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Sunderkand Path Ke Fayde : सुंदरकांड पाठ का जानिए चमत्कारी लाभ, क्या महिलाओं को करना चाहिए यह पाठ?
Sunderkand Path Ke Fayde : रामायण के सुंदर कांड का पाठ कुछ लोग नियमित रूप से भी करते हैं। सुंदर कांड के पाठ के महत्व का राज। हनुमानजी, सीताजी की खोज में लंका गए थे । त्रिकुटाचल पर्वत पर तीन पर्वत थे। पहला सुबैल पर्वत, दूसरा नील पर्वत, जहां राक्षसों के महल बने हुए थें। तीसरे पर्वत का नाम है सुन्दर पर्वत, जहां अशोक वाटिका थी। इसी वाटिका में हनुमानजी और सीताजी की भेंट हुई थी। इस कांड की यहीं सबसे प्रमुख घटना थी, इसलिए इसका नाम सुंदरकांड रखा गया है।
Sunderkand Path Ke Fayde :
सुंदरकांड पाठ के फायदे
हिंदू धर्म में पूजा-पाठ और नियमित धूप-दीप और मंत्र जाप का विशेष महत्व है। लोग अक्सर कई धार्मिक आयोजन करते हैं। इन सभी का अपना अलग महत्व होता है। रामायण के सुंदर कांड का पाठ कुछ लोग नियमित रूप से भी करते हैं। सुंदर कांड के पाठ के महत्व का राज। हनुमानजी, सीताजी की खोज में लंका गए थे और लंका त्रिकुटाचल पर्वत पर बसी हुई थी। त्रिकुटाचल पर्वत पर तीन पर्वत थे। पहला सुबैल पर्वत, जहां के मैदान में युद्ध हुआ था। दूसरा नील पर्वत, जहां राक्षसों के महल बने हुए थें। तीसरे पर्वत का नाम है सुन्दर पर्वत, जहां अशोक वाटिका निर्मित थी। इसी वाटिका में हनुमानजी और सीताजी की भेंट हुई थी। इस कांड की यहीं सबसे प्रमुख घटना थी, इसलिए इसका नाम सुंदरकांड रखा गया है।
सुंदरकांड ( Sunderkand Path) के पाठ में बजरंगबली की कृपा बहुत ही जल्द प्राप्त हो जाती है। जो लोग नियमित रूप से सुंदरकांड का पाठ करते हैं, उनके सभी दुख दूर हो जाते हैं। इसमें हनुमानजी ने अपनी बुद्धि और बल से सीता की खोज की है। इसी वजह से सुंदरकांड को हनुमानजी की सफलता के लिए याद किया जाता है। श्री रामचरितमानस का पंचम सोपान सुन्दरकाण्ड है। इस सोपान में 03 श्लोक, 02 छन्द, 58 चौपाई, 60 दोहे और लगभग 6241 शब्द हैं। मंगलवार के दिन सुंदरकांड का पाठ करने की परंपरा है।
सुंदरकांड का पाठ क्यों करते हैं?
गोस्वामी तुलसीदासजी रचित श्रीरामचरितमानस के सुंदरकाड का पाठ किया जाता हैं। शुभ कार्यों में सुंदरकांड का पाठ करने का विशेष महत्व माना गया है। जबकि किसी व्यक्ति के जीवन में ज्यादा परेशानियां हो, कोई काम नहीं बन पा रहा है, आत्मविश्वास की कमी हो या कोई और। समस्या हो, सुंदरकांड के पाठ सें शुभ फल प्राप्त होने लग जाते हैं, विपरीत परिस्थितियों में विद्वान भी सुंदरकांड करने की ही सलाह देते हैं।
माना जाता है कि सुंदरकांड के पाठ से हनुमानजी प्रसन्न होते है। इस पाठ को करने से बजरंगबली की कृपा बहुत ही जल्दी प्राप्त हो जाती है। जो लोग नियमित रूप से सुंदरकांड का पाठ करते हैं, उनके सभी दुख दूर हो जाते हैं, इस कांड में हनुमानजी ने अपनी बुद्धि और बल से सीता की खोज की है। इसी वजह से सुंदरकांड को हनुमानजी की सफलता के लिए याद किया जाता है।
सुंदरकांड करने का सही समय क्या है?
