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परम कृष्ण भक्त और वात्सल्य रस के सम्राट थे महाकवि सूरदास, जानिए और भी बातें

हिंदी साहित्य विधा के प्रमुख कवियों में सूरदास जी अग्रणी रहे हैं। उनकी कविताओं स्नेह, वात्सल्य, ममता, प्रेम सभी का समावेश है।

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Newstrack Network NetworkPublished By suman
Published on: 17 May 2021 6:47 AM GMT
आज है सूरदास जयंती
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कांसेप्ट फोटो( सौ. से सोशल मीडिया)

लखनऊ : आज महाकवि और कृष्ण (Lord Krishna) के उपासक सूरदास (Surdas) की जयंती है। सूरदास जी का जन्म वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है। जगत में साहित्यक विधा और अपनी कविताएं, गीत और दोहों के लिए सूरदास प्रसिद्ध हुए। जानते हैं सूरदास के जीवन ( Life) से जुड़ी खा बातें।

महाकवि सूरदास जन्मांध थे। उनका जन्म 1478 ई में रुनकत गांव में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम रामदास था। सूरदास के जन्म को लेकर अलग-अलग मत हैं। उनके जन्मांध को लेकर भी लोगों के अलग-अलग मत हैं। कुछ लोग उन्हें अंधे मानते थे तो कुछ नहीं।

कांसेप्ट फोटो( सौ. से सोशल मीडिया)

मां सरस्वती का वरदान

बचपन से साधु प्रवृत्ति के सूरदास के गले में मां सरस्वती का वास था। उन्हें मंत्रमुग्ध कर देने वाली गाने की कला वरदान मिला था। इस वजह से उस वक्त उनकी ख्याति बढ़ गई थी। इस दौरान उनकी मुलाकात वल्लभाचार्य जी से हुई। उन्हें इन्हें पुष्टिमार्ग की दीक्षा दी और श्री कृष्ण की लीलाओं का दर्शन करवाया।

कहा जाता है कि सूरदास को एक बार भगवान श्रीकृष्ण के दर्शन भी हुए थे। वे भगवान श्रीकृष्ण के परम भक्त थे। जब सूरदास की मुलाकात वल्लभाचार्य से हुई वे उनके शिष्य बन गए तो इसके बाद पुष्टिमार्ग की दीक्षा प्राप्त करके कृष्णलीला में रम गए। वे 'भागवत' के आधार पर कृष्ण की लीलाओं का गायन करने लगे।

कांसेप्ट फोटो( सौ. से सोशल मीडिया)

मांगा था अंधे रहने का वरदान

सूरदास के बारे में कई कथाएं प्रचलित हैं। एक बार सूरदास कृष्ण की भक्ति में इतने डूब गए थे कि वे एक कुंए जा गिरे, जिसके बाद भगवान कृष्ण ने खुद उनकी जान बचाई और आंखों की रोशनी वापस कर दी। जब कृष्ण भगवान ने उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर वरदान में कुछ मांगने के लिए कहा तो उन्होंने कहा कि "आप फिर से मुझे अंधा कर दें। मैं कृष्ण के अलावा अन्य किसी को देखना नहीं चाहता।" सूरदास भक्तिकास के सगुन धारा के उपासक थें। उन्होंने कृष्ण की लीलाओं का जैसा वर्णन किया था । वैसा कोई नेत्र वाला भी नहीं कर सकता है। महाकवि सूरदास के भक्तिमय गीत हर किसी को मोहित करते हैं। उनकी रचनाएं आज भी लोगों को मंत्रमुग्ध करती है। 'सूरसागर', 'सूरसावली', 'साहित्य लहरी', 'नल दमयन्ती', 'ब्याहलो' उनकी प्रमुख रचनाएं हैं।

Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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