारह हजार

-ब्रह्मपुराण चौदह हजार

-पद्मपुराण पचपन हजार

-श्रीमद्भावतपुराण अठारह हजार

-नारदपुराण पच्चीस हजार

-लिंगपुराण ग्यारह हजार

-वाराहपुराण चौबीस हजार

-कूर्मपुराण सत्रह हजार

-मत्सयपुराण चौदह हजार

-विष्णुपुराण तेइस हजार

-शिवपुराण चौबीस हजार

-गरुड़पुराण उन्नीस हजार

-ब्रह्माण्डपुराण बारह हजार

-अग्निपुराण पन्द्रह हजार

-भविष्यपुराण चौदह हजार पाँच सौ

-स्कन्धपुराण इक्यासी हजार एक सौ

-वामनपुराण दस हजार

कितने हैं उपपुराण (How many Upapuranas are there?)

-बृहद्धर्म पुराण

-गणेश पुराण

-वरुण पुराण

-कालिका पुराण

-मुद्गल पुराण

-एकाम्र पुराण

-दत्त पुराण

-आदि पुराण (सनत्कुमार द्वारा कथित)

-नरसिंह पुराण

-आश्चर्य पुराण (दुर्वासा द्वारा कथित)

-उशना पुराण (उशनस्)

-सौर पुराण

-पाराशर पुराण (पराशरोक्त)

-मारीच पुराण

-नारदीय पुराण (नारद द्वारा कथित)

-कपिल पुराण

-मानव पुराण

-नन्दिपुराण (कुमार द्वारा कथित)

-शिवधर्म पुराण

-भार्गव पुराण

-विष्णुधर्म पुराण

-ब्रह्माण्ड पुराण

-माहेश्वर पुराण

-साम्ब पुराण



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