यदि आप अकेले सुंदरकांड का पाठ करना चाहते हैं तो प्रात:कालीन समय, ब्रह्म मुहूर्त में 4 से 6 बजे के बीच किया जाना चाहिए। यदि आप समूह के साथ सुंदरकांड का पाठ कर रहे हैं तो शाम को 7 बजे के बाद किया जा सकता है। सुंदरकांड का पाठ मंगलवार, शनिवार, पूर्णिमा और अमावस्या को करना श्रेष्ठ रहता है। मान्यता है कि सुंदरकांड का पाठ करने से व्यक्ति को जीवन में कई सकारात्मक बदलाव देखने को मिलते हैं। जो भी जातक प्रतिदिन सुंदरकांड का पाठ करता है उसकी एकाग्रता और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
सुंदरकांड से मिलता है मनोवैज्ञानिक लाभ
वास्तव में श्रीरामचरितमानस के सुंदरकांड की कथा सबसे अलग हैं, संपूर्ण श्रीरामचरितमानस भगवान श्रीराम के गुणों और उनके पुरुषार्थ को दर्शाती है, सुंदरकांड एकमात्र ऐसा अध्याय है जो श्रीराम के भक्त हनुमान की विजय का कांड है। मनोवैज्ञानिक नजरिए से देखा जाए तो ये आत्मविश्वास और इच्छाशक्ति बढ़ाने वाला कांड है, इस पाठ से व्यक्ति को मानसिक शक्ति प्राप्त होती है, किसी भी कार्य को पूर्ण करने के लिए आत्मविश्वास मिलता है।
सुंदरकांड से धार्मिक लाभ
सुंदरकांड के पाठ से मिलता है धार्मिक लाभ। हनुमानजी की पूजा सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाली मानी गई है। बजरंगबली बहुत जल्दी प्रसन्न होने वालें देवता हैं, शास्त्रों में इनकी कृपा पाने के कई उपाय बताए गए हैं। इन्हीं उपायों में से एक उपाय सुंदरकांड का पाठ करना है। इस पाठ से हनुमानजी के साथ ही श्रीरामजी की भी विशेष कृपा प्राप्त होती है। किसी भी प्रकार की परेशानी हो इस पाठ से दूर हो जाती है, ये एक श्रेष्ठ और सरल उपाय है।
इसी वजह से काफी लोग सुंदरकांड का पाठ नियमित रूप से करते हैं। हनुमानजी जो कि वानर थें, वे समुद्र को लांघकर लंका पहुंच गए, वहां सीताजी की खोज की, लंका को जलाया, सीताजी का संदेश लेकर श्रीराम के पास लौट आए। ये एक भक्त की जीत का कांड है, जो अपनी इच्छाशक्ति के बल पर इतना बड़ा चमत्कार कर सकता है। सुंदरकांड में जीवन की सफलता के महत्वपूर्ण सूत्र भी दिए गए हैं, निःस्वार्थ भाव से सेवा करने से जीवन में सम्मान कैसे प्राप्त हो, इसका जीवंत उदाहरण सुंदरकांड ही हो सकता है। इसलिए पूरे मानस में सुंदरकांड को सबसे श्रेष्ठ माना जाता है।
सुंदरकांड पाठ करने का नियम
महिलाएं भी सुंदरकांड का पााठ कर सकती है। हनुमान जी पूजा और मंगलवार का व्रत रख सकती है। सुंदरकांड का पाठ अपनी इच्छा अनुसार 11, 21, 31 या 41 दिन तक कर सकते हैं। इसके लिए सबसे पहले हनुमानजी की प्रतिमा अपने सामने स्थापित करें। फिर हनुमानजी की प्रतिमा स्थापित करने के पश्चात शुद्ध घी का दीपक जलाए। तथा हनुमानजी के चरणों में सात पीपल के पत्ते अर्पित करे। ऐसा करने से हर इच्छा पूरी होती है।
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