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महाभारत में बताए गए हैं सफलता के जरूरी नियम
सफलता में निरंतरता का विशेष योगदान होता है क्योंकि उसके बिना तरक्की संभव नहीं। किंतु काम मकसद सही और विचार मानव कल्याण का हो तो भी सफलता न मिले तो इसके क्या कारण हो सकते हैं? इस सवाल का जवाब हिन्दू धर्म के विशाल ग्रंथ महाभारत के में दिए गए हैं। सफलता और तरक्की के ये 7 सूत्र जीवन में उतारकर साधारण इंसान भी असाधारण ऊंचाइयों को पा सकता है-
उत्थानं संयमो दाक्ष्यमप्रमादो धृति: स्मृति:।
समीक्ष्य च समारम्भो विद्धि मूलं भवस्य तु।।
इस श्लोक में जीवन में कर्म, विचार और व्यवहार से जुड़ी 7 बातें उन्नति का मूल मंत्र मानी गई है। ये बाते हैं-
उद्यम या परिश्रम: अक्सर सफलता पाने की जल्दबाजी या बेचैनी में कई लोग आसान और छोटे रास्ते या तरीकों को चुन तो लेते हैं। लेकिन मनचाही सफलता से दूर रहने पर निराशा के दौर से गुजरते हैं। असल में सफलता के लिए संकल्प, कर्म के साथ उद्यम यानी परिश्रम की भावना के तय पैमानों को अपनाए बिना कामयाबी की मंजिल को छूना और उस पर कायम रहना मुश्किल है।
संयम: छोटी या थोड़ी-सी सफलता मिलने पर मन व विचार पर काबू या उतावलेपन से बचना, क्योंकि बिना धैर्य और संयम के सफलता साथ छोड़ देती है, बल्कि तरक्की के रास्ते भी बंद हो जाते हैं।
दक्षता: सफलता को अवसरों को भुनाने और जल्द लक्ष्यों को हासिल करने के लिए किसी भी कार्य या कला में कुशलता या महारत बड़ी मददगार होती है। इसलिए बिना अहंकार के सीखने की जिज्ञासा बनाए रखें। धैर्य तमाम कोशिशों के बाद भी अगर मनचाहे परिणाम न मिलने या अपेक्षा पूरा न होने पर लक्ष्य से न भटकें या न उसे छोडऩे का विचार करें। बल्कि मजबूत संकल्प और दोगुनी मेहनत के साथ उसे पाने में जुट जाएं।
सावधानी: किसी भी तरह की सफलता के रास्ते में कई बाधाएं भी मुमकिन है। इसलिए सारी संभावनाओं और स्थितियों के आंकलन और विश्लेषण के साथ विषय, कार्य और स्थिति के प्रति जागरूकता और सावधानी रखें।
स्मृति: इसकी अलग-अलग अर्थों और परिस्थितियों में अलग-अलग अहमियत है। जैसे ज्ञान और स्मरण शक्ति के अलावा दूसरों के उपकारों, सहयोग या प्रेम को न भूलना आदि।
सोच-विचार: विवेक का साथ न छोडऩा। सफलता और तरक्की के लिए कोई भी कदम बढ़ाने से पहले सही और गलत की विचार शक्ति अहम होती है, इसके लिए आपको अधिक से अधिक ज्ञान और अनुभव प्राप्त करने की जरूरत होती है।